

हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। हल्द्वानी – अल्मोड़ा हाईवे पर सुयालबाड़ी से करीब नौ किलोमीटर दूरी पर स्थित रामगढ़ ब्लॉक में स्थित है बसगांव। इस गांव में करीब आठ महीने पहले सामने आए जमीन फर्जीवाड़े के मामले ने सबको चौंकाया था।
लेकिन जैसे जैसे समय बीत रहा है, अब आरोपियों को नींद उड़ी हुई है।
क्षेत्र में थू थू होने और कमीशनखोरी और दलाली उजागर होने के बाद अब आरोपियों ने माननीय कोर्ट की शरण लेकर मामले से पिंड छुड़ाने की योजना बनाई है।
छीमी गांव निवासी और सुयालबाड़ी में मिठाई की दुकान चलाने वाले मोहन सिंह छिम्वाल ने फर्जी आधार कार्ड के जरिए खरीदी जमीन की रजिस्ट्री बैनामा निरस्तीकरण के लिए माननीय न्यायालय में आवेदन किया है।
इधर, फर्जीवाड़े में शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ आयुक्त दीपक रावत के आदेश के बाद सब रजिस्ट्रार नैनीताल की ओर से भवाली थाने में तहरीर सौंपी गई है।
हालाकि इससे पहले भी आयुक्त के आदेश पर क्वारब चौकी पुलिस और तत्कालीन खैरना चौकी इंचार्ज बसगांव पहुंचकर मामले की पड़ताल कर चुके हैं। ऐसे में एक बार अगले कुछ दिनों में फिर भवाली थाना पुलिस आरोपियों से पूछताछ करने बसगांव पहुंचेगी।
पिछले आठ महीने से खुली हवा में घूम रहे बसगांव बेचकर अमीर बनने का ख्वाब देखने वाले एक एक आरोपी के भ्रष्टाचार का हिसाब होने वाला है।
“प्रेस 15 न्यूज” ने जब फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपी मोहन सिंह छिम्वाल की ओर से माननीय न्यायालय में बेनामा निरस्तीकरण की याचिका का जिक्र किया तो आयुक्त और माननीय मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत ने स्पष्ट किया कि भले ही रजिस्ट्री निरस्त हो जाए लेकिन आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामला तब भी बनेगा। स्वर्ग सिधार चुके लोगों का फर्जी आधार कार्ड बनाने वाले अगर अपने मंसूबों में सफल हो जाते तो यह बाकी गांव वालों के लिए पैरों तले जमीन खिसकने जैसा होता।
आयुक्त ने दोहराया कि 20 अप्रैल के आसपास लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक होगी, उसके बाद यह स्पष्ट होगा कि बसगांव की जमीन ठिकाने लगाने वालों का कानून के अनुसार क्या होगा।
बताते चलें कि लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक होली के बाद होनी थी लेकिन इस बीच कुमाऊं आईजी योगेंद्र सिंह रावत का ट्रांसफर हो गया। अब बतौर कुमाऊं आईजी रिधिम अग्रवाल ने जिम्मेदारी संभाली है।
बीते साल अक्टूबर में कुमाऊं आयुक्त और माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव दीपक रावत की जनसुनवाई में बसगांव की 13 नाली 07 मुट्ठी जमीन के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था।
पता चला था कि गांव के लोगों ने जिन मुरलीधर जोशी और जयकिशन जोशी को पिछले 70 सालों में कभी नहीं देखा, उनसे बसगांव से सटे छीमी गांव निवासी और सुयालबाड़ी में मिठाई की दुकान चलाने वाले मोहन सिंह छिम्वाल ने करीब 13 नाली 07 मुट्ठी जमीन खरीद ली। स्वर्ग सिधार चुके लोगों का फर्जी आधार कार्ड बना दिए। और प्रधान की मुहर का भी इस्तेमाल हुआ।
छीमी गांव निवासी मोहन सिंह छिम्वाल और उसके साथी कमोली पंपिंग पेयजल योजना से जुड़े हरीश पांडे और मूलरूप से कुलगाढ़ और वर्तमान में चकलुवा, कालाढूंगी निवासी भगवत भंडारी ने स्वर्ग सिधार चुके लोगों के फर्जी आधार कार्ड बनवा दिए थे। और बसगांव की कई नाली जमीन को ठिकाने लगाने की तैयारी कर रहे थे।
इतना ही नहीं फर्जी आधार कार्ड से जमीन ठिकाने लगाने के मामले के सामने आने के बाद बसगांव समेत आसपास के गांवों में जमीन फर्जीवाड़े के कई दूसरे चौंकाने वाले मामले भी सामने आ चुके हैं।
दरअसल, किसी भी गांव में कौन जमीन किसकी है और किस जमीन का वारिस नहीं है, ये सारी जानकारी ग्राम प्रधान और पटवारी के पास मय साक्ष्य होती है।
बसगांव मामले में भी ग्रामीणों में यही चर्चा है कि बिना ग्राम प्रधान की मिलीभगत के जमीन फर्जीवाड़े का यह खेल संभव ही नहीं है। लेकिन पहले दिन से ग्राम प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी खुद को बेकसूर और इस पूरे खेल को सबके सामने लाने वाला हीरो जता रहे हैं। इन सबके बीच गांव में राजनीति भी हावी है।
“प्रेस 15 न्यूज” को नाम न छापने की शर्त पर कई ग्रामीणों ने बताया कि मामले में गर्दन फंसती देख प्रधान पति ने ग्रामीणों को अपने पाले में करने की जुगत लगाए हुए हैं। जो जिस मिजाज का है, उसे वैसी डोज दी जा रही है।
आने वाले पंचायत चुनाव में आरक्षण किस करवट बैठेगा ये तय नहीं है लेकिन ग्रामीणों से कई लुभावने वादे भी किए जा रहे हैं।
ऐसे में कई ग्रामीण अपना फायदा देखकर दुम हिलाए फिर रहे हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने खुद की जमीनों में हुए खेल के बाद ग्राम प्रधान पति के खिलाफ मोर्चा खोलने और गांव की जमीन के बदले दलाली खाने वालों के खिलाफ हल्लाबोल का ऐलान भी किया है। फिलहाल यह सब गांव में बड़ी खामोशी के साथ चल रहा है।
कुल मिलाकर एक तरफ ग्राम प्रधान के पक्ष में लोग खड़े हैं तो दूसरी तरफ जमीन फर्जीवाड़े के पीड़ित ग्रामीण हैं। तो वहीं ऐसे लोग भी हैं जो इधर की उधर करने और दोनों तरफ की मलाई खाने में माहिर हैं।
गांव के बुजुर्ग भी मानते हैं कि पुरखों के संजोए बसगांव की जमीन को सिर्फ और सिर्फ कमीशन खाने के लिए बाहरियों के हाथों बेचने वालों को देवता भी माफ नहीं करेंगे। आज भले वो खेल कर लें और सफल भी हो जाएं लेकिन उनकी सात पीढ़ियां इस पाप से मुक्त नहीं हो सकेंगी। खाऊं खाऊं आज नहीं तो कल भारी जरूर पड़ेगी।
बुजुर्ग तो यहां तक कह रहे हैं कि तुम देख लेना पैसे के दम पर सभी आरोपी बच जाएंगे। ये कुछ दिन का हल्ला है। क्योंकि ये बसगांव का कोई पहला मामला नहीं है, जमीन फर्जीवाड़े के दूसरे कई मामले भी इस बीच सामने आ चुके हैं। लेकिन भ्रष्ट सिस्टम के चलते कोई भी कानूनी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा। हर कोई अपने स्तर से मामले निपटाने में लगा हुआ है।
फिलहाल, फर्जी आधार कार्ड से गांव की कई एकड़ जमीन ठिकाने लगाने का एक प्लान तो आयुक्त दीपक रावत की सख्ती के बाद खटाई में पड़ ही गया है। जिस तरह से आयुक्त दीपक रावत बसगांव मामले में नजर बनाए हुए हैं, उससे गांव के निष्पक्ष और सजग लोगों में उम्मीद बंधी है कि आरोपियों के सिर से कानूनी खतरा अभी टला नहीं है।



