अल्मोड़ा, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड में जल, जंगल और जमीन कब्जाने वालों की यूं तो राज्य बनने के दिन से ही शुरुआत हो गई थी। मजबूत और सशक्त भू कानून न होने की वजह बीते सालों में राज्य के बाहर के लोगों ने स्थानीय दलालों और सरकारी तंत्र में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिलकर यहां के संसाधनों में खूब लूट की।
ऐसे में जहां राज्य के लोग लंबे समय से सशक्त भू कानून की मांग उठा रहे हैं तो सरकार ने उसे प्राथमिकता देने के बजाय राज्य में यूसीसी लागू कर दिया। यानि जनभावना को दरकिनार कर सरकार ने अपना सियासी दांव खेला।
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इस बीच राज्य सरकार यह कहती रही कि हम उत्तराखंड में सशक्त भू कानून लाएंगे जिसे अगले विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा। इस बीच उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में बाहरियों द्वारा जमीन कब्जाने के कई खुलासे भी हुए।
यह भी खुलासा हुआ कि शासन में बैठे कई नौकरशाहों ने भी अपने पद और सत्ता की आड़ में जमीनों में खूब खेला किया है। लेकिन फिलहाल उनके गिरेबान तक कोई कानूनी हाथ नहीं पहुंचा है।
ऐसे में राज्य सरकार कैसा भू कानून उत्तराखंड में लाने वाली है, इसका अंदाजा लगा लीजिए। इस बीच लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां उत्तराखंड मूल के लोगों की जमीनों पर बाहरी गिद्ध की नजर गड़ाए हैं।
ऐसा ही एक मामला अल्मोड़ा में सामने आया, जहां पीड़ित महिला की ओर से एडवोकेट पीसी तिवारी की मजबूत पैरवी के बाद आरोपियों के खिलाफ माननीय कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
अल्मोड़ा से सटे फलसीमा गांव की एक वयोवृद्ध महिला भागीरथी देवी के नाम से सरकारी, गैर सरकारी लोगों, स्थानीय दलालों की मिलीभगत से हुए जमीन के रजिस्ट्री बैनामे को लेकर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अल्मोड़ा दयाराम ने कोतवाली अल्मोड़ा को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
फलसीमा गांव की गोल खाते की बंटवारा जमीन को नजफगढ़ रोड, नागलोई, दिल्ली निवासी अविनाश यादव ने 35 रजिस्ट्री के माध्यम से करीब 72 नाली जमीन खरीदी है, जिसको लेकर ग्रामीणों में भारी असंतोष रहा है।
इन मामलों के सामने आने के बाद 13 फरवरी 2023 को अल्मोड़ा में “माफिया भगाओ,पहाड़ बचाओ, “भूमाफिया भगाओ, उत्तराखंड बचाओ जन अभियान के अंतर्गत जोरदार प्रदर्शन भी हुआ जिसके बाद अल्मोड़ा की तत्कालीन जिलाधिकारी वंदना ने इन मामलों की जांच के आदेश दिए थे।
पीड़ित महिला भागीरथी देवी एवं ग्रामवासियों की शिकायत है कि भागीरथी देवी अपनी एक जमीन की रजिस्ट्री करने के लिए 26 जुलाई 2022 को रजिस्टार कार्यालय अल्मोड़ा गई थी और 20 अगस्त 2022 को हुई रजिस्ट्री के दिन वह रजिस्ट्रार कार्यालय गई ही नहीं थी किन्तु उनके आधार कार्ड एवं अन्य अभिलेखों का दुरुपयोग कर उनके नाम से कूटरचित फर्जी बैनामा किया गया।
पीड़ित महिला ने इस मामले का पता चलने पर 31 मई 2022 को कोतवाली अल्मोड़ा में लिखित रिपोर्ट दी किंतु पुलिस ने उसे दर्ज नहीं किया। लगातार प्रयास करने के बावजूद रिपोर्ट दर्ज न होने पर पीड़ित की ओर से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अल्मोड़ा के न्यायालय में 156 (3) के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की प्रार्थना के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया, इसमें न्यायालय ने कोतवाली अल्मोड़ा को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
घटना के सामने आने के बाद जमीन क्रय करने वाले अविनाश यादव ने सिविल जज सीनियर डिवीजन अल्मोड़ा के न्यायालय में स्वयं द्वारा की गई रजिस्ट्री को भूलवश होना बताते हुए निरस्त करने का मुकदमा दर्ज किया, जो अभी चल रहा है।
पीड़ित महिला ने इसे उसकी जमीन को कूटनीति से कब्जा करने की सुनियोजित साजिश बताते हुए कहा है कि इस मामले में सम्मिलित लोग आपराधिक कार्रवाई से बचने के लिए रजिस्ट्री को निरस्त करने का वाद लाए हैं इसका उनके द्वारा कड़ा विरोध किया गया।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अल्मोड़ा दयाराम द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के इस आदेश पर रिपोर्ट दर्ज होने के बाद यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो पाई , तो उसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे।