

हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद बसगांव जमीन फर्जीवाड़े में शामिल शातिरों के खिलाफ (एफआईआर) मुकदमा दर्ज करने के आदेश हो ही गए।
काठगोदाम सर्किट हाउस में सुनवाई के दौरान सामने खड़े बसगांव के ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी से आयुक्त ने यहां तक कह दिया कि मुझे आप पर शक है अब मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस के सामने अपना पक्ष रखना।
दोपहर 2:40 मिनट पर जैसे ही बसगांव ग्राम प्रधान ललिता देवी अपने पति मोहन चंद्र जोशी और गांव के चार लोगों के साथ लैंड फ्रॉड कमेटी के सामने पेश हुई तो उन्हें देखते ही आयुक्त दीपक रावत बोले कि बसगांव मामले में अब चर्चा करने के लिए कुछ बचा नहीं है, अब तो आप लोग सीधा जेल जाओगे।
आयुक्त ने ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी से कहा कि उनकी उत्सुकता इतनी है कि जिनके आधार कार्ड लगे हैं उन दो आदमियों को कौन लाया, ये बताओ?
जवाब में ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी बार बार यही कहते नज़र आए कि उन्हें नहीं पता। जिस पर आयुक्त ने कहा तो फिर जब इस फर्जीवाड़े की रजिस्ट्री हो रही थी तो क्यों वहां ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी मौजूद था। क्या यह महज इत्तेफाक था या कुछ और?
आयुक्त ने ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी से कहा अगर आपकी फर्जी मुहर लगी है तो फिर क्यों आज तक आपने इसकी लिखित शिकायत पुलिस से नहीं की? आयुक्त दीपक रावत के किसी भी जवाब का ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी और ग्राम प्रधान ललिता जोशी जवाब नहीं दे पाए।
सुनवाई के दौरान आयुक्त ने बसगांव फर्जीवाड़े में शामिल चकलुवा निवासी भगवत सिंह भंडारी के साथ साथ छीमी गांव के मोहन सिंह छिम्वाल और पंपिंग हाउस के काम करने वाले हरीश पांडे का भी जिक्र किया।
लेकिन मजे की बात यह थी कि ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी और ललिता देवी की सुई सिर्फ मोहन सिंह छिम्वाल पर अटकी थी। दोनों अपनी बात में भगवत सिंह भंडारी का नाम लेने से बच रहे थे।
“प्रेस 15 न्यूज” को आयुक्त दीपक रावत ने बताया कि आज बसगांव फर्जीवाड़े की सुनवाई के बाद इस मामले में मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि आरोपियों का अगला ठिकाना जेल बनेगा।
“प्रेस 15 न्यूज” को कुमाऊं आयुक्त और माननीय मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत ने बताया कि लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक में 86 मामलों की सुनवाई हुई जिनमें से 29 मामलों में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं।
ऐसे में अब तक खुले में घूम रहे भू माफियाओं और दलालों के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज होगा और फिर उनका ठिकाना जेल बनेगा।
बताते चलें कि स्वर्ग सिधार गए लोगों का फर्जी आधार कार्ड बनाकर बसगांव की जमीन हड़पने वाले मामले ने रामगढ़ ब्लॉक में सबको चौंकाया था।
हल्द्वानी – अल्मोड़ा हाईवे पर सुयालबाड़ी से करीब नौ किलोमीटर दूरी पर स्थित रामगढ़ ब्लॉक में स्थित है बसगांव। इस गांव में करीब नौ महीने पहले सामने आए जमीन फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद से आज दिन तक आरोपी बेख़ौफ घूम रहे हैं।
फिलहाल, इस मामले में आरोपी छीमी गांव निवासी और सुयालबाड़ी में मिठाई की दुकान चलाने वाले मोहन सिंह छिम्वाल ने फर्जी आधार कार्ड के जरिए खरीदी जमीन की रजिस्ट्री कैंसिल कराने के लिए माननीय न्यायालय में आवेदन कर मामले से बच निकलने का रास्ता भी खोजा है।
इस बीच फर्जीवाड़े में शामिल आरोपियों के खिलाफ आयुक्त दीपक रावत के आदेश के बाद सब रजिस्ट्रार नैनीताल की ओर से भवाली थाने में तहरीर सौंपी।
बीते साल अक्टूबर में कुमाऊं आयुक्त और माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव दीपक रावत की जनसुनवाई में बसगांव की 13 नाली 07 मुट्ठी जमीन के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था।
पता चला था कि गांव के लोगों ने जिन मुरलीधर जोशी और जयकिशन जोशी को पिछले 70 सालों में कभी नहीं देखा, उनसे बसगांव से सटे छीमी गांव निवासी और सुयालबाड़ी में मिठाई की दुकान चलाने वाले मोहन सिंह छिम्वाल ने करीब 13 नाली 07 मुट्ठी जमीन खरीद ली। स्वर्ग सिधार चुके लोगों का फर्जी आधार कार्ड बना दिए। और प्रधान की मुहर का भी इस्तेमाल हुआ।
छीमी गांव निवासी मोहन सिंह छिम्वाल और उसके साथी कमोली पंपिंग पेयजल योजना से जुड़े हरीश पांडे और मूलरूप से कुलगाढ़ और वर्तमान में चकलुवा, कालाढूंगी निवासी भगवत भंडारी ने स्वर्ग सिधार चुके लोगों के फर्जी आधार कार्ड बनवा दिए थे। और बसगांव की कई नाली जमीन को ठिकाने लगाने की तैयारी कर रहे थे।
इतना ही नहीं फर्जी आधार कार्ड से जमीन ठिकाने लगाने के मामले के सामने आने के बाद बसगांव समेत आसपास के गांवों में जमीन फर्जीवाड़े के कई दूसरे चौंकाने वाले मामले भी सामने आ चुके हैं।
बताते चलें कि बसगांव जमीन फर्जीवाड़े की जानकारी गांव के एक युवक को अखबार में छपे विज्ञापन से लगी थी जिसके बाद गांव के व्हाट्सएप ग्रुप में जब यह विज्ञापन फॉरवर्ड हुआ तो हड़कंप मचा था। गांव के लोगों को इस जमीन फर्जीवाड़े में ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी और पटवारी की भूमिका भी संदिग्ध मिली।
गांव के लोग बताते हैं कि ग्राम प्रधान के दो कार्यकाल में दौरान बसगांव में बाहरियों ने जमकर जमीन की खरीद फरोख्त की है। यानी जिस ग्राम प्रधान पर गांव की जमीनों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी थी, उसने ही गांव और गांव वालों के साथ धोखा किया।
बसगांव में बीते 10 सालों में ग्राम प्रधान ने गांव की जमीनों को बिकवाने में इतना इंटरेस्ट क्यों दिखाया, यह भी किसी से नहीं छुपा है। लेकिन जब से इस मामले में गर्दन फंसी तब से ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी यही कह रहे हैं कि उनका इस फर्जीवाड़े से कोई लेना देना नहीं है। इतना ही नहीं इस फर्जीवाड़े को उन्होंने ही गांव वालों के सामने खोला है।
गांव के लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गांव की फलपट्टी और हिमालय व्यू वाली जमीन पर भू माफियाओं की नजर टिकी है। लंबे समय से भू माफिया कमीशन का लालच देकर गांव की जमीनों का सौदा करा रहे हैं। लेकिन बगैर ग्राम प्रधान और पटवारी की मिलीभगत के यह मुमकिन नहीं है।
गांव के लोगों ने तो यहां तक बताया कि ग्राम प्रधान की एक मुहर के एवज में जमीन खरीदने वाले बाहरी लोग एक से डेढ़ लाख तक चुका रहे हैं। अब गांव के लोगों की इस बात का सच क्या है यह तो ग्राम प्रधान और गांव में जमीन खरीदकर कोठी, होम स्टे बनाने वाले ही बता सकते हैं।
लेकिन अगर ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी पर लगे आरोप सच हैं तो आप समझ सकते हैं कि गांव में जहां आम ग्रामीण मेहनत मजदूरी कर जंगली जानवरों से जूझ कर जैसे तैसे अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं वहां कैसे ग्राम प्रधान मौज काट रहे हैं।
गांव के लोगों ने तो यहां तक कहा कि अगर ग्राम प्रधान के बैंक खातों और लेनदेन की जांच हो जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। ग्रामीणों ने कहा कि गांव की जमीनों को बचाने के लिए ग्राम प्रधान और दूसरे जनप्रतिनिधियों की तरफ से कोई पहल नहीं की गई। यही वजह है भू माफिया गांव की जमीनों पर गिद्ध सी निगाह गड़ाए हैं।
फिलहाल पिछले 10 महीने से खुली हवा में घूम रहे बसगांव बेचकर अमीर बनने का ख्वाब देखने वाले एक एक आरोपी के भ्रष्टाचार की उल्टी गिनती अब शुरू हो चुकी है। लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक में आयुक्त दीपक रावत के साथ- साथ आईजी कुमाऊं रिधिम अग्रवाल, एडीएम (वित्त) फिंचा राम चौहान समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।



