

हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है…इन पंक्तियों में समृद्ध विरासतों वाले उत्तराखंड के गांवों की वो सच्चाई छुपी है जिनके दम पर न जाने कितने ही मालामाल हो गए लेकिन गांव उसी हाल में रहा। करीब साल भर से ज्यादा समय से अटके पंचायत चुनाव अब होने जा रहे हैं। डेट भी आ गई है।
पंचायत चुनावों की हाईकोर्ट वाली रोक हटते ही गांवों में चुनावी रंगत चरम पर है। सत्ता की चाबी हाथ से ना फिसले, इसके लिए कुछ प्रत्याशी पत्नी को आगे कर रहे हैं तो कुछ मां को। हल्द्वानी जैसे शहरों में रहने वाले कई पुराने नेता अब गांव की पगडंडी नापते दिख रहे हैं। सिर्फ इसलिए कि किसी भी सूरत में गांव की सरकार उनके हाथ से न छूटे।

अब गांव का चुनाव लड़कर नेताजी बनने का ख्वाब देखने और दिखाने वालों के मन में गांव कितना बसा है, यह बड़ा सवाल है।
आरक्षण ने कुछ चेहरों को पीछे धकेला, तो परिवारवाद ने उन्हें फिर से आगे ला खड़ा किया। सीट महिला आरक्षित हुई तो परिवार की महिलाओं को टिकट मिल गया। अब ‘काम किया था, अब फिर करेंगे’ जैसे नारों के साथ कुनबे के ही सदस्य मैदान में डटे हैं।
चुनावी मैदान में कुछ चेहरे हार का बदला लेने निकले हैं, तो कुछ शहर से गांव की सत्ता तक की दूरी सिर्फ प्रचार में तय करना चाहते हैं। नैनीताल जिले के आठों ब्लॉकों में प्रधान, बीडीसी और जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए होड़ मची है। इस बार पंचायत चुनाव सिर्फ जनप्रतिनिधियों का नहीं, बल्कि पूरे परिवारों की सियासी मौजूदगी का गवाह बन रहा है।
वहीं दूसरी तरफ नैनीताल जिले के बेतालघाट ब्लॉक के गांव तल्ला वर्धो में निर्विरोध ग्राम प्रधान चुनने की परंपरा पिछले 78 साल से जारी है। यहां ग्रामीण सामाजिक एकता की लौ जलाए हुए हैं।
वहीं, नैनीताल से लगभग 10 किलोमीटर दूर सौलिया और तल्ला कुण गांव हैं जहां लगभग 4 किलोमीटर पक्की सड़क नहीं है। ग्रामीण इस मांग को कई वर्षों से कर रहे हैं। वो अपने गाँव को मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए अपने प्रत्यावेदन सरकार और प्रशासन को देते देते थक गए हैं। ऐसे में इस गांव के लोगों ने पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया है।
बताते चलें कि उत्तराखंड में पंचायत चुनाव का पहला चरण में 24 जुलाई और दूसरे चरण में 28 जुलाई को मतदान होगा। वहीं मतगणना 31 जुलाई को होगी।
इस बार चुनाव में कुल 66,418 पदों पर मतदान कराया जाएगा, जिनमें ग्राम पंचायत सदस्य: 55,587 पद, ग्राम प्रधान: 7,499 पद, क्षेत्र पंचायत सदस्य: 2,974 पद, जिला पंचायत सदस्य: 358 पद शामिल हैं।
इसके लिए प्रदेश भर में 8,276 मतदान केंद्र और 10,529 मतदान स्थल बनाए गए हैं।
इन पंचायत चुनावों में कुल 47,77,072 मतदाता भाग लेंगे, जिनमें पुरुष मतदाता: 24,65,702, महिला मतदाता: 23,10,996, अन्य: 374 शामिल हैं। 2019 की तुलना में मतदाताओं की संख्या में करीब 10.57% (4,56,793) की वृद्धि दर्ज की गई है।

