रुद्रप्रयाग, प्रेस 15 न्यूज। केदारनाथ विधानसभा के उपचुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक मनोज रावत ने आज अपना नामांकन दाखिल कर लिया है। उनके सामने भाजपा की कद्दावर नेता आशा नौटियाल हैं।
देहरादून से यहां पहुंचे कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत के साथ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, यशपाल रावत, गणेश गोदियाल और प्रीतम सिंह और तमाम कार्यकर्ता मौजूद रहे। इसके बाद विजयनगर-अगस्त्यमुनि में रोड शो और रामलीला मैदान में जनसभा की तैयारी है।
केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने पूर्व विधायक मनोज रावत पर लगातार तीसरी बार भरोसा जताया है।
केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता आया है। साल 2002 और 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को जीत मिली थी। जबकि 2012 से यहां कांग्रेस ने खुद को मजबूत किया।
साल 2012 में स्व. शैलारानी रावत कांग्रेस के टिकट से पहली बार विधानसभा पहुंची। सितंबर 2012 में ऊखीमठ और जून 2013 में केदारनाथ आपदा के बाद क्षेत्र में जनजीवन को पटरी पर लाने व मूलभूत सुविधाओं को जुटाने में समय बीतने पर अक्तूबर 2016 में वह पार्टी से विद्रोह कर भाजपा में शामिल हो गईं। इसके बाद साल 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मनोज रावत को अपना प्रत्याशी बनाया।
साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में मनोज रावत एकमात्र कांग्रेस के विधायक थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में ग्राम स्तर पर पुस्तकालय और केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के शहीदों के उनके पैतृक गांव में मूर्ति स्थापना कर सबका दिल जीता था।
लेकिन साल 2022 में इनका जनाधार कम हो गया। ऐसे में अब मनोज रावत के सामने ये उप चुनाव अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। उप चुनाव के लिए पार्टी से 12 लोगों ने अपनी दावेदारी की थी।
वहीं, केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाया है। साल 2017 के बाद वह एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद साल 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी दिवंगत विधायक शैलारानी रावत को पराजित कर वह केदारनाथ विधानसभा की पहली विधायक चुनी गईं। साल 2007 में आशा नौटियाल विधायक बनीं। इसके बाद दो बार चुनाव में उन्हें हार मिली।
ऊखीमठ विकासखंड के दिलमी गांव निवासी आशा नौटियाल साल 1996 में पहली बार ऊखीमठ वार्ड से निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं।
इसके बाद साल 1997-98 में उन्हें भाजपा ने जिला उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी और साल 1999 में उन्हें महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष चुना गया।
साल 2007 में भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी कुंवर सिंह नेगी को पराजित किया।
2012 में लगातार तीसरी बार वह भाजपा की प्रत्याशी बनी लेकिन इस बार उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी शैलारानी रावत से हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद साल 2016 में शैलारानी रावत भाजपा में शामिल हो गईं और साल 2017 में भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बना दिया। जिस पर आशा नौटियाल ने पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहीं। तब, कांग्रेस से मनोज रावत विधायक चुने गए और निर्दलीय कुलदीप रावत दूसरे स्थान पर रहे।
कुछ वक्त बाद आशा नौटियाल की दोबारा पार्टी में वापसी हुई। साल 2022 में भाजपा ने शैलारानी रावत को प्रत्याशी बनाया और वह जीत गईं। वहीं, आशा नौटियाल को महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई।
बताते चलें कि 9 जुलाई 2024 को विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद से केदारनाथ विधानसभा सीट खाली हो गई थी। जिसके बाद 15 अक्तूबर को निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव की अधिसूचना जारी की। इन दिनों नामांकन प्रक्रिया जारी है। 29 अक्तूबर तक नामांकन प्रक्रिया जारी रहेगी और आगामी 4 नवंबर को नाम वापस लेने के बाद प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी की जाएगी।
ऐसे में अब केदारनाथ उपचुनाव में किसके सिर पर केदार बाबा जीत का सहरा पहनाएंगे, यह समय के गर्त में है। लेकिन कुल मिलाकर ये चुनाव रोचक होगा इसके आसार हैं।