नई दिल्ली/हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। हल्द्वानी के बनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल मुयान और जस्टिस दीपांकर दत्ता की अदालत में सुनवाई हुई। कोर्ट के सामने रेलवे और राज्य सरकार ने जमीन खाली कराने संबंधी दावे पेश किए। कोर्ट ने सरकार से कहा कि प्रभावित लोगों के पुनर्वास के बारे में एक माह में बताएं।
बनभूलपुरा के प्रभावित लोगो की तरफ से अधिवक्ता सलमान खुर्शीद, उत्तराखंड सरकार की तरफ से अभिषेक अत्रे, रेलवे की तरफ से ऐश्वर्य भाटी, कार्तिक जयशंकर, पीबी सुरेश ने पैरवी की।
रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि रेलवे स्टेशन के विस्तार के लिए और ट्रैक पर गौला नदी से कटाव हो रहा है। इस वजह से से रेल विभाग को अतिक्रमित भूमि की तत्काल आवश्यकता है। रेलवे के स्वामित्व वाली करीब 30.04 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण होने का दावा किया गया है।
इस जगह पर 4,365 घरों में करीब 50 हजार लोग रह रहे हैं। सुनवाई के दौरान भूमि के एक हिस्से की तत्काल आवश्यकता को प्रदर्शित करने के लिए कुछ वीडियो और तस्वीरें संदर्भित की गईं, जहां आवश्यक बुनियादी ढांचे के अलावा निष्क्रिय रेलवे लाइन को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने कहा कि सैकड़ों परिवार वर्षों से रह रहे हैं, हम निर्दयी नहीं हो सकते।
कोर्ट ने कहा कि जिस जमीन का अधिग्रहण किया गया है, उसकी पहचान की जाए। इसी तरह जिन परिवारों के प्रभावित होने की संभावना है, उनकी तुरंत पहचान की जाए और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मामला 11 सितंबर के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि हम सभी की बात सुनेंगे और सुझाव मांगेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा सबसे बड़ी बात यह है कि जो वहां रह रहे वो भी इंसान हैं, और वे दशकों से रह रहे हैं…अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं। अदालतों को भी संतुलन बनाए रखने की जरूरत है और राज्य को भी कुछ करने की जरूरत है।
कोर्ट ने कहा कि रेलवे ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है अगर आप लोगों को बेदखल करना चाहते हैं तो नोटिस जारी करें। इससे पहले रेलवे की तरफ से कोर्ट में कहा गया था कि वो वंदे भारत और अन्य ट्रेन वहां चलाना चाहती है, इसको लेकर प्लेटफॉर्म को बड़ा करने की जरूरत है। इसके अलावा ट्रैक पर पानी भर जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव, केंद्र और रेलवे के अफसरों से पूछ कि आखिर लोगों का पुनर्वास किस तरह से होगा? कोर्ट ने आगामी चार हफ्तों के भीतर इस योजना पर काम करने के निर्देश देते हुए कहा कि हम पांचवे हफ्ते में
सुनवाई करेंगे।