उत्तराखंड में पुलिस वर्दी की धौंस दिखाकर आम लोगों को सताती है, पिथौरागढ़ में साबित हो गया

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पिथौरागढ़, प्रेस 15 न्यूज। एक बार फिर उत्तराखंड में खाकी शर्मसार हुई है। एक बार फिर साबित हुआ है कि कैसे पुलिस की वर्दी में आम लोगों को पुलिस सताती है और जेल में ठूंस देती है। पिथौरागढ़ के एसपी रहे IPS लोकेश्वर सिंह के ऐसे ही काले कारनामे पर मुहर लग गई है।

राज्य पुलिस प्राधिकरण ने गृह विभाग को उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति दे दी है। उम्मीद है कि अब वो अपने कर्मों की सजा भुगतेंगे।

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पिथौरागढ़ के पुलिस कप्तान रहे आईपीएस (इस्तीफा दे चुके) लोकेश्वर सिंह को राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने उनके पास शिकायत लेकर आए व्यक्ति को प्रताड़ित करने का दोषी पाया है।

पूर्व कप्तान ने आरटीआई कार्यकर्ता लक्ष्मी दत्त जोशी को अपने कार्यालय में नग्न किया और उनके साथ मारपीट की। इसके बाद उन्हें झूठे मुदकमों में फंसाने की धमकी भी दी। प्राधिकरण ने लोकेश्वर सिंह के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए सरकार को निर्देशित किया है।

आरटीआई कार्यकर्ता और कपड़ों के व्यापारी लक्ष्मी दत्त जोशी ने राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण को शिकायत की थी। जोशी का कहना था कि वह भी पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त सफाई कर्मचारी के बेटे हैं। उनका घर पुलिस लाइंस परिसर में ही स्थित है। वह छह फरवरी 2023 को पुलिस विभाग के क्वार्टर से निकल रही गंदगी की शिकायत करने के लिए एसपी पिथौरागढ़ लोकेश्वर सिंह के पास गए थे।

आरोप था कि इस पर लोकेश्वर सिंह उन्हें अपने कार्यालय से सटे एक कमरे में ले गए। वहां पर कोई सीसीटीवी नहीं था। इसके बाद उन्हें नग्न किया और मारपीट शुरू कर दी। उनके मातहतों ने भी जोशी के साथ मारपीट की। इसके बाद उन्होंने जोशी को पिछले दरवाजे से बाहर निकाल दिया जहां पर सीसीटीवी कैमरे नहीं थे।

इस पर उन्होंने जिला चिकित्सालय में अपना मेडिकल कराया जिसमें उन्हें एक्स-रे की सलाह दी गई। इस शिकायत पर प्राधिकरण ने लोकेश्वर सिंह को बुलाया लेकिन वो गैर हाजिर रहे। उन्होंने शपथपत्र के साथ अपना पक्ष प्राधिकरण के पास भेजा।

इसमें कहा गया कि जोशी आपराधिक किस्म के व्यक्ति हैं और उनके खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज हैं। उस दिन भी जोशी को कुछ वाहनों में आगजनी में पूछताछ के सिलसिले में बुलाया गया था। लोकेश्वर सिंह ने मारपीट के आरोपों से इन्कार किया था।

पूर्व कप्तान लोकेश्वर सिंह ने अगली सुनवाई में भी इसी प्रकार अपना जवाब भेजा और कहा कि पुलिस लाइंस में गंदगी वाली बात भी सही नहीं है। इस पर शिकायतकर्ता जोशी ने मुकदमों के संबंध में बताया कि सभी मुदकमों में पुलिस कर्मचारी ही वादी हैं और इनमें से किसी में भी उन्हें सजा या जुर्माना नहीं लगाया गया है।

इससे पहले लोकेश्वर सिंह पद से इस्तीफा दे चुके हैं। इसी साल अक्तूबर में उनका चयन यूएन में हो गया था। हिमाचल निवासी लोकेश्वर सिंह ने 11 साल तक उत्तराखंड में सेवाएं दी थी। इस दौरान वह बागेश्वर, चम्पावत, पिथौरागढ़ और पौड़ी जिले के कप्तान रहे ।

पौड़ी में सेवाकाल के दौरान ही उनका चयन यूएन में हो गया था। वह अगले पांच साल तक यूएन में सेवाएं देंगे। इधर, पूर्व एसपी लोकेश्वर सिंह ने राज्य पुलिस प्राधिकरण में दिए गए शपथ पत्र में आरोपों को झूठा और निराधार बताया था। उन्होंने कहा था कि लक्ष्मी दत्त जोशी एक आपराधिक किस्म के व्यक्ति हैं। प्राधिकरण ने एसपी के शपथ पत्रों में विरोधाभास पाया था।

इतना ही नहीं आईपीएस लोकेश्वर सिंह ने मीडिया के जरिए अपनी ईमानदार छवि भी बनाई थी। चम्पावत से ट्रांसफर होने के बाद आईपीएस लोकेश्वर सिंह पिथौरागढ़ के एसपी बने थे। बागेश्वर में एसपी पद पर रहने के दौरान कुछ लोग उन्हें पांच लाख रुपये रिश्वत देने उनके ऑफिस पहुंचे थे। तब एसपी लोकेश्वर सिंह ने आरोपियों को गिरफ्तार कराकर जेल भेज दिया था। उसके बाद लोकेश्वर सिंह चर्चाओं में रहे थे।

उत्तराखंड में पुलिस की बर्बरता का यह पहला मामला नहीं है। बीते कुछ समय से टिहरी निवासी केशव थलवाल के साथ टिहरी पुलिस के अमानवीय व्यवहार का मामला भी छाया है। लेकिन उस मामले में भी दोषी पुलिस कर्मियों पर अब तक कोई सख्त एक्शन नहीं हुआ है। ऐसे कई मामले हैं जहां पर उत्तराखंड के पुलिस अधिकारियों ने वर्दी की धौंस दिखाकर आम लोगों को खून के आंसू रुलाए और उन्हें आज दिन तक न्याय नहीं मिला।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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