लालकुआं: बेबस महिलाओं के आंसू जीते, कठघरिया के पूछियार की विभूति भी काम न आई

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। उसका चरित्र ही नहीं कार्यकाल भी दागदार रहा। पिछले साढ़े पांच साल से आंचल ब्रांड वाले सफेद दूध की आड़ में कई घोटाले करने वाले मुकेश बोरा के पाप का घड़ा भरा है या नहीं, ये हम नहीं कह सकते लेकिन आज माननीय कोर्ट ने जिस तरह से दुष्कर्म के आरोपी नैनीताल-लालकुआं दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है, उसे पीड़ित और बेबस महिलाओं के आंसुओं की जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

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बीते 31 अगस्त से जब से पीड़िता ने लालकुआं थाने में तहरीर देकर मुकेश बोरा के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत दिखाई थी तभी से मुकेश बोरा कानून के फंदे से बचने की जुगत में लग गया था।

इस बीच देश के साथ साथ प्रदेश में बढ़ते महिला अपराधों की वजह से केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार से विपक्षी दलों के साथ साथ आम जनता भी न्याय की उम्मीद और मांग कर रही थी।

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ऐसे में भाजपा और भाजपा के नेताओं ने भी मुकेश बोरा से दूरी बनाने में बेहतरी समझी। लालकुआं विधायक मोहन बिष्ट के साथ मंच साझा कर रहे सांसद अजय भट्ट ने तो यहां तक कह दिया कि मुकेश बोरा जैसे व्यक्ति जिस पर गंभीर आरोप हैं, वह भाजपा का सदस्य था ही नहीं।

इसके बाद भी मुकेश बोरा जेल जाने से बचने के लिए दिन रात जुगत करता रहा। दुष्कर्म का मुकदमा लिखने के बाद भी मुकेश बोरा पुलिस पकड़ से बेफिक्र होकर लालकुआं से हल्द्वानी तक घूमता रहा।

प्रेस 15 न्यूज के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, मुकदमा लिखने के बाद भी मुकेश बोरा आराम से अपने खास शागिर्दों के साथ लालकुआं से हल्द्वानी आता जाता रहा।

इतना ही नहीं गिरफ्तारी से बचने के लिए मुकेश बोरा ने कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका भी लगाई। लेकिन जब बचने का कोई उपाय नजर नहीं आया तो मुकेश बोरा अपने परिजन के साथ कठघरिया क्षेत्र के बजुनिया हल्दू गांव में एक पूछियार के पास भी आया था।

नाम न छापने की शर्त पर गांव के एक ग्रामीण ने बताया कि पूछियार के घर में अक्सर दुखियारों की भीड़ लगी रहती है। उस दिन भी एक बड़ी गाड़ी में एक महिला और पुरुष उतरे थे। दोनों के हाथ में पूजा का सामान था। लेकिन तब उसे पता नहीं था कि यही मुकेश बोरा है। जब पुछियार के घर में कुछ घंटे पूजा के बाद प्रसाद बंटा तो बड़ी गाड़ी वाले भी गांव से चले गए।

कुछ देर बाद जब गांव की दूसरी महिलाएं भी पुछियार के दरबार से बाहर आईं तो कुछ खुसर फुसर होने लगी। महिलाएं आपस में बात कर रही थीं कि ये गाड़ी वाला वही मुकेश बोरा है जिसके खिलाफ लालकुआं थाने में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज है।

यानी साफ था कि कानून के शिकंजे से बचने के लिए मुकेश बोरा देवताओं की विभूति का सहारा लेना भी नहीं भूला। लेकिन देवता भी कैसे अन्याय होने देते। क्योंकि मुकेश बोरा से पहले उन तक उन बेबस महिलाओं के आंसू पहुंच गए थे जो सालों से मुकेश बोरा के सितम से परेशान थीं। यानी पुछियार की विभूति भी मुकेश बोरा के लिए राख साबित हुई।

लालकुआं दुग्ध संघ के प्लांट और दफ्तर में नौकरी करने वाली दो महिलाओं ने प्रेस 15 न्यूज को बताया कि मुकेश बोरा के सितम से अधिकतर महिला कर्मचारी परेशान हैं। वह किसी को नौकरी से निकालने तो किसी को ट्रांसफर की धमकी देता था। जो महिला उसके सामने डटी रही तो ठीक वरना कमजोर और बेबस महिलाएं उसके सितम का शिकार बनती चली गईं।

महिलाओं ने ये तक कह डाला कि अगर मुकेश बोरा जैसे लोग कुछ साल और दुग्ध संघ में रहे तो वो दिन दूर नहीं जब लालकुआं प्लांट में ताला लग जाएगा।

महिलाओं ने कहा कि भले दुष्कर्म के आरोप में मुकेश बोरा गिरफ्तार हो जाए लेकिन आज भी कई ऐसे अफसर हैं जो मुकेश बोरा की कृपा से दो दो पदों में रहकर मलाई खा रहे हैं और घोटालों को ढांपने में लगे हैं।

महिला कर्मचारियों ने बताया कि एक घोटाला हो तो बताएं, दुग्ध संघ में पिछले साढ़े पांच साल में इतने घोटाले हुए हैं कि वो गिनाते गिनाते थक जाएंगी। लेकिन बता कर भी क्या ही करें जब डेयरी निदेशालय में ही सब कुछ जानते हुए खामोशी है तो न्याय की उम्मीद भी क्या करें। बस किसी तरह दो जून की रोटी कर बच्चों के भविष्य की खातिर दुग्ध संघ की नौकरी करने को मजबूर हैं।

जो नहीं जानते उन्हें बताते चलें कि आरोप है कि नैनीताल-लालकुआं दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ मुकेश बोरा क्षेत्र की एक विधवा महिला के साथ लंबे समय से दुष्कर्म कर रहा था।

कोर्ट और पुलिस को दिए बयान में महिला ने बताया कि मुकेश बोरा की उसकी 12 साल की बेटी पर बुरी नजर थी। जिसके बाद नाबालिग के बयान के आधार पर बोरा के खिलाफ पॉक्सो के तहत केस दर्ज हुआ। बोरा और उसके ड्राइवर कमल बेलवाल के खिलाफ लालकुआं कोतवाली में धारा 376, 506 और पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज है।

वहीं, महिला उत्पीड़न के मामले में आरोपी मुकेश बोरा से कन्नी काटकर भारतीय जनता पार्टी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी सख्त संदेश दिया है।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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