हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। आज 28 सितम्बर शहीद भगत सिंह के जन्मदिवस के अवसर पर कुमाऊं के सबसे बड़े कॉलेज एमबीपीजी महाविद्यालय में छात्र राजनीति ने न केवल शहर बल्कि देश प्रदेश को शर्मसार करने का काम किया।
अमर शहीद भगत सिंह जहां भी होंगे तो जरूर सोच रहे होंगे कि क्या इन्हीं युवाओं के लिए उन्होंने अपने प्राणों की कुर्बानी दी। क्या वाकई छात्र के नाम पर ये अराजक युवा सभ्य समाज के अंग हैं?
अब पूरा मामला भी समझिए। दरअसल परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) की ओर से आज हर साल की तरह एमबीपीजी कॉलेज में शहीद भगत सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने का कार्यक्रम किया गया था।
शहीद भगत सिंह को छात्रों ने सम्मानपूर्वक याद करते हुए पुष्प अर्पित किए गए। कार्यक्रम शांतिपूर्वक चल रहा था। लेकिन एबीवीपी से जुड़े छात्रों या कहें कुछ गुंडों को ये कार्यक्रम नागवार गुजरा।
परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) इकाई सचिव महेश ने बताया कि कार्यक्रम चल ही रहा था कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सूरज सिंह रमोला, कौशल बिरखानी, कार्तिक बोरा और अन्य दर्जनों युवाओं ने पछास कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम करने से रोका और उनके साथ मारपीट की। श्रद्धांजलि के दौरान अमर क्रांतिकारी भगत सिंह पर पछास द्वारा लगाए गए पोस्टर भी फाड़े गए।
गुंडों के इस झुंड से चोटिल हुए कार्यकर्ता महेश और चन्दन बचते हुए महाविद्यालय से बाहर निकले तो वहां भी घेरकर उनको मारा। यह गुंडागर्दी दिखाती है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और मातृ संगठन आरएसएस, भाजपा ने देश में क्रांतिकारी शहीदों को याद करना भी मुश्किल बना दिया है। इन संगठनों का राष्ट्रवाद क्या यही है? जहाँ शहीदों की पुण्यतिथि को भी नहीं मनाने दिया जायेगा।
इन लम्पटों का दुस्साहस इतना अधिक था कि इन्होंने इस घटना का वीडियो बना रहे एक दैनिक अखबार के पत्रकार प्रमोद डालाकोटी से भी मारपीट की।
दुस्साहस की हद देखिए आरोपियों ने हल्द्वानी सीओ के कक्ष में भी खुलेआम गुंडई और अभद्रता की। दोनों पक्षों की ओर से तहरीर दी गई है। खबर लिखे जाने तक कोतवाली में भीड़ जुटी थी। अब फैसला पुलिस को करना है कि कैसे अराजक हो चुकी छात्र राजनीति पर लगाम लगाई जा सके।
बताते चलें कि छात्रसंघ अध्यक्ष सूरज रमोला और अन्य लम्पटों ने पिछले दिनों हल्द्वानी के मुखानी स्थित प्रतिष्ठित अस्पताल के डॉक्टर के साथ भी मारपीट की थी। बकायदा डॉक्टर ने पुलिस में आरोपियों के खिलाफ तहरीर भी दी थी। लेकिन कुछ दिन में मामला रफादफा यानी मैनेज हो गया। ये घटनाएं साबित करती हैं कि एबीवीपी के नाम पर लफंगे अब अराजक हो चुके हैं।
पछास कार्यकर्ता जब मेडिकल जांच कराकर कोतवाली में शिकायत दर्ज कराने गए तो मारपीट के आरोपी वहां पहले से मौजूद थे। वहां पछास कार्यकर्ताओं के पक्ष में बात रख रहीं प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की महासचिव रजनी और एक अन्य महिला कार्यकर्ता के साथ भी इन लम्पटों ने अभद्रता की।
पछास के सचिव महेश ने कहा कि यही है महिलाओं के सम्मान में बड़ी-बड़ी बातें करने और नारे गढ़ने वाले इन गुण्डों के असली संस्कार- अभद्रता, मारपीट, गालीगलौज। क्या महिला, क्या पुरूष, क्या बुजुर्ग, क्या हिन्दू, क्या मुस्लिम, क्या दलित, सबके ये दुश्मन हैं।
कभी महान क्रांतिकारियों को याद करते हुए कहा जाता था कि शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा। लेकिन आज के युवा वर्ग ने इसे गलत साबित कर दिया है। ये शहीद के जन्मदिन पर हिंसा और बवाल करने से भी नहीं चूक रहे हैं।
परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) इकाई सचिव महेश ने कहा कि जाहिर है कि आज शहीद भगत सिंह की विरासत को मानने वालों को अब आरएसएस, भाजपा, एबीवीपी के लम्पटों का सामना करना होगा।
इस खबर के माध्यम से एबीवीपी के सम्मानित वरिष्ठ पदाधिकारियों से हम तो इतना ही कहेंगे कि आपकी राजनीतिक विचारधारा भले दूसरों से मेल न खाती हो लेकिन इस तरह से खुलेआम हिंसा करना सही नहीं है। अभी तो छात्रसंघ चुनाव की तारीख भी घोषित नहीं हुई और अभी से आपके संगठन से जुड़े युवा ऐसी टुच्ची और शर्मसार करने वाली हरकतें करने पर आमादा हैं।
उम्मीद करते हैं कि इस घटना से सबक लेते हुए एबीवीपी के वरिष्ठ पदाधिकारी नई पीढ़ी को सही राह पर चलने के लिए निर्देशित करेंगे।