हल्द्वानी, प्रेस15 न्यूज। सैंया भये कोतवाल, अब डर काहे का”… आदर्श आचार संहिता के बीच नियमों की तिलांजलि देकर प्रचार प्रसार में जुटी भाजपा फिलहाल नैनीताल जिले में इस कहावत को सही साबित कर रही है। बाकी जिलों और उत्तराखंड में क्या कुछ चल रहा होगा, ये आप खुद अंदाजा लगा लीजिए।
भला हो हेमंत साहू जैसे युवा नेताओं का जो चुनाव आयोग के अफसरों और जिला निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों तक लोकतंत्र का मजाक बनाती और नियमों का गला घोंटती भाजपा के इन कारनामों को पोल खोलने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। जिस काम की निगरानी खुद चुनाव आयोग और जिला निर्वाचन अधिकारी को करनी चाहिए थी वह काम विपक्षी पार्टी के नेताओं को करना पड़ रहा है।
सोच कर देखिए, कहने को चुनाव आयोग की निगरानी में नैनीताल जिले में आदर्श आचार संहिता लगी हुई है। जिलाधिकारी वंदना जहां जिला निर्वाचन अधिकारी की भूमिका में हों और तमाम आला अधिकारी जहां सुबह से लेकर रात तक सरकारी गाड़ियों में पूरे रौब से फर्राटा भरते निकलते हों, उस हल्द्वानी शहर में आदर्श आचार संहिता को ठेंगे में रखकर भारतीय जनता पार्टी अपना चुनाव प्रचार चालू रख रही हो तो क्या कहेंगे। यहीं तो कहेंगे कि सैंया भये कोतवाल, अब डर काहे का…
अभी कुछ दिन पहले ही हल्द्वानी के नैनीताल रोड पर स्थित क्वींस पब्लिक स्कूल में भाजपा का कॉल सेंटर पकड़ा गया था। जिसकी शिकायत भी यूथ कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष हेमन्त साहू ने ही एआरओ एपी बाजपेई से की थी। जिसके बाद एआरओ की ओर से भाजपा जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट को नोटिस देने की बात कही गई थी। उस नोटिस का क्या हुआ, क्या कार्रवाई हुई, सिवाय भाजपा के नेताओं और एआरओ के किसी को खबर नहीं।
अब एक बार फिर हेमन्त साहू ने लालकुआं के सहायक निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर और फोन में वार्ता कर लालकुआं के वार्ड एक में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा उत्तराखंड शासन के कैलेंडर बांटने की शिकायत की गई है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड शासन द्वारा नए साल के अवसर पर छपाए गए केलेंडर में सीएम पुष्कर धामी व पीएम मोदी की फोटो लगी है, जो आचार संहिता के दौरान बांटे जा रहे हैं, इससे चुनाव प्रभवित हो सकता है।
साहू ने चुनाव प्रभावित होने वाले सभी कार्यों में सख्ती से रोक लगाने की मांग की है। पत्र की प्रतिलिपि निर्वाचन आयोग भारत को भी भेजी गई है। साहू ने बताया सहायक निर्वाचन अधिकारी ने फोन में हुई वार्ता पर कार्रवाई की बात कही है।
यानि कि एक बार फिर भाजपा ने आदर्श आचार संहिता की खुलेआम धज्जियां उड़ाई और जिला निर्वाचन अधिकारी को खबर भी नहीं लगी।
सोच कर देखिए, अगर आदर्श आचार संहिता के दौरान यह दुस्साहस कांग्रेस या कोई दूसरी विपक्षी पार्टी करती, क्या तब भी चुनाव आयोग और जिला निर्वाचन के रौब वाले अधिकारी यूं हीं शांत बैठकर किसी शिकायत का इंतजार करते?
ऐसे में आम जनता क्यों न कहे कि मौजूदा सत्ताधारी पार्टी को चुनाव प्रचार के दौरान नियमों को ताक पर रखकर हर तरफ से भरपूर सहयोग मिल रहा है।
पहले हल्द्वानी की मुख्य सड़क नैनीताल रोड के किनारे स्थित क्वींस पब्लिक स्कूल में संचालित भाजपा के उस कॉल सेंटर का पकड़े जाना जहां से वोटर्स को भाजपा सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के बहाने अपने पक्ष में वोट करने के लिए प्रेरित किया जा रहा था।
जिन्हें नहीं पता उन्हें बता दें कि क्वींस पब्लिक स्कूल से कुछ ही दूरी पर एमबीपीजी कॉलेज में इन दिनों पूरा का पूरा सरकारी अमला चुनाव की तैयारियों में जुटा रहता है लेकिन फिर भी किसी को खबर नहीं लगी। और अब लालकुआं के वार्ड नंबर एक में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा तमाम योजनाओं के लिखे पीएम मोदी और सीएम धामी की तस्वीर वाले कैलेंडर बांटने की घटना…
दोनों ही मामले किसी दूरस्थ पहाड़ी इलाके के नहीं हैं कि जहां रौब वाले अधिकारियों के सरकारी तेल से चलने वाले वाहनों का काफिला नहीं पहुंच सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ…
यही वजह है कि चुनाव में टीवी और अखबारों के जरिए भरमाने वाले खोखले प्रशासनिक दावों पर अब आम जनता का भरोसा भी डगमगाने लगा है। इस चुनाव में नैनीताल जिले में ही लाखों का कैश पकड़ा जा चुका है लेकिन अब तक किसी भी राजनीतिक दल या नेता का नाम सामने नहीं आया।
इतना ही नहीं, हर दो दिन में नैनीताल पुलिस शराब का जखीरा पकड़ रही है लेकिन यहां भी किसी भी नेता का नाम सामने नहीं आया? तो क्या यह जब्त किया पैसा और शराब आम जनता की है? क्या इस चुनाव में नैनीताल जिले में वोटर्स का प्रभावित करने के लिए शराब और पैसा नहीं बंट रहा?
अगर ऐसा है तो यकीनन सारा सिस्टम सही चल रहा है। आम जनता ही खामखां बिना बात के चुनाव आयोग और जिला निर्वाचन के रौब वाले अधिकारियों और मित्र पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रही है।
आखिर में इतना ही कहेंगे कि 19 अप्रैल को वोट डालने जरूर जाइएगा। आपके वोट से क्या बदलेगा और क्या नहीं बदलेगा ये तो नहीं पता लेकिन वोट देकर ही आप लोकतंत्र में निकम्मे नेताओं और भ्रष्ट सिस्टम को कोसने और आवाज उठाने का नैतिक हक रख सकते हैं।