हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। किसी आम और खास अपराधी को पकड़ने के लिए पुलिस को कितनी और कैसे मेहनत करनी पड़ती है, इसे समझना हो तो आप दुष्कर्म के आरोपी नैनीताल-लालकुआं दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा के मामले से समझ सकते हैं।
यह भी पढ़ें: लालकुआं: बेबस महिलाओं के आंसू जीते, कठघरिया के पूछियार की विभूति भी काम न आई
दुष्कर्म और पॉक्सो में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी लालकुआं और हल्द्वानी की पुलिस अभी तक मुकेश बोरा की गिरफ्तार नहीं कर पाई है। लेकिन सोचिए अगर मुकेश बोरा की जगह कोई आम व्यक्ति अपराधी की भूमिका में होता, तो क्या तब भी पुलिस यही रवैया अपनाती? पहले ही दिन गरेबां पकड़कर और डंडे मारकर थाने घसीट लाती।
भला हो माननीय कोर्ट और माननीय न्यायाधीश महोदय का, जिन्होंने मुकेश बोरा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया, वरना जो पुलिस आज कह रही है कि उसने मुकेश बोरा को पकड़ने के लिए एक दो नहीं सात टीमें लगा रखी हैं, वो इतनी मेहनत कभी नहीं करती।
आपको पता है दुष्कर्म और पॉक्सो का केस दर्ज होने के बाद भी मुकेश बोरा कई दिनों तक लालकुआं से हल्द्वानी, काठगोदाम और देहरादून के चक्कर लगाता रहा। लेकिन तब मित्र पुलिस ने उसे पकड़ने या पूछताछ की जहमत नहीं उठाई। मुकेश बोरा बेरोकटोक बेखौफ अपनी जमानत के लिए घूमता रहा लेकिन तब पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। पिछले कुछ घंटों से वही पुलिस मुकेश बोरा को ढूंढने का दम भर रही है।
यह भी देखें :
कहा जा रहा है कि कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद से एक्टिव हुई पुलिस की एक दो नहीं बल्कि सात टीमें मुकेश बोरा की तलाश में जुटी हैं। लेकिन है मजाल जो मुकेश बोरा पुलिस की गिरफ्त में इतनी आसानी से आ जाए।
मुकेश बोरा को जानने वाले बताते हैं कि अभी भी मुकेश बोरा जेल जाने से बचने की जुगत में लगा है। जिस तरह से मुकेश बोरा छुपा बैठा है, ठीक उसी तरह उत्तराखंड की राजनीति में छुपा उसका गुरु भी है। बताया जा रहा है कि नैनीताल पुलिस की पकड़ से बाहर इन दिनों मुकेश बोरा अपने उसी राजनीतिक गुरु की शरण में निश्चिंत बैठा है।
यह भी पढ़ें: ब्रेकिंग न्यूज: नहीं आई सत्ता की करीबी काम, अब जेल जाएगा मुकेश बोरा
बीते 31 अगस्त से जब से पीड़िता ने लालकुआं थाने में तहरीर देकर मुकेश बोरा के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत दिखाई थी तभी से मुकेश बोरा कानून के फंदे से बचने की जुगत में लग गया था। कोर्ट से दो बार मायूसी हाथ लगने के बाद भी मुकेश बोरा के राजनीतिक मित्र उसे बचाने के तरकीब सुझा रहे हैं।
ऐसे में चौतरफा दबाव के बाद अब पुलिस ने मुकेश बोरा की संपत्ति कुर्क की तैयारी शुरू कर दी है। कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद 82 का नोटिस भेजकर मुकेश बोरा के दो घरों के बाहर मुनादी कराने की रस्म भी निभा दी है।
पुलिस उसके हल्द्वानी और धारी स्थित पैतृक आवास पहुंचकर ढोल बजाकर मुनादी कराई और 82 का नोटिस चस्पा किया। हो सकता है कि घर की कुर्की बचाने के लिए अब मुकेश बोरा अगले कुछ घंटों में पुलिस की पकड़ में आ जाए। लेकिन सवाल यह है क्या यही मुकेश बोरा की संपत्ति है?
जानकर बताते हैं कि मुकेश बोरा ने दुग्ध संघ के साढ़े पांच साल के कार्यकाल में खूब काला धन कमाया है। ऐसे में उसके कई ठिकाने हल्द्वानी से लेकर देहरादून और राज्य के बाहर भी हो सकते हैं। उत्तराखंड की राजनीति में कई सफेदपोश उसकी काली कमाई और काले चरित्र में साझेदार हैं।
यही वजह है कि मूलरूप से नैनीताल जिले के धारी ब्लॉक के च्यूरीगाढ़ का रहने वाला मुकेश बोरा पुत्र कुशल सिंह दुग्ध संघ की आड़ में सफेद दूध का काला कारोबारी बन गया। हल्द्वानी में मुकेश बोरा ऊंचापुल हिम्मतपुर मल्ला में सरकारी स्कूल के पास पत्नी और बच्चों के साथ रहता था।
मुकेश बोरा का चरित्र ही नहीं कार्यकाल भी दागदार रहा। पिछले साढ़े पांच साल से आंचल ब्रांड वाले सफेद दूध की आड़ में कई घोटाले करने वाला मुकेश बोरा आज दिन तक अपनी राजनीतिक पकड़ से बचा घूम रहा है।
दुग्ध संघ में आज भी मुकेश बोरा के प्यादे जिम्मेदार पदों में बैठे हैं। जिन पर मुकेश बोरा अटूट विश्वास करता है। अगर डेयरी निदेशालय के जिम्मेदार जांच का दायरा बढ़ाने की हिम्मत दिखाएं तो दुग्ध संघ में बैठे मुकेश बोरा के घोटालों के दूसरे राजदार भी एक झटके में बेपर्दा हो जायेंगे। इससे कहीं न कहीं हजारों दुग्ध उत्पादकों को ही फायदा होगा और नैनीताल-लालकुआं दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के माथे पर लगा भ्रष्ट्राचार का कलंक भी मिटेगा।