(काव्य रचना) हसीन तुम भी कम नहीं… बस तुमको अपनी कद्र नहीं

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हसीन तुम भी कम नहीं

बस तुमको अपनी कद्र नहीं

चेहरे में नूर ले फिरती हो

पर तुम्हें इस नूर की कोई फिक्र नहीं

आंखों में खुशी गम का समंदर है

पर फिर भी तेरे अंदर कोई गम नहीं

जी रही है सबकी खुशी के लिए तू

तुझे अपनी खुशी की कोई फिक्र नहीं

हसीन तुम भी कम नहीं

बस तुमको अपनी कद्र नहीं

खिला रहता है वो आंगन जिस में हो तुम

फिर चाहे किसी को कद्र हो या नहीं

तेरी रेशमी जुल्फों में कई जादू टोने कट जाते हैं

फिर भी तुझे कोई अपनी परवाह नहीं

सुकून हो तुम इस घर का

पर घर वालों को ही पता नहीं

तुम्हारी लकीरों में बंदी है तकदीर है सबकी

तुम्हारी किस्मत का तो कुछ पता नहीं

हसीन तुम भी कम नहीं

बस तुमको अपनी कद्र नहीं

बच्चों का भविष्य जवान का हमसफर

और बुढ़ापे का सहारा हो तुम

पर फिर भी किसी कोई तुम्हारी कद्र नहीं

लाखों में नहीं करोड़ों में तुम एक हो

तुम जैसा हंसी भी हर एक होता नहीं

हसीन तुम भी कम नहीं

बस तुमको अपनी की कद्र नहीं….✍️

(लेखिका प्रीति जोशी सुयाल ‘अंबर’ साहित्य और कविता, गजल लेखन के अलावा समाजसेवा के क्षेत्र में पिछले 15 वर्षों से काम कर रही हैं। मनोविज्ञान और शिक्षाशास्त्र में परास्नातक और एमएसडब्लू डिग्री प्राप्त करने वाली अंबर के गीत, गजल और कविताएं समाचार पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। उन्हें काव्य मंचों में मर्मस्पर्शी गीत- गजलों से समां बांधने के लिए भी जाना जाता है। उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी जानी मानी लेखिका प्रीति जोशी सुयाल ‘अंबर’  को प्रेस 15 न्यूज की तरफ से ढेरों शुभकामनाएं)

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं