रामगढ़ ब्लॉक के बसगांव में स्वर्ग सिधार चुके लोगों का बना दिया आधार कार्ड, जमीन ठिकाने लगाकर कमीशन खाने वाले बेनकाब

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। पहाड़ में रहने वाले ही पहाड़ को खोखला करने में लगे हैं। जिस गांव की जमीन को उनके बाप, दादा और पुरखे बसाकर गए, आज उसी जमीन की दलाली कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला नैनीताल जिले के रामगढ़ ब्लॉक के सिमराड पोस्ट ऑफिस के गांव बसगांव से सामने आया है

देखें वीडियो : बसगांव में सक्रिय जमीन के दलाल, IAS दीपक रावत के सामने बेनकाब

आरोप है कि गांव की प्रधान पति ने कमीशन खाने के लिए जमीन के ऐसे फर्जीवाड़े में साथ दिया। जिसने भी ये जमीन फर्जीवाड़ा सुना वो सन्न रह गया। यहां स्वर्ग सिधार चुके व्यक्ति की जमीन को ठिकाने लगाने का खेल रचा गया। इसके लिए बकायदा मृतक का फर्जी आधार कार्ड तक बनवा दिया गया। पटवारी की मिलीभगत से जमीन की रजिस्ट्री भी हो गई। अब फंसने के डर से गांव में ग्राम प्रधान पति से लेकर हर उस बिचौलिए की नींद उड़ी है जो कमीशन खाकर अमीर बनने का ख्वाब देख रहा था।

आज कुमाऊं आयुक्त और मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत की जनसुनवाई में भी बसगांव के जमीन फर्जीवाड़े का मामला आया। अपने चिरपरिचित अंदाज में आयुक्त ने दोनों पक्षों को सुना।

बसगांव जमीन फर्जीवाड़े से जुड़े लोगों से पूछताछ करते आयुक्त दीपक रावत।

बसगांव से सटे छीमी गांव निवासी और सुयालबाड़ी में चाय और मिठाई की दुकान चलाने वाले मोहन सिंह ने बताया कि करीब 13 नाली 07 मुट्ठी जमीन उसने मुरलीधर जोशी और जयकिशन जोशी से खरीदी। लेकिन जमीन के असली मालिक से वह कभी नहीं मिला और सीधा इसी साल की 16 अगस्त को नैनीताल सब रजिस्ट्रार के यहां रजिस्ट्री के लिए मिले।

इसके साथ ही रजिस्ट्री में 14 लाख का चेक सबूत के तौर पर लगाया है जिसे खरीदार ने अभी तक भुनाया नहीं है। ग्राम प्रधान पति के साथ गांव से आए कुछ लोगों का कहना था कि जिसके नाम पर भूमि दर्ज है उन दोनों व्यक्तियों को पिछले 70 सालों में कभी नहीं देखा गया।

मामले की संदिग्धता को देखते आयुक्त ने रजिस्ट्री में बेचने वालों के आधार कार्ड की मौके पर ई डिस्ट्रिक्ट मैनेजर से जांच कराई जिसमें दोनों के आधार कार्ड नम्बर फर्जी पाए गए। जो मोबाइल नम्बर खरीदार मनोज सिंह ने रजिस्ट्री में दिया है, वह भी हरीश पांडेय नामक व्यक्ति का सामने आया। जिसके नाम पर उसी दिन जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी भी हुई है। जो सीधे तौर पर जमीनों की खरीद फरोख्त में धोखाधड़ी दर्शाता है। मोहन सिंह की भूमिका भी संदिग्ध है।

मोहन सिंह ने कुमाऊं आयुक्त के सामने कहा कि इस जमीन को बेचने के इंतजाम ग्राम प्रधान पति और पटवारी ने किए जिसके बाद रजिस्ट्री भी हो गई।

मोहन सिंह ने यह भी बताया कि हरीश पांडेय और भगवंत भंडारी नामक व्यक्ति ने पूरे खेल में अहम भूमिका निभाई। विक्रेताओं को भी वही लाए थे। वर्तमान में हरीश भंडारी दुमका पेयजल योजना में लाइनमैन है। लेकिन मोहन सिंह यह बताना भूल गया कि इस खेल में कहीं न कहीं वह भी शामिल है।

इस पर आयुक्त ने मामले को लैंड फ्रॉड समिति में रखने और मामले की तह तक जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि फर्जीवाड़ा करने वाले बक्शे नहीं जाएंगे।

बताते चलें कि शांत और सुकून भरे गांव बसगांव में फल , सब्जी और दुग्ध उत्पादन ग्रामीणों की आजीविका का प्रमुख आधार है। इसके अलावा गांव के लोग स्वरोजगार से भी जुड़े हैं। लेकिन बीते कुछ सालों में गांव के युवा पीढ़ी का हल्द्वानी बसने का सिलसिला तेजी से शुरू हुआ है। युवा पीढ़ी इंटर के बाद भविष्य संवारने के लिए गांव छोड़ रही है। ऐसे में गांव में अब गिने चुने परिवार और उनमें भी बुजुर्ग बचे हैं।

गांव के लोग बताते हैं कि जब से सड़क पहुंची है तभी से यहां जमीन बेचकर कमीशन खाने वाले सक्रिय हो गए हैं। आज स्थिति यह है कि गांव में बाहरी राज्य के व्यक्ति ने होम स्टे तक खोल दिया है। जिसके बाद सुबह से रात तक गांव की सड़क में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान की गाड़ियों की धमक रहती है। इतना ही नहीं, जमीन बेचने वाले ही होम स्टे के निर्माण कार्यों में गांव के अन्य लोगों के साथ मजदूरी कर रहे हैं।

गांव के भीतर छुपे शॉर्टकट में अमीर बनने वालों पहाड़ियों के चलते गांव की जमीनों पर साल दर साल बाहरी और समुदाय विशेष के लोगों का कब्जा हो रहा है। लेकिन गांव के जिम्मेदार ग्राम प्रधान और दूसरे जनप्रतिनिधियों की तरफ से कभी भी गांव की जमीनों की खरीद फरोख्त की आवाज नहीं उठाई गई।

यहां कई युवा सत्ताधारी दल के नेता बनकर ठेकेदारी से खुद को चमका रहे हैं। लेकिन गांव की अस्मिता को बचाने और बाहरियों की घुसपैठ रोकने से उन्हें कोई मतलब नहीं है।

गांव की जमीनों को गांव के चंद लोगों ने कमीशन खाने का जरिया बनाया और जमीन पर हर वो शख्स बसाया गया जिसके लिए पहाड़ सिर्फ और सिर्फ अय्याशी और कमाई का ऐशगाह है। गांव के चंद लोग अपने पुरखों की जमीन को ठिकाने लगाकर हल्द्वानी में जमीन लेकर मकान बनाने की राह पर निकल चले हैं। उन्हें लग रहा है कि हल्द्वानी में मकान होना ही उनके जीवन की सफलता और कामयाबी है लेकिन यही उनकी सबसे बड़ी भूल है।

अपने पितरों और ईष्ट देवों की भूमि को बाहरी लोगों के हवाले करने वाला चाहे कितनी मर्जी दलाली कर ले लेकिन कभी सुखी नहीं रह सकता। आज भले गांव की अस्मिता को तार तार करने वाले मौज काट रहे हों लेकिन उन्होंने अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए बदहाली, दुर्भाग्य और आंसुओं के बीज बो दिए हैं।

गांव के लोग बताते हैं कि एक तरफ गढ़वाल के कई गांव है जहां के ग्राम प्रधान और जन प्रतिनिधियों ने गांव की जमीन किसी भी बाहरी को न बेचने और गांव में जमीनों के दलालों की एंट्री पर रोक लगाई है, वहीं बसगांव में जिम्मेदार ही जमीन के दलाल बने हुए हैं। ऐसे में कहें तो कहें किससे?? अब ऊपर वाला ही बसगांव को बचाए…

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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