हल्द्वानी: अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो… पूस के दिन- रात और नौ माह की मासूम इस हाल

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। इस कलयुग में पैसों को भगवान मानने वालों और दिखावे के लिए भगवान, खुदा का ध्यान करने वालों की कोई कमी नहीं है। ये लोग समाज में एक ईमानदार छवि लिए घूमते हैं लेकिन असल में इंसानियत के दुश्मन होते हैं।

ये सब बातें आपसे इसलिए साझा करनी पड़ रही हैं क्योंकि काठगोदाम क्षेत्र में एक ऐसा वाकया घटा है जिसने ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या वाकई दो पैरों वाला इंसान इंसान कहलाने के लायक है?

सोचिए ठंड का महीना। पूस की सर्द दिन और रात में हर कोई ठिठुर रहा है और एक नौ महीने की मासूम बच्ची गौला बैराज में फेंकी मिली। उसका कसूर सिर्फ इतना था कि वो लड़की थी।

फिलहाल यह साफ नहीं हुआ है कि वो बच्ची सांसों के साथ गौला बैराज में फेंकी गई थी या बिना सांसों के लेकिन ये बिल्कुल साफ है कि उसे इस हाल में फेंकने वाले इंसान की शक्ल में हैवान से भी गए गुजरे थे।

शुक्रवार शाम काठगोदाम क्षेत्र में गौला बैराज के आसपास के लोगों की नजर एक नवजात बच्ची के शव पर पड़ी । सूचना पर पुलिस भी मौके पर पहुंची और बैराज से बच्ची के शव को बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए भेजा। अब पुलिस इस जांच में जुटी है कि नवजात बच्ची को इस हाल में फेंकने वाला कौन था।

हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही साबित हो सकेगा कि नन्हीं बच्ची को जीते जी फेंका गया था या उसकी मौत के बाद यह दुस्साहस किया गया। हालाकि दोनों ही दशाओं में यह कृत्य इंसानियत को शर्मसार करने वाला है।

बेटे की भूख और बेटी के होने पर शोक मानने वाले समाज की यह वो तस्वीर है जो साबित करती है कि समाज में दोगले मन मस्तिष्क वालों की भरमार है।

मासूम बच्ची जिसने अभी दुनिया को देखना तो दूर ठीक से सांस भी नहीं ली होगी उसे कड़कड़ाती ठंड में पानी में फेंकने वाले चाहे हिन्दू हों या मुसलमान, ऊपर वाले के आगे सिर जरूर झुकाते होंगे लेकिन उन्हें ये पाप करते जरा भी डर नहीं लगा। ऐसे में सोचिए उन शैतानों का वो ऊपर वाला क्या हश्र करेगा जिन्होंने अंधेरे में ये पाप किया।

गौला बैराज के आसपास रहने वाले लोगों की मानें तो नवजात बच्ची का शरीर नौ महीने का पूर्ण विकसित नजर आ रहा था। ऐसे में साफ है कि बेटी होना ही उस मासूम का कसूर था। यही वजह है कि उसके होते ही शैतानों ने उसे हमेशा हमेशा के लिए सुला दिया।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ वाले समाज की ये तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि क्यों प्रकृति और परमेश्वर का क्रोध हर किसी के सामने आता है। क्योंकि ये अपराध दो लोगों का नहीं है बल्कि उस समाज पड़ोस का भी है जिनके बीच ये शैतान, मां बाप के भेष में रह रहे थे और अब वो समाज खामोश है।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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