(काव्य रचना): चन्द सांसों का ही तो झमेला है… आस्था बिकाऊ नहीं है

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चन्द सांसों का ही तो झमेला है

क्यों पेड़ों को लगाने का बबाला है

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अरे रहने ही दो हरियाली की कहानी

मैंने तो सिर्फ बंजर ही पाला है

जब वक़्त की मौहलत खत्म होगी

शायद तभी आँखों में हकीकत होगी

कितने सुंदर दिखते है ऊँचे पर्वत

जन्नत जैसे दिखते है ऊँचे पर्वत

नर्म हथेली से छूकर के देखा जो

मुझ से हँसकर मिलते है ऊँचे पर्वत

साथ तो इनका छोड़ दिया है अब सबने

तन्हा तन्हा रहते है ऊँचे पर्वत

इनका दर्द तो बिल्कुल मेरे जैसा है

चुपके चुपके रोते है ऊँचे पर्वत…

खबरों की दुनिया में चटपटी और दूसरों की जिंदगी में ताक झांक वाली खबरों की तलाश वालों को इस खबर का पता भी नहीं होगा।

कितनों को ये पता होगा कि हिमाचल प्रदेश के कुल्लू स्थित अटूट आस्था के केंद्र बिजली महादेव में रोपवे परियोजना का विरोध हो रहा है। लोग चीख चीखकर कह कह रहे हैं कि हमारी आस्था बिकाऊ नहीं है…

स्थानीय जनता और देववाणी के विरोध के बावजूद, सरकार इस परियोजना को आगे बढ़ाने पर आमादा है।

स्थानीय जनता का कहना है कि बिजली महादेव में देववाणी को सर्वोपरि माना जाता है और उनकी इच्छा के विपरीत कोई भी कार्य मंदिर में नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, इस परियोजना के लिए हजारों की संख्या में पेड़ों को काटा जा रहा है, जो बिजली महादेव की खूबसूरती का प्रतीक हैं।

इस परियोजना को लेकर पर्यावरण और सांस्कृतिक चिंताएं भी जताई जा रही हैं। स्थानीय जनता का मानना है कि इस परियोजना से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि स्थानीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं का भी उल्लंघन होगा।

कई लोगों का मानना है कि इस तरह की परियोजनाएं अक्सर स्थानीय जनता के लिए हानिकारक साबित होती हैं। उत्तराखंड में 2013 की केदारनाथ तबाही को इस तरह की परियोजनाओं के परिणाम के रूप में देखा जा रहा है, जहां माँ धारी देवी को उसके स्थान से हटाने के बाद भयंकर आपदा आई थी।

बिजली महादेव रोपवे के विरोध में बीते शुक्रवार को जिला मुख्यालय ढालपुर में जन आक्रोश देखने को मिला। समूचे खराहल के साथ अलग-अलग घाटियों से लोग सबसे पहले रामशिला पहुंचे।

यहां से रैली के रूप में हजारों की संख्या में लोग बिजली महादेव की जय और रोपवे नहीं चाहिए के नारे लगाते हुए आगे बढे़। अखाड़ा बाजार, ब्यासा मोड़, सरवरी, लोअर ढालपुर होते हुए यह जल सैलाब उपायुक्त कार्यालय के बाहर पहुंचा। धरने और प्रदर्शन में बिजली महादेव मंदिर कमेटी, बिजली महादेव रोपवे विरोध संघर्ष समिति समेत सामाजिक एवं धार्मिक संगठन के लोगों ने हिस्सा लिया।

उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि इससे पहले तीन बार रोपवे के विरोध में प्रदर्शन कर चुके हैं और प्रशासन के माध्यम से राज्य और केंद्र सरकार को प्रस्ताव भी भेज चुके हैं लेकिन ये प्रस्ताव कहां जा रहे हैं इसका कोई पता नहीं चल रहा है। उनका केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कोई जवाब ही नहीं मिल रहा है।

महादेव देव वाणी के माध्यम से साफ कर चुके हैं कि रोपवे नहीं बनना चाहिए लेकिन उसके बावजूद भी कुल्लू के विधायक रोपवे लगाने को लेकर अडे़ हुए हैं। उन्होंने कहा कि कायदे से विधायक को जनता के साथ आकर लड़ाई लड़नी चाहिए थी लेकिन, वह देवनीति के खिलाफ चलकर जनता की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं।

रोपवे को लेकर कुल्लू सदर के विधायक और प्रशासन की भूमिका पर सवाल खडे़ हो रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि इसके विरोध में तीन बार प्रदर्शन हो चुका है। डीसी के माध्यम से कई बार प्रस्ताव भेजे हैं लेकिन उन प्रस्तावों का क्या हुआ कोई पता नहीं है। जबकि कुल्लू सदर के विधायक जनता के विरोध के बावजूद भी रोपवे लगाने पर तुले हुए हैं। प्रदर्शन को कुचलने में पूरी ताकत लगा दी लेकिन उसे बावजूद भी लोग बिजली महादेव के सम्मान में राजनीति को दरकिनार कर सड़क पर उतरे हैं।

रोपवे संघर्ष समिति ने कहा है कि संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक रोपवे प्रोजेक्ट निरस्त नहीं हो जाता। बिजली महादेव के सम्मान की इस लड़ाई में केंद्र और राज्य सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि इस प्रोजेक्ट को निरस्त किया जाए।

अब देखना यह है कि सरकार इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाती है और स्थानीय जनता का विरोध कितना प्रभावी साबित होता है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो न केवल स्थानीय जनता के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए भी महत्वपूर्ण है।

(लेखिका प्रीति जोशी सुयाल ‘अंबर’ साहित्य और कविता, गजल लेखन के अलावा समाजसेवा के क्षेत्र में पिछले 15 वर्षों से काम कर रही हैं। मनोविज्ञान और शिक्षाशास्त्र में परास्नातक और एमएसडब्लू डिग्री प्राप्त करने वाली अंबर के गीत, गजल और कविताएं उत्तराखंड के समाचार पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। उन्हें काव्य मंचों में मर्मस्पर्शी गीत- गजलों से समां बांधने के लिए भी जाना जाता है।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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