बसगांव जमीन फर्जीवाड़ा: निशाने पर सिर्फ प्रधान, कौन है भंडारी, छिम्वाल और पांडे का “भगवान”

Ad
खबर शेयर करें -

हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। भले ही राज्य की धामी सरकार ने सख्त भू कानून बनाकर प्रदेश की जमीनों पर गिद्ध सी नजरें गड़ाए माफियाओं को कड़ा संदेश दिया हो लेकिन अभी भी माफियाओं के प्रपंच और साजिशें कम नहीं हुई हैं। इसका ताजा उदाहरण नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक में स्थित बसगांव में देखा जा सकता है।

बीते साल अक्टूबर में बसगांव की 13 नाली 07 मुट्ठी जमीन के फर्जीवाड़े का मामला सामने आया था। यहां स्वर्ग सिधार गए दो लोगों के फर्जी आधार कार्ड बनाकर बेशकीमती जमीन हड़पने का खेल रचा गया।

बीते आठ महीने से कुमाऊं आयुक्त और माननीय मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत इस बड़े फर्जीवाड़े की जांच कर रहे थे। आयुक्त की जांच के दौरान हर बार ग्राम प्रधान ललिता देवी और प्रधान पति मोहन चंद्र जोशी गांव लोगों के साथ पहुंचे लेकिन छीमी गांव निवासी और सुयालबाड़ी में मिठाई की दुकान चलाने वाले मोहन सिंह छिम्वाल और उसके साथी कमोली पंपिंग पेयजल योजना से जुड़े हरीश पांडे और मूलरूप से कुलगाढ़ और वर्तमान में चकलुवा, कालाढूंगी निवासी भगवत भंडारी नदारद रहे।

आयुक्त की सख्ती के बाद सिर्फ एक बार मोहन सिंह छिम्वाल, भगवत भंडारी, हरीश पांडे जरूर नैनीताल आयुक्त कार्यालय पहुंचे थे जहां उन्होंने अनुपस्थित रहने की बीमार कहानी सुनाई थी और एक स्वर में ग्राम प्रधान पति को सारे खेल का सूत्रधार बताया था।

क्वारब पुलिस के साथ जब छीमी गांव निवासी मोहन सिंह छिम्वाल और उसके साथी हरीश पांडेय और भगवत भंडारी कुमाऊं आयुक्त के नैनीताल कार्यालय पहुंचे तब आयुक्त ने तीनों से सुनवाई में न आने और फोन स्विच ऑफ करने के बारे में पूछा तो तीनों ने बारी बारी से अपनी बीमार कहानी सुनाई।

कमोली पंपिंग पेयजल योजना से जुड़े हरीश पांडे ने आयुक्त को बताया कि उसकी पत्नी की तबियत खराब हो गई थी, इस कारण उसे अस्पताल जाना पड़ा था। जबकि मोहन सिंह छिम्वाल ने कहा कि वह बीमार चल रहा है, और शनिवार के दिन अल्मोड़ा के अस्पताल में आईसीयू में भर्ती था। इसी तरह भगवंत भंडारी ने भी फोन स्विच ऑफ करने और सुनवाई में मौजूद न रहने की अपनी कहानी सुनाई।

हालांकि इस पूरे फर्जीवाड़े में 13 मई को हुई लैंड फ्रॉड कमेटी की बैठक में आयुक्त के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ है। अब एक बार फिर पुलिस पर इस मामले की जांच की जिम्मेदारी है। हालांकि इससे पहले भी आयुक्त के आदेश पर तत्कालीन खैरना चौकी इंचार्ज दिलीप कुमार गांव में जांच के लिए पहुंच चुके हैं। भवाली थाना क्षेत्र के इस मामले में क्वारब चौकी पुलिस तफ्तीश कर चुकी है लेकिन सारी जांचें अब तक ढांक के तीन पात जैसी ही रहीं।

जिन मुरलीधर जोशी और जयकिशन जोशी को पिछले 70 सालों में कभी नहीं देखा, उनसे बसगांव से सटे छीमी गांव निवासी और सुयालबाड़ी में मिठाई की दुकान चलाने वाले मोहन सिंह छिम्वाल ने करीब 13 नाली 07 मुट्ठी जमीन खरीद ली।

पूरे खेल में माफियाओं ने ग्राम प्रधान की मुहर का भी इस्तेमाल किया। इस मुहर को ग्राम प्रधान ललिता देवी और प्रधानपति मोहन चंद्र जोशी फर्जी करार दे चुके हैं।

अब तक की जांच में सामने आया कि छीमी गांव निवासी मोहन सिंह छिम्वाल और उसके साथी कमोली पंपिंग पेयजल योजना से जुड़े हरीश पांडे और मूलरूप से कुलगाढ़ और वर्तमान में चकलुवा, कालाढूंगी निवासी भगवत भंडारी ने स्वर्ग सिधार चुके लोगों के फर्जी आधार कार्ड बनवा दिए थे। और बसगांव की कई नाली जमीन को ठिकाने लगाने की तैयारी कर रहे थे।

गांव में चर्चा है कि इस पूरे जमीन फर्जीवाड़े का सूत्रधार भगवत भंडारी है और बाकी सारे उसी के इशारे पर इस जमीन फर्जीवाड़े का हिस्सा बने। ऐसे में 13 मई को जिस तरह से लैंड फ्रॉड की बैठक में आयुक्त दीपक रावत के सामने सिर्फ और सिर्फ प्रधान ललिता देवी और प्रधानपति मोहन चंद्र जोशी पेश हुए, इसने एक बार फिर कई सवाल खड़े कर दिए।

आयुक्त ने ग्राम प्रधान पति को देखते ही कहा कि अब इस मामले में सुनने को कुछ बचा नहीं है। अब आप लोग जेल जाओगे। जवाब में ग्राम प्रधान ललिता देवी और प्रधानपति यही कहते नज़र आए कि वह बेकसूर हैं और हर जांच के लिए तैयार हैं।

ग्राम प्रधान और प्रधानपति का कहना था कि उनके पक्ष को सही से सुना नहीं जा रहा है जबकि दूसरे आरोपी हर बार कुमाऊं आयुक्त की पेशी से गायब रहते हैं। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है यह समझ से परे है। ग्राम प्रधानपति पहले दिन से यही कह रहे हैं कि उन्होंने ही इस फर्जीवाड़े को खोला है ऐसे में वह पूरी तरह से बेकसूर हैं। यह सारा किया धरा मोहन सिंह छिम्वाल और गिरोह का है। जिसने खुद कुमाऊं आयुक्त के सामने अपना जुर्म कबूला था।

हालांकि इस पूरे मामले में मोहन सिंह छिम्वाल ने गर्दन फंसती देख कोर्ट की शरण की है और रजिस्ट्री को कैंसिल कराकर खुद को पूरे मामले से बाहर रखने के इंतजाम कर लिए हैं।

सवाल उठ रहा है कि आखिर क्या इतने बड़े स्तर का लैंड फ्रॉड क्या ग्राम प्रधान अपने स्तर से अंजाम दे सकता है? क्या फर्जी आधार कार्ड बनाने से लेकर जमीन का सौदा कराने का पूरा काम सिर्फ और सिर्फ ग्राम प्रधान ने ही किया? अगर ऐसा नहीं है तो फिर क्यों लैंड फ्रॉड की बैठक में भगवत भंडारी, मोहन सिंह छिम्वाल और हरीश पांडे की पेशी नहीं हुई?

हैरानी की बात यह है कि जब से बसगांव में जमीन फर्जीवाड़े का यह मामला सामने आया है तब से गांव के आसपास कई दूसरे जमीन फर्जीवाड़े भी सामने आ चुके हैं। लेकिन हर मामला भ्रष्ट सिस्टम में दब गया।

सामने आया है कि बसगांव की जमीन ही नहीं राजस्व गांव कुलगाड जो वर्तमान में ढोकाने वाटर फॉल के नाम से जाना जाता है, वहां भी ग्रामवासियों की पैतृक कृषि भूमि को खुर्दबुर्द करने का आरोपी भगवंत भंडारी पुत्र कुंवर सिंह निवासी कुलगाड हॉल निवासी हल्द्वानी ही है। बकायदा ग्रामीणों ने बीते 29 अक्टूबर को भगवंत भंडारी के खिलाफ क्वारब पुलिस चौकी को तहरीर दी है। लेकिन ये मामला भी दबा दिया गया।

इतना ही नहीं श्री कैंची धाम (पूर्व में कोश्याँ कुटोली तहसील) तहसील के सलकुली गांव निवासी विपिन चंद्र पुत्र गोपाल राम ने 11 नवंबर को जिले के कप्तान प्रह्लाद नारायण मीणा को अपने नाम से फर्जी रजिस्ट्री करवाने और इस फर्जीवाड़े में करीब 30 साल पहले मर चुके लोगों का सहारा लेने का आरोपी कुलगाड निवासी भगवंत भंडारी और उसके साथी भूपेंद्र सिंह लटवाल निवासी सकूली बिचखाली हाल निवासी हल्द्वानी को बताते हुए दोनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। लेकिन इस मामले की सुध लेने वाला भी सिस्टम में कोई नहीं है। ऐसे में कार्रवाई तो भूल ही जाइए।

यानी तीन तीन मामलों में कुलगाड निवासी भगवंत भंडारी का नाम आना साफ इशारा कर रहा है कि वह कितना बड़ा खिलाड़ी है। पहाड़ में पहाड़ के लोग ही पहाड़ को ठिकाने लगाने का गिरोह चला रहे हैं।

ऐसे में इस पूरे गड़बड़झाले का ठीकरा सिर्फ और सिर्फ ग्राम प्रधान के सिर फोड़ना किसी के गले नहीं उतर रहा है। हालांकि अब इस जमीन धोखाधड़ी के मामले में आयुक्त के आदेश पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश हुए हैं। देखना होगा कि भवाली पुलिस की जांच अब किस दिशा में आगे बढ़ती है। अब पहाड़ की जमीन को ठिकाने लगाने के इस खेल के असल गुनहगार को सजा मिल पाएगी या नहीं, यह सवाल भविष्य के गर्त में है। और गांव के हर नागरिक की नजर इस पर टिकी है।

What’s your Reaction?
+1
4
+1
1
+1
1
+1
0
+1
0
Ad Ad Ad Ad Ad

संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

सम्बंधित खबरें