हल्द्वानी, प्रेस15 न्यूज। आखिरकार कांग्रेस के आलाकमान ने उत्तराखंड की जनता पर बड़ा एहसान कर ही दिया। ऐसा हम यूं ही नहीं कह रहे हैं। दरअसल, लोकतंत्र के सबसे बड़े चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर न तो कोई प्लानिंग नजर आई और नहीं कभी ऐसा लगा कि कांग्रेस उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी को कड़ा मुकाबला देने के मूड में है।
हालाकि इन दोनों सीटों पर कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है। इन संसदीय क्षेत्रों के सामाजिक समीकरणों को भी कांग्रेस अपने अनुकूल मान रही है।
खबर तो यहां तक भी है कि कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी और मोदी मैजिक के सामने पहले ही घुटने टेक दिए हैं।
अब आचार संहिता लगने के 7 दिन बाद कांग्रेस ने नैनीताल और हरिद्वार लोकसभा सीट से अपने उम्मीदवार तय कर ही दिए। नैनीताल से प्रकाश जोशी और हरिद्वार से हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत भाजपा का मुकाबला करने के लिए मैदान में उतारे गए हैं।
लोकसभा जैसे बड़े चुनाव में उत्तराखंड कांग्रेस पार्टी के भीतर टिकट को लेकर मची नेताओं की इस घमासान ने ये साफ कर दिया है कि कांग्रेस भाजपा का मुकाबला करने के लिए कितनी गंभीर है।
जहां नैनीताल सीट पर भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद अजय भट्ट को टिकट देकर फिर से भरोसा जताया है तो वहीं कांग्रेस ने इस सीट पर मुकाबले को शुरू से ही गंभीरता से नहीं लिया। या यूं कहें कि कांग्रेस अपने नेताओं के मन को समय से भांप नहीं सकी। जो आलाकमान ऐन चुनाव के समय माथापच्ची कर रहा है यह आज से कुछ महीने पहले तक कहां था? जो काम आज हुआ, यह समय से भी हो सकता था, लेकिन कांग्रेस के आलाकमान ने उत्तराखंड और यहां के नेताओं को गंभीरता से नहीं लिया।
ऐसे में समझा जा सकता है कि भाजपा के खिलाफ ये चुनाव कांग्रेस कितनी गंभीरता से लड़ेगी। आम लोगों को तो यहां तक कहते सुना जा सकता है कि टिकट में देरी तो बहाना है। कांग्रेस ने नैनीताल और हरिद्वार सीट पर भाजपा की राह को आसान बनाने का काम किया है।
इससे पहले नैनीताल उधमसिंह नगर सीट पर पिछले कई दिनों से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणजीत रावत, प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया, प्रकाश जोशी, विधायक भुवन कापड़ी का नाम की सुगबुगाहट हो रही थी।
प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया के इस्तीफे की खबर ने तो कांग्रेस आलाकमान को 440 वाट का करंट दे दिया था। हालाकि आलाकमान के मान मनोव्वल के बाद दीपक बल्यूटिया के इस्तीफे की खबर पर विराम लगा।
वहीं, हरिद्वार सीट पर ऐसी खबरें उड़ रही थी कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यहां पेंच फंसाया है। हरीश रावत अपने बड़े बेटे वीरेंद्र रावत के लिए टिकट की मांग कर रहे थे जबकि एक गुट उमेश कुमार के नाम पर अड़ा था। वहीं हरक सिंह रावत का नाम भी चर्चाओं में रहा। इस सीट पर भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर दांव लगाया है।
गढ़वाल में कांग्रेस में भागमभाग, कुमाऊं में भी हैं आसार
रविवार को बदरीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी ने प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को अपना त्यागपत्र सौंपते हुए दिल्ली में भाजपा ज्वाइन की है।
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और टिहरी से पूर्व विधायक धन सिंह नेगी ने भी इस्तीफा दे दिया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज धन सिंह नेगी ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामा था। 2022 में धन सिंह नेगी ने टिहरी विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। धन सिंह भी किसी भी वक्त भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
शुक्रवार को उत्तराखंड कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण और मालचंद ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था।
शनिवार को पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की बहू अनुकृति गुसाईं ने भी कांग्रेस का दामन छोड़ दिया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में दोनों नेताओं यानी विजयपाल सजवाण और मालचंद को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई दी।
अब कांग्रेस नेता अनुकृति गुसाईं ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया है। माना जा रहा है जल्द ही अनुकृति गुसाईं भी भाजपा में शामिल हो जाएंगी। कुल मिलाकर गढ़वाल में कांग्रेस के नेताओं में भाजपा का दामन थामने की होड़ मची है। वहीं, विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अब कुमाऊं में भी कई दिग्गज कांग्रेस नेता भाजपा का झंडा थामने की तैयारी में लग गए हैं।