हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। भगवान ऐसी गरीबी और बेबसी किसी को न दिखाए। हल्द्वानी में बीते दिनों एक बहन को अपने भाई की लाश घर तक ले जाने के लिए एक एंबुलेंस नहीं मिल पाई, क्योंकि उसके पास उतने पैसे नहीं थे जितने एंबुलेंस वालों ने मांगे। फिलहाल मुख्यमंत्री धामी ने इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस घटना के जांच के आदेश दे दिए हैं।
मुख्यमंत्री जी से यही निवेदन है कि इस बार ऐसी कार्रवाई हो जिससे उत्तराखंड में फिर किसी गरीब और बेबस को ऐसी लाचारी से न गुजरना पड़े।
हल्द्वानी में मूलरूप से पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग के तमोली ग्वीर गांव निवासी एक मजबूर बहन शिवानी को अपने भाई के शव को टैक्सी की छत पर बांधकर 200 किलोमीटर दूर बेरीनाग लेकर जाना पड़ा।
करीब सात महीने रोजगार की तलाश में शिवानी हल्द्वानी से कुछ दूरी पर स्थित हल्दूचौड़ आई थी। यहां वह एक कंपनी में काम करने लगी और किराए के मकान में रहने लगी।
शिवानी ने सोचा कि यदि उसका 20 वर्षीय भाई अभिषेक भी उसकी मदद के लिए साथ आकर काम करने लगे, तो घर की स्थिति सुधर सकती है। दो माह पहले अभिषेक को शिवानी ने हल्दूचौड़ बुलाया और उसी कंपनी में नौकरी दिलवाई।
शिवानी ने बताया कि शुक्रवार सुबह दोनों साथ में काम पर गए। एक घंटे बाद अभिषेक ने सिर में दर्द की शिकायत की और कंपनी से छुट्टी लेकर घर चला गया। शिवानी ने कई बार उसे कॉल किया, लेकिन अभिषेक ने फोन नहीं उठाया। जब शिवानी दोपहर में खाना खाने के लिए घर पहुंची, तो वहां दवाई की बदबू आ रही थी और अभिषेक कहीं नजर नहीं आया। उसे ढूंढने के बाद वह रेलवे पटरी के पास बेसुध पड़ा मिला।
पुलिस की मदद से उसे डा. सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम के बाद शिवानी ने एंबुलेंस से बेरीनाग जाने की कोशिश की, लेकिन एंबुलेंस वालों ने उसे 10-12 हजार रुपये का खर्च बताया। शिवानी के पास इतनी रकम नहीं थी, और उसने कई लोगों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने भी उसकी मदद नहीं की।
अंत में, शिवानी ने अपने गांव के एक टैक्सी मालिक से संपर्क साधा, जो शव को टैक्सी की छत पर बांधकर बेरीनाग ले जाने को राजी हो गया। जिसके बाद शिवानी ने अपने भाई की लाश को टैक्सी की छत पर रखकर करीब 200 किलोमीटर दूर स्थित अपने पैतृक गांव बेरीनाग पहुंचाया।
इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस घटना को जिसने भी सुना वो हैरान, परेशान और गुस्से से भर गया। हल्द्वानी के उन एंबुलेंस चालकों को कोसने लगा जिनके लिए पैसा ही भगवान है। यह कोई पहला मामला नहीं है जब हल्द्वानी के एंबुलेंस चालकों ने पवित्र पेशे को बदनाम और इंसानियत को शर्मसार किया हो।
बेरीनाग की बेबस शिवानी का दर्द तो बाहर आ गया और पूरे उत्तराखंड को पता चल गया। लेकिन हल्द्वानी में हर रोज ऐसे बेबस घूमते हैं जिनकी लाचारी का फायदा एम्बुलेंस चालक उठाते हैं। अगर इसका नजारा देखना है तो हल्द्वानी में बने कुमाऊं के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सुशीला तिवारी चले आइएगा।
इससे पहले मार्चुला बस हादसे में भी घायल को रामनगर से हल्द्वानी छोड़ने के दौरान भी काशीपुर के आयुष्मान मल्टीस्पेशलिटी चिकित्सालय के एंबुलेंस चालक योगेश कुमार की इंसानियत को शर्मसार करने की करतूत सामने आई थी। हालाकि इस घटना का भी मुख्यमंत्री धामी ने संज्ञान लिया था। जिसके बाद एंबुलेंस संख्या UK18 पीए- 0290 का लाइसेंस तीन माह के लिए सस्पेंड करने के आदेश जारी हुए थे।
मरीज रमेश रावत के 1500 ₹ एम्बुलैंस चालक योगेश कुमार से वसूले गए थे। तब एम्बुलेंस चालक योगेश कुमार ने अपनी करतूत के लिए माफी मांगी थी और भविष्य में ऐसी हरकत दोबारा न करने का भरोसा भी अधिकारियों को दिया था। लेकिन अभी भी समाज में योगेश कुमार जैसे कई पैसों को भगवान मानने वाले एम्बुलेंस चालक घूम रहे हैं, जिनका इलाज करना जरूरी है।