हद हो गई: कुमाऊं यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर साहब ने छात्र के ‘भविष्य’ का ‘गणित’ हिला दिया

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। कुमाऊं यूनिवर्सिटी के नाम भले ही कई ऐतिहासिक रिकॉर्ड दर्ज हों लेकिन छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ मजाक करने में भी यूनिवर्सिटी का कोई सानी नहीं है। परीक्षा के दिन से लेकर परीक्षाफल जारी होने तक यूनिवर्सिटी में खामियों का अंबार रहता है लेकिन हर बार मामले को निपटाकर इतश्री कर दी जाती है। नतीजा फिर बड़ी चूक सामने आती है।

देखिए कैसे मूल्यांकन के दौरान गणित का हिसाब लगाने में चूक गए कुमाऊं यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर साहब।

अब नया मामला भी जान लीजिए। बीकॉम तृतीय वर्ष की उत्तरपुस्तिका जांचने वाले प्रोफेसर गणित का मामूली सा  हिसाब भी नही लगा पाए। नतीजा रिजल्ट देखकर छात्र टेंशन में आ गया।

प्रोफेसर ने उत्तरपुस्तिका में 15 और 12 का योग 17 दर्शाया है जबकि परीक्षाफल में 20 नंबर दिए गए हैं। कॉमर्स के छात्र ने नंबर कम आने पर जब कुमाऊं यूनिवर्सिटी में आरटीआई लगाई तो उत्तरपुस्तिका मिलने पर इस खेल से पर्दा उठा। ऐसे में समझा जा सकता है कि कैसे युवाओं का भविष्य कुमाऊं विश्वविद्यालय में दांव पर लग रहा है।

जानकारी के अनुसार, संदेह होने पर छात्र ने आरटीआई लगाकर उत्तरपुस्तिका की कॉपी मांगी। सामने आया कि उत्तरपुस्तिका में छात्र को सेक्शन ए (संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्न) में 15 और सेक्शन बी (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) में 12 अंक प्राप्त मिले हैं। दोनों का योग मूल्यांकन करने वाले प्रोफेसर ने 27 के बजाए 17 लिखा है जबकि मार्कशीट में 20 नंबर दर्ज हैं।

हालाकि छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ की खबरें सामने आने के बाद मूल्यांकन संबंधी समस्याओं के निस्तारण के कुमाऊं विश्वविद्यालय ने समिति का गठन किया है।

बताते चलें कि राज्य के तीनों विश्वविद्यालय परिसरों और उससे संबद्ध महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं की उत्तरपुस्तिका जांचने के लिए विभिन्न महाविद्यालयों को केंद्रीय मूल्यांकन केंद्र बनाया गया है।

राज्य सरकार की ओर से मूल्यांकन केंद्र निर्धारित किए गए थे। मूल्यांकन केंद्रों से ही मार्क्स सीधे चढ़े हैं। सेमेस्टर प्रणाली के विद्यार्थियों का मूल्यांकन ओएमआर शीट के माध्यम से हो रहा है जबकि वार्षिक पद्धति के विद्यार्थियों के मूल्यांकन पुरानी पद्धति के अनुसार ही हो रहे हैं।

ऐसे में वार्षिक प्रणाली के विद्यार्थियों के रिजल्ट में गड़बड़ी के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। कुमाऊं विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. महेंद्र राणा क्वानुसार, समिति मूल्यांकन में गड़बड़ी के सभी मामलों की जांच करेगी और मूल्यांकन कार्य में गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित प्राध्यापक के खिलाफ सख्त एक्शन होगा।

इतना ही नहीं छात्र-छात्राओं की उत्तरपुस्तिका में मूल्यांकन के तहत कम नंबर होने के बावजूद रिजल्ट में अधिक चढ़ाए गए हैं। इस पर परीक्षा नियंत्रक डॉ. महेंद्र राणा का कहना है कि अतिरिक्त नंबर मॉडरेशन ऑफ रिजल्ट्स के तहत मिले हैं। ये प्रक्रिया पहले नहीं होती थी।

डॉ. राणा के अनुसार,छात्रों की शिकायत थी कि कुछ प्राध्यापक मूल्यांकन हार्ड करते हैं और कुछ सॉफ्ट करते हैं। इस दिक्कत को दूर करने के लिए मॉडरेशन ऑफ रिजल्ट्स की व्यवस्था लागू की गई है।

उन्होंने बताया कि रिजल्ट में गड़बड़ियों को दूर करने के लिए सेमेस्टर प्रणाली के तहत मूल्यांकन की नई व्यवस्था लागू की गई है। इसमें मूल्यांकन में गड़बड़ी ना के बराबर होगी। हालाकि सच यही है कि मूल्यांकन में गड़बड़ी का ये सिलसिला कुमाऊं यूनिवर्सिटी के इतिहास में नया नहीं है।  बीते सालों में भी कई बार यूनिवर्सिटी ने युवाओं का भविष्य तार तार करने में कसर नहीं छोड़ी। लेकिन आज दिन तक सबक नहीं लिया।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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