नैनीताल: महिला के डांस वाले वीडियो का असर, नयना देवी मंदिर में फोटो खींचने, वीडियो बनाने और अमर्यादित कपड़ों पर लगा प्रतिबंध

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संजय पाठक, प्रेस 15 न्यूज, हल्द्वानी। पर्यटन के नाम पर बीते कुछ समय से उत्तराखंड के पावन मंदिरों और धामों की गरिमा और शांति के साथ खिलवाड़ का दौर जारी है।

उत्तराखंड के पवित्र मंदिर आस्था के दर्शनार्थियों के बजाय सैलानियों की भीड़ से पटे पड़े हैं। अफसोस कि प्रदेश की सियासत को चलाने वालों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता।

नैनीताल के विश्व प्रसिद्ध नयना देवी मंदिर में भी बीते दिनों ऐसा ही वाकया घटा, जिसने मां के इस पावन धाम में आस्था रखने वालों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई।

हालाकि मंदिर में आने वाले सैलानियों के द्वारा यह काम रोजाना हो रहा था, बावजूद इसके मंदिर प्रशासन ने कोई एक्शन नहीं लिया। लेकिन इस बार मंदिर परिसर में महिला के फिल्मी डांस का वीडियो वायरल क्या हुआ, मंदिर प्रशासन को भी अपनी जिम्मेदारी का एहसास हुआ।

जिसके बाद मंदिर समिति ने सख्त रुख अपनाते हुए मंदिर परिसर में रील, वीडियो बनाने वालों के खिलाफ फरमान जारी कर दिया। अब देखना है कि इस आदेश का पालन होता भी है या नहीं?

दरअसल, नयना देवी मंदिर में दर्शन को पहुंची एक महिला ने परिसर में फिल्मी गाने पर डांस का वीडियो बना दिया और कुछ ही देर में वीडियो वायरल भी हो गया। जिसके बाद सोशल मीडिया में वीडियो पर तरह तरह के कमेंट आने लगे। लोगों ने मंदिर की गरिमा को तार तार करने का भी आरोप लगाया।

विरोध बढ़ने के बाद मंदिर प्रबंधन ने मंदिर परिसर में फोटो- वीडियो बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इधर, शुक्रवार को वीडियो बनाने वाली महिला ने भी नयना देवी मंदिर पहुंचकर माफी मांगी।

महिला ने कहा कि उससे गलती हो गई, उसे धार्मिक स्थल में ऐसा वीडियो नहीं बनाना चाहिए था। आगे से वह इस बात का ख्याल रखेगी।

मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी शैलेंद्र मेलकानी के अनुसार, इस घटना के सामने आने के बाद मंदिर परिसर में फोटो, वीडियो खींचने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। परिसर के भीतर फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही मंदिर परिसर पर अमर्यादित कपड़े पहनकर आने वालों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

ऐसे में अब आवाज उठने लगी है कि देवभूमि के हर मंदिर और धाम को पर्यटन से जोड़ने वाली सरकार को समय रहते चेतना चाहिए। सरकार में बैठे सूरमाओं को यह समझना चाहिए कि देवों के धाम आस्था का केंद्र हैं, उन्हें सैर सपाटा का गढ़ न बनने दें। केदारनाथ आपदा को हमेशा जहन में रखें।

जिस फैसले को आज नयना देवी मंदिर समिति ने लिया है, यह फैसला बहुत पहले हो जाना चाहिए था। खैर , देर आए दुरुस्त आए…

पावन मंदिरों में दर्शन के बहाने फोटो, वीडियो बनाने में तल्लीन होने वालों और अमर्यादित कपड़े पहनकर मंदिर को पिकनिक स्पॉट में तब्दील करने वालों के खिलाफ एक्शन होना ही चाहिए। मां नयना देवी की मूर्ति बोल नहीं पाती, इसका मतलब यह नहीं कि मां अपने धाम में यह सब मनमानी खामोशी से सहती रहेगी।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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