नैनीताल: कुमाऊं विश्वविद्यालय में जो न हो कम है, अब सामने आया PK फर्जीवाड़ा

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नैनीताल, प्रेस 15 न्यूज। एक आम आदमी अपने जायज कामों के लिए सरकारी विभागों और अधिकारियों के चक्कर काटने को मजबूर होता है। किस्मत ठीक रही तो ठीक वरना वो थक हराकर अपने जायज काम को कराने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाता।

इन सबके बीच गेटिंग सेटिंग में माहिर लोगों के काम कभी नहीं रुकते। अधिकारी उन्हें सलाम ठोकते हैं और स्पेशल ट्रिटमेंट भी देते हैं। ये सारी कहानी आपको कुमाऊं विश्वविद्यालय के नए घोटाले की वजह से सुनाने को मजबूर हुए हैं।

कुमाऊं विश्विद्यालय में करीब 20 साल बाद के बाद एक बार फिर भौतिकी प्राध्यापक पद पर नियुक्ति में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इस मामले में कुमाऊं विश्वविद्यालय की ओर से भी जांच कमेटी भी बनाई गई थी।

हाईकोर्ट ने इस मामले में 2 हफ्ते के भीतर नियुक्ति से संबंधित अभिलेख प्रस्तुत करने के निर्देश कुमाऊं विश्वविद्यालय को दिए हैं। अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होनी है।

न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में दिल्ली में रह रहे पवन कुमार मिश्रा की याचिका पर सुनवाई हुई।

कहा गया है कि 2005 में विश्वविद्यालय की ओर से डीएसबी परिसर भौतिकी विभाग में प्राध्यापक पद पर नियुक्ति प्रक्रिया की गई। याचिकाकर्ता के अनुसार चयन समिति की ओर से उनका चयन किया गया था लेकिन कुमाऊं विश्वविद्यालय ने उनके स्थान पर प्रमोद कुमार मिश्रा को नियुक्ति दे दी, जो वर्तमान में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।

कुमाऊं विश्वविद्यालय ने पीके मिश्रा नाम के आधार पर नियुक्ति दे दी, जो पूरी तरह गलत था। दोनों अभ्यर्थियों का अंग्रेजी में शार्ट नेम पीके था। याचिका में इस गड़बड़ी की जांच करने और प्रमोद की नियुक्ति रद्द कर उनकी नियुक्ति की मांग की है।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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