दो दिन की जिंदगी है, हंसी खुशी गुजारिए… रामनगर में पारिवारिक कलह में सास और जेठ ने दे दी जान

खबर शेयर करें -

रामनगर, प्रेस 15 न्यूज। कहने को हर कोई कहता है कि दो दिन की जिंदगी है, हंसी खुशी गुजारिए लेकिन इस बात पर अमल करना हर किसी के वश में नहीं होता। नतीजा यह होता है कि एक पल में हंसते खेलते परिवार की खुशियां काफ़ूर हो जाती हैं। और पीछे सिवाय पछताने के कुछ नहीं बचता।

अब रामनगर का ही वाकया ले लीजिए, यहां पारिवारिक कलह इस कदर बढ़ गई कि मां और जेठ ने अपने ही हाथों अपनी जिंदगी खत्म करने का कठोर फैसला ले लिया।

रामनगर निवासी और रुद्रपुर पीएसी में तैनात जवान के भाई और मां की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। शवों के पास जहरीला पदार्थ मिला है जिससे दोनों की आत्महत्या करने की आशंका जताई जा रही है।

आशंका जताई जा रही है कि पारिवारिक कलह के चलते मां-बेटे ने जहर खाकर आत्महत्या की है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, रामनगर के नया झिरना प्लाॅट नंबर 12 निवासी नंदा देवी (65) पत्नी स्व. जगत सिंह, उसका बेटा सुरेंद्र सिंह (42) मंगलवार की सुबह 10:30 बजे से लापता थे।

शाम करीब पांच बजे पड़ाेस में रहने वाली युवती शाहनत्थन पीर के पास के जंगल में आम तोड़ने गई थी। वहां उसने नंदा देवी और सुरेंद्र सिंह के शव देखे। युवती की सूचना पर ग्रामीण और पुलिस मौके पर पहुंची।

मृतका का छोटा बेटा पीएसी जवान देवेंद्र सिंह वर्तमान में रुद्रपुर में तैनात है और पांच दिन पहले छुट्टी पर घर आया था।

पुलिस जांच में सामने आया है कि पीएसी जवान की पत्नी, सास और अविवाहित जेठ के साथ रहती थी। पीएसी जवान की पत्नी से मां की किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई थी। इसके चलते उन्होंने सोमवार से खाना नहीं खाया था।

यह भले ही इस घर के भीतर के कलह कलेश की लड़ाई का दुखद परिणाम हो लेकिन कटु सच यह है कि ऐसी कि कहानियां आज अधिकतर घरों में हो रही हैं।

किसी घर में किसी का इगो आड़े आ रहा है तो कहीं किसी को अपनी बात ही सही लगती है। कुल मिलाकर परिवार की खुशियां दांव पर लग रही हैं। नतीजा सहनशक्ति कम होने और खुद को दुखों के दलदल में घिरता देख कमजोर मन आखिर में आत्महत्या जैसा दर्दनाक कदम चुन लेता है।

याद रखिए झुकता वही है, जिसके सीने में जान होती है वरना अकड़ तो मुर्दे की पहचान होती है, जो जितना झुकता है वह उतना ही आगे बढ़ जाता है।

ऐसे में यही निवेदन करते हैं कि परिवार में खुशियों को सहेजने की कोशिश कीजिए। अगर आपके सिर पर छत (किराए का घर हो या फिर अपना) है और आप के पास दो वक्त के खाने का इंतजाम है तो शुक्र मनाइए। भगवान का शुकराना कीजिए कि उसने आपको सांसें बक्शी हैं।

अपना बड़ा सा घर न होना, अपने परिवार में बच्चों की बेरोजगारी, कम आमदनी, बेटा या बेटी की शादी न होना जैसी अन्य वजहों को दुखों में डूबने की वजह मत बनाइए।

याद रखिए जो इस दुनिया में आया है और वर्तमान में जो कुछ भी उसके साथ घटित हो रहा है वह उसके प्रारब्ध, भूत और वर्तमान के कर्मों कभी परिणाम है। इस सच को जितना जल्दी हो सके स्वीकार कीजिए और जिंदगी को बेहतर सोच के साथ जीना शुरू कीजिए क्योंकि यह जीवन अनमोल है।

इस जीवन की कीमत उन बेजुबान जानवरों से पूछिए जिन्हें अपनी जीभ के स्वाद और पैसा कमाने के लिए इंसान काटने से भी नहीं हिचकता। फिर क्यों अनमोल मानव जीवन की अपनी जिंदगी को मामूली सी बातों में तबाह कर देते हैं?

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0

संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

सम्बंधित खबरें