देहरादून और ऋषिकेश में नदी, नालों और गधेरों पर कब्जा, जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई

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नैनीताल प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने देहरादून में जल धाराओं, जल स्रोत्रों, पर्यावरण संरक्षण और नदियों में मंडरा रहे खतरे संबंधी तीन अलग अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 25 अगस्त तक याचिकाकर्ता और सरकार से वर्तमान स्थिति से अवगत कराने को कहा है।

मुख्य न्यायधीश जी.नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खण्डपीठ ने अगली सुनवाई 25 अगस्त के लिए तय की है।

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने कहा कि खण्डपीठ ने पूर्व में कहा था कि नदी, नालों और गधेरों में जहां जहाँ अतिक्रमण हुआ है, उसे हटाया जाए और उस जगह पर सी.सी.टी.वी.कैमरे लगाए जाएं।

इन्हें, उसी तरह से सी.सी.टी.वी.कैमरे लगाकर मैनेज किया जाय जैसे सड़को के दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्रों को किया जाता है।

खंडपीठ ने डीजीपी से कहा है कि वो सम्बंधित एस.एच.ओ.को ऐसी घटनाओं वाली जगहों के अतिक्रमणकारियो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रिपोर्ट पेश करके को कहें।

न्यायालय ने सचिव शहरी विकास से भी कहा था कि वो प्रदेश के नागरिकों में एक संदेश प्रकाशित करें कि नदी नालों और गधेरों में अतिक्रमण, मलुआ या अवैध खनन ना करें, जिसकी वजह से मानसून सीजन में किसी तरह की दुर्घटना न हो।

मामले के अनुसार, देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल और उर्मिला थापर ने उच्च न्यायालय में अलग अलग जनहित याचिकाएं दायर कर कहा कि देहरादून के सहस्त्रधारा की जलमग्न भूमि में भारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं, जिससे जल स्रोतों के सूखने के साथ ही पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है।

जबकि दूसरी याचिका में कहा गया कि ऋषिकेश में नालों, खालों और ढांग पर बेइंतहां अतिक्रमण और अवैध निर्माण किया गया। खासकर बिंदाल और रिष्पना नदी में। इसलिए इन पर हुए अतिक्रमण को हटाया जाय। लेकिन न्यायालय के पूर्व के आदेश का पूरी तरह से पालन नही हुआ। इसलिए उस आदेश का अनुपालन कराया जाय।

(नैनीताल से वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट)

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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