कारगिल विजय दिवस विशेष: जब भारत मां के जांबाजों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को सिखाया था सबक, हंसते हंसते हुए बलिदान

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। कारगिल युद्ध साल 1999 में मई और जून के महीने में हुआ था। साल 2024 में कारगिल युद्ध को 25 साल पूरे हो गए हैं। देश के वीरों की कहानी को देशभर के लोगों तक पहुंचाने के लिए हर साल 26 जुलाई को ये दिन कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन देश के वीर बलिदानी सपूतों की शौर्य और पराक्रम को श्रद्धांजलि देने के लिए हल्द्वानी के नैनीताल रोड स्थित शहीद पार्क में गौरव सैनानी, वीर नारियों के साथ साथ शहीदों के परिजन जुटते हैं।

साल 1999 में पाकिस्तान से आए आतंकी और पाकिस्तानी सैनिक चोरी-छिपे कारगिल की पहाड़ियों में घुस आए थे और उन्होंने कारगिल की चोटियों पर कब्जा जमाने की नापाक कोशिश की थी। जिसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन विजय’ की शुरुआत की।

इस दौरान हजारों घुसपैठियों और पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा गया। मई में शुरू हुए इस युद्ध का अंत 26 जुलाई को हुआ। इस दिन कारगिल की पहाड़ियों को घुसपैठियों के चंगुल से पूरी तरह से आजाद करवाया गया। तब से आज तक 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में भारत के करीब 500 से ज्यादा जवान शहीद हुए थे।

कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के स्मारक को श्रद्धांजलि देने के लिए भारतीय सेना ने तोलोलिंग हिल की तलहटी में द्रास में बनाया। इस स्मारक के प्रवेश द्वार पर पुष्प की अभिलाषा नाम की कविता खुदी हुई है, साथ ही दीवारों पर शहीदों के नाम भी शान से दर्ज हैं। सच ही कहा है – शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशा होगा… जय हिंद जय भारत

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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