(बड़ी खबर): बसगांव जमीन फर्जीवाड़े से जुड़े आरोपियों के लिए बुरी खबर, होली के बाद उड़ेंगे चेहरे के रंग… देखें VIDEO

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक के सिमराड क्षेत्र में स्थित गांव बसगांव में हुए जमीन फर्जीवाड़े में शामिल आरोपियों के लिए बुरी खबर है। पिछले पांच महीने से खुली हवा में घूम रहे एक एक आरोपी के खिलाफ जमीन फर्जीवाड़े का मुकदमा दर्ज होगा। ऐसे में मुश्किलें बढ़ना तय हैं।

कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत की अध्यक्षता में होने वाली लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक लंबे समय से नहीं हो सकी है। लेकिन मार्च के दूसरे हफ्ते यानी होली के बाद लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक होने जा रही है।

बड़ी बात यह है कि बसगांव जमीन फर्जीवाड़े का यह मामला कुमाऊं आयुक्त की प्राथमिकता में है। ऐसे में यह तय है कि बसगांव जमीन फर्जीवाड़े से जुड़े एक एक आरोपी की मुश्किलें बढ़ना अब तय है।

“प्रेस 15 न्यूज” संवाददाता से लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक और बसगांव जमीन फर्जीवाड़े को लेकर यह अहम जानकारी कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने साझा की है।

देखें वीडियो: होली के बाद उड़ेंगे बसगांव की जमीन को ठिकाने लगाने वालों के चेहरे के रंग 👇👇👇

बीते साल अक्टूबर में कुमाऊं आयुक्त और माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव दीपक रावत की जनसुनवाई में बसगांव की 13 नाली 07 मुट्ठी जमीन के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था।

पता चला था कि गांव के लोगों ने जिन मुरलीधर जोशी और जयकिशन जोशी को पिछले 70 सालों में कभी नहीं देखा, उनसे बसगांव से सटे छीमी गांव निवासी और सुयालबाड़ी में मिठाई की दुकान चलाने वाले मोहन सिंह छिम्वाल ने करीब 13 नाली 07 मुट्ठी जमीन खरीद ली। स्वर्ग सिधार चुके लोगों का फर्जी आधार कार्ड बना दिए। और प्रधान की मुहर का भी इस्तेमाल हुआ।

आरोप है कि बसगांव ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी की मिलीभगत से छीमी गांव निवासी मोहन सिंह छिम्वाल और उसके साथी कमोली पंपिंग पेयजल योजना से जुड़े हरीश पांडे और मूलरूप से कुलगाढ़ और वर्तमान में चकलुवा, कालाढूंगी निवासी भगवत भंडारी ने स्वर्ग सिधार चुके लोगों के फर्जी आधार कार्ड बनवा दिए थे। और बसगांव की कई नाली जमीन को ठिकाने लगाने की तैयारी कर रहे थे।

बसगांव की जमीन ही नहीं ढोकाने वॉटर फॉल के साथ ही श्री कैंची धाम तहसील (पूर्व नाम कोश्याँकुटोली तहसील) के सलकुली गांव निवासी एक गरीब किसान को भी ठगने में शातिरों ने कोई कसर नहीं छोड़ी।

फिलहाल मामले में लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक न होने से सभी शातिर आजाद घूम रहे हैं और कानून के चंगुल से बचने के रास्ते तलाश रहे हैं।

गांव में तो चर्चा यहां तक है कि आरोपियों की राजनीतिक पकड़ मजबूत है। ये पैसा खिलाने और सेटिंग करने में माहिर हैं। यही वजह है कि बीते पांच महीने से सारे आजाद घूम रहे हैं। यही नहीं गांव के लोगों को भी ये जता रहे हैं कि उनका बाल भी बांका नहीं हो सकता।

इतना ही नहीं इस मामले के सामने आने के बाद गांव के युवाओं ने गांव की जमीन को भू माफियाओं से बचाने की ठानी और आननफानन में हल्द्वानी पहुंचकर ग्राम सभा सुरक्षा समिति बसगांव का भी पंजीकरण करवाया लेकिन कुछ दिन बाद वो भी शांत हो गए। ऐसे में समिति से जुड़े ग्रामीणों की मंशा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

फिलहाल बसगांव मामले में कुमाऊं आयुक्त और मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत सख्त एक्शन के मूड में हैं। होली के बाद कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक लेने जा रहे हैं। जिसके बाद लैंड फ्रॉड का मुकदमा दर्ज होगा। ऐसे में बसगांव जमीन फर्जीवाड़े से जुड़े एक एक आरोपी की मुश्किलें बढ़ना तय है।

इस मामले से जुड़े छीमी गांव निवासी मोहन सिंह छिम्वाल और उसके साथी कमोली पेयजल पंपिंग योजना के कर्मचारी हरीश पांडेय और मूलरूप से गांव कुलगाड़ और वर्तमान में चकलुवा, कालाढूंगी निवासी भगवत भंडारी ने जमीन फर्जीवाड़े का मुख्य साजिशकर्ता ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी को बताया है।

बीते साल नवंबर में दूसरी बार कुमाऊं आयुक्त और माननीय मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत के कैंप कार्यालय में इस मामले की सुनवाई हुई थी तो उस दिन ग्राम प्रधान ललिता देवी और प्रधानपति मोहन चंद्र जोशी के साथ गांव के जागरूक लोग तो पहुंचे थे लेकिन छीमी गांव निवासी मोहन सिंह छिम्वाल और उसके साथी हरीश पांडेय और भगवत भंडारी गायब थे। जिसके बाद आयुक्त ने भवाली पुलिस को तीनों को नैनीताल कैंप कार्यालय में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

क्वारब पुलिस के साथ जब छीमी गांव निवासी मोहन सिंह छिम्वाल और उसके साथी हरीश पांडेय और भगवत भंडारी कुमाऊं आयुक्त के नैनीताल कैम्प कार्यालय में पहुंचे थे। जब आयुक्त ने तीनों से सुनवाई में न आने और फोन स्विच ऑफ करने के बारे में पूछा तो तीनों ने बारी बारी से अपनी कहानी सुनाई।

कमोली पंपिंग पेयजल योजना से जुड़े हरीश पांडे ने आयुक्त को बताया कि उसकी पत्नी की तबियत खराब हो गई थी, इस कारण उसे अस्पताल जाना पड़ा था। जबकि मोहन सिंह छिम्वाल ने कहा कि वह बीमार चल रहा है, और शनिवार के दिन अल्मोड़ा के अस्पताल में आईसीयू में भर्ती था। इसी तरह भगवत भंडारी ने भी फोन स्विच ऑफ करने और सुनवाई में मौजूद न रहने की अपनी कहानी सुनाई।

जब आयुक्त ने तीनों से पूछा कि आखिर कौन इस फर्जीवाड़े की जड़ में है तो तीनों तपाक से बोले थे – साहब यह सारा किया धरा बसगांव के प्रधानपति मोहन चंद्र जोशी का है। उसी ने जमीन के बारे में जानकारी दी और वही जमीन के मालिक को सामने लाया। रजिस्ट्री के दिन भी मोहन चंद्र जोशी उनके साथ रजिस्ट्री कार्यालय में था।

तीनों ने आयुक्त को बताया था कि गांव में कौन जमीन किसकी है और कौन उसका वारिस है, कौन सी जमीन बंजर है और कौन सी जमीन आबाद है, इसकी जानकारी ग्राम प्रधान और पटवारी को ही होती है। ऐसे में ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी ने ही 70 साल पहले स्वर्ग सिधार चुके लोगों की जमीन को ठिकाने लगाने का पूरा प्लान तैयार किया लेकिन आज वह मुकर रहा है।

हालाकि आयुक्त के सामने छीमी गांव निवासी मोहन सिंह छिम्वाल और उसके साथी हरीश पांडेय और भगवत भंडारी ने खुद को बेकसूर बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन ये साफ है कि इस खेल में उनकी भूमिका भी संदिग्ध ही है।

इस मामले में अपनी गर्दन फंसती देख मोहन सिंह छिम्वाल और उसके साथी हरीश पांडेय और भगवत भंडारी ने अधिवक्ताओं की मदद ली है। ऐसे में जो मोहन सिंह छिम्वाल कुछ दिन पहले तक पुलिस और गांववालों के सामने अपनी गलती मान रहा था, वह आज साफ साफ मुकर रहा है। यानी साफ है कि इस जमीन फर्जीवाड़े से जुड़ा हर शातिर अब कानून का सहारा लेकर बचना चाह रहा है।

बताते चलें कि राजस्व गांव कुलगाड जो वर्तमान में ढोकाने वाटर फॉल के नाम से जाना जाता है, वहां भी ग्रामवासियों की पैतृक कृषि भूमि को खुर्दबुर्द करने का आरोपी भगवंत भंडारी पुत्र कुंवर सिंह निवासी कुलगाड हॉल निवासी चकलुवा, कालाढूंगी है। बकायदा ग्रामीणों ने बीते 29 अक्टूबर को भगवत भंडारी के खिलाफ क्वारब पुलिस चौकी को तहरीर दी है।

इतना ही नहीं श्री कैंची धाम (पूर्व में कोश्याँ कुटोली तहसील) तहसील के सलकुली गांव निवासी विपिन चंद्र पुत्र गोपाल राम ने 11 नवंबर को जिले के कप्तान प्रह्लाद नारायण मीणा को अपने नाम से फर्जी रजिस्ट्री करवाने और इस फर्जीवाड़े में करीब 30 साल पहले मर चुके लोगों का सहारा लेने का आरोपी गांव कुलगाढ़ निवासी भगवत भंडारी और उसके साथी भूपेंद्र सिंह लटवाल निवासी सकूली बिचखाली हाल निवासी हल्द्वानी को बताते हुए दोनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

यानी तीन तीन मामलों में कुलगाड निवासी भगवत भंडारी का नाम आना साफ इशारा किया कि वह कितना बड़ा खिलाड़ी है। पहाड़ में पहाड़ के लोग ही पहाड़ को ठिकाने लगाने का गिरोह चला रहे हैं।

इस मामले में जब “प्रेस 15 न्यूज” संवाददाता ने कुमाऊं आयुक्त और माननीय मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत से बात की तो उन्होंने बताया कि लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक नहीं हो सकी लेकिन मार्च के दूसरे सप्ताह में होली के बाद यह महत्वपूर्ण बैठक होगी।

कुमाऊं आयुक्त ने बताया कि उन्होंने सब रजिस्ट्रार नैनीताल को निर्देशित किया है कि तत्काल बसगांव जमीन फर्जीवाड़े से जुड़े एक – एक आरोपी के खिलाफ कोतवाली में नामजद तहरीर दें। जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ पुलिस की जांच और शिकंजा भी कसेगा।

तय है कि होली के बाद लैंड फ्रॉड कमेटी बैठक होगी और इस मामले में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। उसके बाद बसगांव जमीन फर्जीवाड़े से जुड़ा हर आरोपी सलाखों के पीछे होगा, तब तक आरोपी आजाद घूम सकते हैं।

बताते चलें कि पहले दिन से इस मामले में हरीश पांडेय, मोहन सिंह छिम्वाल और भगवत भंडारी एक ही बात कह रहे हैं कि जमीन फर्जीवाड़े का सूत्रधार प्रधानपति मोहन चंद्र जोशी है। हालांकि एक सुनवाई में आयुक्त के सामने मोहन सिंह छिम्वाल पलट गया था। तब उसने हरीश पांडेय और भगवत भंडारी को इस पूरी साजिश का मुखिया बताया था। जिसके बाद प्रधानपति ने भी राहत की सांस ली थी।

इतना ही नहीं, जब गांव बेचने वालों को सलाखों के पीछे भेजने की बात आई तो ग्राम प्रधान ललिता देवी के साथ साथ ग्राम प्रधानपति मोहन चंद्र जोशी ने इस मामले में जांच को बसगांव पहुंचे तत्कालीन खैरना चौकी इंचार्ज दिलीप कुमार के सामने वादी बनने से साफ इनकार कर दिया। इस फैसले ने भी गांव वालों को चौंकाया था।

गांव के लोग प्रधान की नजर में बुरा न बनने के लिए दबी जुबान से कह रहे हैं कि 10 साल तक गांव की प्रधानी की मलाई तो खा ली लेकिन जब गांव की जमीन को ठिकाने लगाने वालों के खिलाफ आवाज उठाने की बात आई तो ग्राम प्रधान और ग्राम प्रधानपति ने पीठ दिखा दी।

यह भी पढ़ें: बसगांव जमीन फर्जीवाड़े में चौंकाने वाले खुलासे, प्रधानपति की मुश्किलें बढ़ना तय

गांव के लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ग्राम प्रधान पति लंबे समय से गांव की जमीनों का सौदा कराने में बतौर एजेंट की भूमिका निभा रहे हैं। साफ है यह सारा खेल कमीशन के लालच में खेला जा रहा है। अगर सलीके से जांच हो तो कमीशन खाने का ये सारा खेल खुल जाएगा।

फिलहाल बसगांव जमीन फर्जीवाड़े में अब बसगांव ग्राम सभा के साथ साथ आसपास के गांवों की नजर कुमाऊं आयुक्त/सचिव मुख्यमंत्री दीपक रावत की अध्यक्षता वाली लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक का इंतजार है, जिसके बाद पितरों की भूमि को बेचकर अमीर बनने का ख्वाब पाले कमीशनखोरों का असल चेहरा सामने आएगा।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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