हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। इस बात पर हल्द्वानी वासियों को बधाई दें या शोक मनाएं क्योंकि एक तरफ महीने भर से हल्द्वानी के सालों हरे भरे पेड़ जिला प्रशासन के आदेश पर कट रहे हैं तो दूसरी तरफ अब कुमाऊं आयुक्त ने हल्द्वानी-काठगोदाम मुख्य मार्ग पर दोनों ओर सदाबहार बेलदार फूल लगाने का आदेश दिया है। यानी सांसों से ज्यादा आंखों का ख्याल रखना अधिकारियों की प्राथमिकता में है।
जो पेड़ सालों से अदृश्य रूप में हल्द्वानी और हल्द्वानी से गुजरकर नैनीताल और कुमाऊं और गढ़वाल की वादियों में जाते रहे हैं उन्हें भी सुकून के साथ साथ ठंडी हवा और ऑक्सीजन देने वाले पेड़ों को आज हल्द्वानी शहर से हमेशा हमेशा के लिए दूर किया जा रहा है और अब नैनीताल रोड पर बेलदार फूल लगाने की तैयारी हो रही है। अब आप ही बताइए यह शोक की स्थिति है या खुशी की…
देवभूमि उत्तराखंड में प्रकृति के रूप में देवों का वास है। इस बात को सिवाय उस उत्तराखंडी के कोई नहीं समझ सकता जिसके पूर्वजों ने पीढ़ी दर पीढ़ी उत्तराखंड में गांव पहाड़ को आबाद किया।
जिन्हें लगता है कि हरे भरे पेड़ सिर्फ एक पेड़ हैं उन्हें यह बात समझ भी नहीं आएगी। उनके लिए ये पेड़ महज कमाई का जरिया हैं।
वन महकमे के मंत्री- अधिकारियों की मेहरबानी से सालों से उत्तराखंड की अमूल्य वन संपदा ठिकाने लगाई जा रही है। ये हाल देखकर दुखी होने वाले बहुत हैं, आवाज भी उठाते हैं लेकिन है मजाल जो वनों के दुश्मन किसी जिम्मेदार पर कार्रवाई हुई हो।
यही वजह है कि आज उत्तराखंड में पहाड़ से मैदान तक सेटिंग गेटिंग के खेल में अमूल्य वन संपदा खाक हो रही है। रही सही कसर जंगल की आग और विकास के नाम पर बनने वाली सड़क ने पूरी कर दी है।
अगर बात हल्द्वानी की करें तो यहां एक तरफ लोग हरेला मना रहे थे तो वहीं दूसरी जिला प्रशासन के अधिकारियों के आदेश पर सालों पुराने हरे भरे पेड़ों पर आरियां चल रही थी। पेड़ों को काटने का यह सिलसिला आज भी जारी है।
जानकार बताते हैं कि जिस चौड़ी सड़क के लिए आज हल्द्वानी के सालों पुराने पेड़ काटे जा रहे हैं, वह चौड़ी सड़क भी हल्द्वानी की बाकी सड़कों की तरह अतिक्रमण की भेंट चढ़ जाएगी।
चौड़ी सड़क के खातिर नैनीताल रोड, नरीमन चौराहा, कालाढूंगी रोड, हनुमान मंदिर, लामाचौड़ तक सालों पुराने पेड़ काट दिए गए हैं। ये वही पेड़ थे जिन्होंने कोरोना काल जैसे मुश्किल वक्त में हल्द्वानी के लोगों को जीवनदायिनी ऑक्सीजन दी थी।
लेकिन आज पेड़ों का यह अमूल्य योगदान भुला दिया गया। सनातन धर्म के अनुसार, प्रकृति को भी देवताओं का रूप माना गया है। ऐसे में प्रकृति से जुड़ी चीजों में भी देवी देवताओं का वास माना जाता है।
लेकिन हल्द्वानी में पीपल, पाखड़, आम, नीम जैसे पेड़ों को काटने में जिला प्रशासन के अधिकारियों ने जरा देर नहीं लगाई। मीडिया में इतना जरूर प्रसारित किया गया कि 200 से ज्यादा पेड़ काटेंगे और 40 पेड़ों को री लोकेट करेंगे।
पीपल के पेड़ की जड़ में भगवान विष्णु, तने में केशव, शाखओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फलों में सभी देवता निवास करते हैं। पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु स्वरूप है। इसके साथ ही पीपल में पितरों और तीर्थों का निवास होता है।
वहीं, पाखड़ के पेड़ का देवता भगवान शिव माना जाता है। पाखड़ के पेड़ को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है और इसकी पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
हर मांगलिक और शुभ कामों में आम के पत्ते का प्रयोग किया जाता है। आम के पेड़ में हनुमान जी का निवास होता है। हनुमान जी का प्रिय फल भी आम माना जाता है।
इतना गंगा नहीं, हनुमान जी के भक्तों के लिए नीम का पेड़ महत्वपूर्ण है, क्योंकि हनुमान जी को नीम बहुत पसंद है और नीम के पत्तों का उपयोग उनकी पूजा में होता है। नीम के पेड़ में साक्षात मंगलदेव का वास है। इसकी पूजा करने से मंगलदोष दूर होते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, बरगद के पेड़ में जगत के पालनहार विष्णु, भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा का वास होता है। इसलिए इस पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को सौभाग्य, आरोग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा महिलाएं मनचाही मनोकामना मांगते हुए बरगद के पेड़ पर कलावा बांधती हैं।
लेकिन आज हल्द्वानी में ये तमाम पेड़ एक झटके में काट दिए गए। क्योंकि ये पेड़ चौड़ी सड़क में बाधा बन रहे थे। यानी एक झटके में पेड़ों के पर्यावरणीय और धार्मिक महत्व को दरकिनार कर दिया गया। और अब नैनीताल रोड में सड़क किनारे बेलादार फूल लगाने की तैयारी है।
अब सरकारी खबर भी जान लीजिए जो कुछ इस तरह है…
हल्द्वानी शहर भविष्य में पर्यटकों के साथ-साथ लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। इसके लिए कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी-काठगोदाम मुख्य मार्ग पर दोनों ओर सदाबहार बेलादार फूल लगाये जायेंगे। यह कहना है आयुक्त दीपक रावत का…
मंगलपडाव से काठगोदाम तक मुख्य मार्ग के दोनों ओर और सरकारी विभागों की चाहरदीवारी के साथ ही निजी भवनों की चाहरदीवारी व पार्कों पर बेलदार फूल लगाये जायेंगे। इस सम्बन्ध में कैम्प कार्यालय में आयुक्त दीपक रावत की अध्यक्षता में उद्यान, नगर निगम एवं प्राधिकरण के साथ बैठक हुई।
सीएचओ उद्यान डा. रजनीश सिंह ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि बेलदार फूलों में अलमिन्डा, मधुमालती, मंडेविला, गुलमोहर, बोगेनविलिया, कैटस क्लॉ, पैंशन फ्लावर, कलेटिक्स, रात की रानी, गर्लिक बेल तथा क्रस्ट क्रीपर/पददा बेल लगाये जा सकते हैं जो सदाबहार बेल के साथ ही महकदार भी हैं।
आयुक्त दीपक रावत ने बताया कि मंगलपडाव से काठगोदाम पर बेलदार फूल लगने से हल्द्वानी शहर की एक अलग पहचान मिलेगी। उन्होंने कहा कि देश विदेश के पर्यटकों का आवागमन हल्द्वानी शहर से होता है। यह शहर पयर्टकों के साथ ही आमजनता के लिए आकर्षण के केन्द्र बनेगा।
उन्होेंने उद्यान विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि मानसून समाप्त होने से पहले फूल लगा दिए जाएं इसके लिए योजना की डीपीआर शीघ्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि फूल के पौधे उन्ही पार्कों पर लगाये जायेंगे जिनका रखरखाव नगर निगम या अन्य कोई संस्था करती है।
कुमाऊं आयुक्त ने कहा कि मंगलपडाव से काठगोदाम के मध्य जिन लोगों की चाहरदीवार मुख्य मार्ग पर है, वहां भी इस प्रकार के पौधे लगाये जायेंगे। उन्होंने उद्यान विभाग के अधिकरियों को निर्देश दिए कि जिस संस्था द्वारा फूल लगाये जायेंगे रखरखाव भी उसी के द्वारा किया जायेगा।
बैठक में नगर आयुक्त विशाल मिश्रा, सचिव विकास प्राधिकरण विजय नाथ शुक्ल, संयुक्त निदेशक उद्यान डॉ. बृजेश कुमार, सीएचओ डा. रजनीश सिंह मौजूद थे।