जितनी गढ़वाली कुमाऊंनी आज बोली, उतनी कभी नहीं बोली, प्रधानमंत्री मोदी का पहाड़ीपन अंदाज

खबर शेयर करें -

देहरादून, प्रेस 15 न्यूज। सिर पर पहाड़ी टोपी और भाषण में जगह-जगह गढ़वाली-कुमाऊंनी बोली। उत्तराखंड के रजत जयंती समारोह के मुख्य कार्यक्रम में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का हर अंदाज पहाड़ीपन से घुला-मिला दिखा।

उन्होंने गढ़वाली कुमाऊंनी के कई वाक्य बोले, वो भी कई बार। अक्सर प्रधानमंत्री उत्तराखण्ड के कार्यक्रमों में पहाड़ी बोली-भाषा का इस्तेमाल करते रहे हैं, लेकिन आज के भाषण में उन्होंने जितनी गढ़वाली कुमाऊंनी बोली, उतनी कभी नहीं बोली थी। ये ही वजह रही, कि उत्तराखंड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस बार और भी गहरा जुड़ाव महसूस किया।

Ad

प्रधानमंत्री ने अपने चिर-परिचित अंदाज में भाषण की शुरूआत की और कहा-देवभूमि उत्तराखण्ड का मेरा भै बंधु, दीदी, भुलियों, दाना सयाणों, आप सबू तई म्यारू नमस्कार। पैलाग, सैंवा-सौंली।

अपने भाषण के बीच में प्रधानमंत्री ने जब फिर से गढ़वाली में बोलना शुरू किया, तो इसने लोगों को और रोमांचित कर दिया। प्रधानमंत्री बोले-पैली पहाडुं कू चढ़ाई, विकास की बाट कैल रोक दी छै, अब वखि बटि नई बाट खुलण लग ली।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण मे पहाड़ के लोक पर्वों, लोक परंपराओं और महत्वपूर्ण आयोजनों को भी शामिल किया। इस क्रम में उन्होंने हरेला, फुलदेई, भिटोली, नंदादेवी, जौलजीबी, देवीधुरा मेले से लेकर दयारा बुग्याल के बटर फेस्टिवल तक का जिक्र किया।

उत्तराखंड राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग ₹8260.72 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया।

What’s your Reaction?
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0

Ad Ad Ad

संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

सम्बंधित खबरें