कर्णप्रयाग, प्रेस 15 न्यूज। बाबा मोहन उत्तराखंडी के बलिदान को उत्तराखंड की सरकारों ने पिछले 20 सालों में भले भुला दिया हो लेकिन आज भी प्रदेश में उनके सपनों को पूरा करने का संकल्प लेने वाले जुनूनी लोगों की कमी नहीं है। ये जरूर है कि इस संकल्प को लेने वालों की संख्या आज भले कम है लेकिन उम्मीद है कि ये कारवां बढ़ेगा।
उत्तराखंड की स्थाई राजधानी गैरसैंण को बनाए जाने के अडिग संकल्प को लेकर बाबा मोहन उत्तराखंडी ने 38 दिनों के आमरण अनशन के बाद 9 अगस्त 2004 को अपने प्राणों का बलिदान दिया था।
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आज देवभूमि के इस बलिदानी सपूत को श्रद्धांजलि देने के लिए मूल निवास, भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के आह्वान पर प्रदेश भर में श्रद्धांजलि सभाएं हुई।
इसी क्रम में मूल निवास, भू कानून समन्वय संघर्ष समिति उत्तराखंड के संयोजक मोहित डिमरी अपने साथियों के साथ चमोली जिले के बेनीताल में स्थित बाबा मोहन उत्तराखंडी की समाधि स्थल पर पहुंचे और बाबा के संकल्प को पूरा करने की प्रतिज्ञा लेते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस दौरान बेनीताल मेला समिति ने मोहित डिमरी को सम्मानित भी किया। इस अवसर पर बाबा मोहन उत्तराखंडी को याद करते हुए मोहित डिमरी ने क्षेत्र के लोगों से एक सितंबर को गैरसैंण में मूल निवास, भू कानून और गैरसैंण राजधानी की आवाज उठाने के लिए मूल निवास स्वाभिमान महारैली में पहुंचने का आह्वाहन किया।