हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। हिंदी पत्रकारिता दिवस पर आवास विकास क्षेत्र में स्थित मीडिया सेंटर में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के आवाहन पर शहर के इलेक्ट्रोनिक, प्रिंट, डिजिटल और सोशल मीडिया के पत्रकार कार्यक्रम में शामिल हुए।
इस दौरान श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष तारा चंद्र जोशी ने पत्रकारिता के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि आज पत्रकारों को एकजुट होने की नितांत जरूरत है क्योंकि चाहे अधिकारी वर्ग हो या नेता… हर कोई पत्रकारों के बीच फूट डालो और राज करो की नीति आजमा रहा है। पत्रकारों का गुटों में बंटना और सत्ता के खिलाफ न लिख पाना पत्रकारिता को कमजोर करता है। ऐसे में पत्रकारों को एकजुट होकर मनमुटाओं को दूर कर अपना धर्म निभाने के लिए आगे आना होगा।
बताते चलें कि वरिष्ठ पत्रकार तारा चंद्र जोशी साल 2008 से राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिक मीडिया का हिस्सा रहे हैं। जी न्यूज से अपनी जनसरोकार्रो वाली पत्रकारिता की शुरुवात करने वाले तारा चंद्र जोशी को कारगिल युद्ध और केदारनाथ आपदा के दौरान विशेष कवरेज के लिए जाना जाता है। वर्तमान में तारा पंजाब केसरी से जुड़े हैं।
जिलाध्यक्ष सर्वेंद्र बिष्ट और महानगर अध्यक्ष योगेश शर्मा ने पत्रकार साथियों को हिंदी पत्रकारिता दिवस की शुभकामनाएं दी।
योगेश शर्मा ने कहा कि आज भारत के लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की ताकत और महत्ता का दिन है। आज ही के दिन हिंदी भाषा में पहला समाचार पत्र “उदन्त मार्तण्ड” का प्रकाशन हुआ था।
पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने 30 मई, 1826 को इसे कलकत्ता से एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था। इसके प्रकाशक और संपादक वो खुद थे। हालांकि पैसों की तंगी की वजह से उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन चार दिसम्बर 1826 को बंद कर दिया गया था लेकिन उदन्त मार्तण्ड से शुरू हुआ हिन्दी पत्रकारिता का ये सफर आज भी बरकरार है।
इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार अमित कुमार चौधरी ने पत्रकारिता के पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि दिल्ली के इयान स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन से पत्रकारिता की विधिवत पढ़ाई करने के बाद उन्होंने साल 2008 में डीडी न्यूज से पत्रकारिता की शुरुवात की थी। तब पत्रकारिता का दौर अलग था। जन सरोकारों से जुड़ी छोटी खबर का भी बड़ा असर होता था।
अमित ने मौजूदा दौर की पत्रकारिता के उस हाल पर चिंता जताई, जहां पत्रकारिता के बेसिक 5 W 1H के सिद्धांत से अनभिज्ञ भी माइक थामकर खुद को पत्रकार जता रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज पत्रकारिता के गिरते स्तर को ऊंचा उठाने के लिए आगे आने की जरूरत है।
वरिष्ठ पत्रकार अंकित कुमार साह ने वर्तमान समय में पत्रकारों के बीच गुटबाजी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पत्रकार एकता के बगैर पत्रकारिता के मूल्यों को जिंदा रखने की बात बेईमानी है।
अंकित ने कहा कि आज के दौर के नई पीढ़ी के पत्रकार सीखने के बजाय सिखाने में ज्यादा विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि कई बार खुद को बड़ा पत्रकार साबित करने के चक्कर में उन्हें बैकफुट पर आना पड़ता है।
खबर सेवन के जरिए फेसबुक लाइव करने वाले वरिष्ठ पत्रकार सरताज आलम ने मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी के कालजयी शेर खींचो न कमानों को न तलवार निकालो,जब तोप हो मुकाबिल तो अखबार निकालो… से की।
सरताज ने कहा कि ये शेर अकबर इलाहाबादी ने तब लिखा था, जब अंग्रेजी हकूमत में क्रूरता अपने चरम पर थी। अकबर इलाहाबादी ने अखबार को उस वक्त एक बड़ी ताकत के रूप में देखा। ठीक वैसे ही जैसे नेपोलियन ने कहा था कि चार विरोधी अखबारों की मारक क्षमता के आगे हजारों बंदूकों की ताकत बेकार है।
सरताज आलम ने चिंता जताते हुए कहा कि आज पत्रकारों में पढ़ने की आदत कहीं छूट सी रही है, जिसका असर पत्रकारिता में भी साफ झलक रहा है।
इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार अंशुल डांगी और समीर बिसारिया ने भी मौजूदा पत्रकारिता की चुनौतियों को सामने रखा और पत्रकार एकता पर जोर दिया।
गोष्ठी में जिला महामंत्री भूपेंद्र रावत, कोषाध्यक्ष हर्ष रावत, शेर अफगान, भावनाथ पंडित, दीप बिष्ट बाबा, नवनीत सिंह, दीपक अधिकारी, विनोद कांडपाल, संजय प्रसाद, विनोद यादव, रक्षित टंडन, वंदना आर्य, ऋषि कपूर, शरद पांडे, अरकम सिद्दीकी, कुनाल अरोड़ा, श्रुति तिवारी, संस्कृति कर्मी दीपक कुमार सुयाल, मीडिया सेंटर से भुवन समेत कई पत्रकार मौजूद रहे।