
हल्द्वानी/नैनीताल, प्रेस 15 न्यूज। कहते हैं जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है। गरीब, बेबस, पीड़ित की सुनवाई जब सिस्टम में बैठे लोग नहीं करते और खुद को भगवान समझने लगते हैं तो एक बार को हिम्मत टूट जाती है। लेकिन तब भी एक दरबार पर भरोसा बना रहता है और वो दरबार भगवान का घर होता है।
कुमाऊं के लोगों में भी न्याय देवता गोल्ज्यू के प्रति यूं ही श्रद्धा और विश्वास कायम नहीं है। यहां के बच्चे बच्चे को विश्वास होता है कि अगर हम गलत नहीं तो हमारे साथ देर से ही सही न्याय जरूर होगा। और लोगों में न्याय की ये उम्मीद न्याय देवता गोल्ज्यू महाराज ही जगाते हैं।
उत्तराखंड पुलिस विभाग में सोमवार को बड़े पैमाने पर तबादले हुए। शासन ने देर रात 16 आईपीएस और आठ पीपीएस अधिकारियों के तबादले आदेश जारी किए। इसमें नैनीताल, पौड़ी, चमोली और उत्तरकाशी के कप्तान को नई जगह तैनाती मिली है।
इसके साथ ही हल्द्वानी के एसपी सिटी प्रकाश चंद्र को भी पद से हटाते हुए पीटीसी यानी पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय नरेंद्रनगर में उप प्रधानाचार्य बनाया गया है। अब वो प्रधानाचार्य के अनुमोदन के बाद प्रशिक्षण, परीक्षाओं और परिणाम से संबंधित सभी कार्य करेंगे।
लेकिन इधर से उधर होने वालों में सबसे ज्यादा ध्यान जिस नाम पर गया वो नैनीताल एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा का था।
नैनीताल जिले में पिछले करीब ढाई साल से एसएसपी की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रह्लाद नारायण मीणा का सोमवार देर रात ठिकाना बदल गया। जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया में फैली मानो जिले के पीड़ितों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
दरअसल, लंबे समय से नैनीताल जिले में एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा के ट्रांसफर की मांग आमजन से लेकर सत्ता और विपक्ष के नेताओं में उठ रही थी। विधानसभा तक में एसएसपी हटाओ की गूंज सुनी गई और इसके पीछे की वजह नैनीताल जिले की लचर कानून व्यवस्था और लगातार बढ़ता नशा माफियाओं का नेटवर्क रही।
जिले में पंचायत चुनाव के दौरान अपहरण कांड हो या फिर हल्द्वानी, नैनीताल, रामनगर, लालकुआं, बेतालघाट, खनस्यूं, ओखलकांडा समेत जिले का शायद ही कोई गांव शहर हो जहां आम आदमी पीड़ित बना घूम रहा था और असामाजिक तत्व बेख़ौफ।
इतना ही नहीं जिला पंचायत सदस्य अपहरण कांड में तो सुनवाई के दौरान माननीय चीफ जस्टिस तक कई बार सीधे तौर पर एसएसपी मीणा को फटकार लगा चुके थे। बावजूद इसके अब तक मीणा के एसएसपी की कुर्सी पर बना रहना नैनीताल के लोगों को हैरान कर रहा था। इसे लेकर कहीं न कहीं राज्य सरकार भी आमजन के कोप का शिकार बन रही थी।
आम लोगों के मन में सवाल थे कि आखिर नैनीताल जिले में कानून व्यवस्था लगातार हर दिन दम तोड़ रही है। अपराधी बेलगाम हैं, फिर क्यों एसएसपी सड़क पर नहीं निकलते?
आपको हल्द्वानी निवासी अच्छे भले शिक्षक से पीड़ित भाई बनने को मजबूर कमल कफल्टिया भी याद होंगे जो लंबे समय से गौलापार में ब्याही अपनी स्वर्ग सिधार चुकी बहन को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने भी कहा कि नैनीताल के एसएसपी मीणा से जब उन्होंने न्याय दिलाने को कहा तो उल्टा उन्हें ही धमकाया गया।
न्याय मांगने पर नैनीताल पुलिस के अधीन चोरगलिया और मुखानी थाना पुलिस ने उन्हें ही अपराधी बना दिया। आज नैनीताल पुलिस के सताए कमल कफल्टिया सोशल मीडिया में “सत्यमेव विजयते” के माध्यम से पीड़ितों की प्रभावी आवाज उठा रहे हैं। हालाकि ये करना उनके लिए इतना भी आसान नही है। उन्हें घर में कैद रहने को मजबूर होना पड़ा है। यह भी नैनीताल पुलिस की अब तक की कार्यशैली बताने को काफी है।
आखिर क्यों अपराधियों के बजाय आम पीड़ित थाने चौकियों में जाने से डर रहा है? नैनीताल जिले के विभिन्न थानों में तैनात पुलिस क्यों सीएम पोर्टल पर की गई शिकायतों को अनदेखा करती है? आखिर थाना चौकी में बैठे वर्दीधारी क्यों इतनी मनमानी कर रहे हैं?
बड़ा आरोप कहें या सत्यता कि एसएसपी मीणा ने कभी भी आमजन से मिलना तो दूर उनका फोन तक रिसीव नहीं किया। चर्चा तो यहां तक रही कि पुलिस के कोतवाल और सीओ रैंक के अधिकारी भी साहब से मैसेज मैसेज कर ड्यूटी करते थे। उन्हें सीधे कॉल की इजाजत नहीं थी।
ऐसे में आप समझ सकते हैं कि आम आदमी को न्याय दिलाने के प्रति कप्तान कितने गंभीर रहे होंगे।
पिछले दिनों ही आखिरी बार एसएसपी को घुटनों के बल सड़क पर बैठने को मजबूर सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक बंशीधर भगत ने किया था। विधायक का आरोप था कि एसएसपी मीणा और उनके अधीन रहने वाली कोतवाली पुलिस कानून का मखौल उड़ा रही है।
विधायक ने यहां तक कहा था कि उन्होंने कई बार एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा से हल्द्वानी के कई इलाकों में बिक रहे स्मैक और दूसरे नशे के सौदागरों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया।
ऐसे एक नहीं न जाने कितने ही मामले हैं जब नैनीताल जिला अपराध के चलते देशभर में बदनाम हुआ लेकिन एसएसपी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
8 फरवरी 2024 का बनभूलपुरा कांड आज तक कोई भी नहीं भूला है जिसने शांत हल्द्वानी की छवि को देशभर में ही नहीं विदेशों तक में धूमिल किया। यह वारदात भी कहीं न कहीं अनुभवहीन, नेतृत्वहीन कानून और प्रशासनिक नेतृत्व का परिचायक थी। बावजूद तब न तो जिले की तत्कालीन डीएम वंदना सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई और न ही एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा पर।
ऐसे तमाम वाकए हैं जब तक पीड़ितों ने किसी नेता के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन नहीं किया तब तक नैनीताल पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। कई मामलों में तो पीड़ित थक हारकर हिम्मत हार गए और गोल्ज्यू और ईष्ट देवता के दरबार में ही अर्जी लगाने पहुंचे।
सोशल मीडिया में जैसे ही सोमवार रात एसएसपी मीणा के तबादले की खबर आई तो मानो नैनीताल जिले के विभिन्न थानों चौकियों में सताए पीड़ितों में उम्मीद जग गई।
आज आखिरी बार एसएसपी मीणा राजभवन में कैंची धाम से लौटे पूर्व राष्ट्रपति को गुलदस्ता देते देखे गए। ऐसे में कई पीड़ित एसएसपी की विदाई को बाबा नीम करौली की कृपा भी मान रहे हैं क्योंकि आज ही पूर्व उपराष्ट्रपति कैंची धाम से लौटे थे। पीड़ितों का कहना है कि उन्होंने न्याय के लिए बाबा के धाम में भी अर्जी लगाई थी।
नए पुलिस कप्तान मंजूनाथ टीसी को लेकर खासकर पीड़ितों के मन में अब उम्मीद है कि वो उन्हें न्याय दिलाने में सहयोग करेंगे। हालाकि नए एसएसपी का कार्य व्यवहार पीड़ितों के प्रति कैसा रहेगा, यह वक्त बताएगा। लेकिन उम्मीद तो सकारात्मक ही की जा सकती है।









