काश! किच्छा के मां- बाप ने अपनी लाड़ली से दोस्ती की होती तो आज यह दुखद खबर सामने नहीं आती

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किच्छा, प्रेस 15 न्यूज। आज के वक्त में रुपए कमाने की होड़ इस कदर बढ़ गई है कि मां बाप को इस बात से फर्क ही नहीं पड़ रहा कि उनके बच्चे किस हाल में जी रहे रहे हैं।

यानी बच्चे पैदा करना और उन्हें खाना खिलाना और स्कूल कॉलेज की फीस भरना ही मां बाप ने अपनी ड्यूटी समझ ली है। बच्चे क्या कर रहे हैं, उनके मन मस्तिष्क में क्या चल रहा है, इन सब बातों को जानने और समझने का माता पिता को समय नहीं है। या यूं कहें कि मां बाप ये जानना ही नहीं चाहते।

यही वजह है कि समाज में आए दिन ऐसे कष्टकारी किस्से सुनाई पड़ रहे हैं जहां पर मां बाप की एक डांठ या सख्ती के बाद बच्चे अपने जीवन को खत्म करने से भी नहीं हिचक रहे हैं। जो अगर मां बाप अपने बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखते तो क्या बच्चे उन्हें अपने मन का हाल ईमानदारी से नहीं बताते। बच्चों को पता है कि उनके मां बाप उन्हें नहीं समझेंगे यही वजह है कि वो जीवन खत्म करना ही आखिरी विकल्प समझ रहे हैं।

ताजा मामला उधमसिंह नगर जिले के किच्छा का है। यहां कोतवाली की एक कॉलोनी में रविवार सुबह एक किशोरी का शव कमरे में पंखे से लटका मिला।

परिजनों ने पुलिस को बताया कि किशोरी शनिवार रात को करीब ढाई बजे फोन पर किसी से बात कर रही थी। इस पर मां ने उसे डांटते हुए उसका मोबाइल छीन लिया और मां अपने कमरे में चली गई। इसके बाद किशोरी ने भी अपना कमरा अंदर से बंद कर लिया।

सुबह जब वह काफी देर तक नहीं किशोरी नहीं उठी तो मां उसे जगाने गई। जोरजोर से आवाज देने पर भी जब किशोरी ने कमरा नहीं खोला तो घरवालों ने अनहोनी की आशंका पर दरवाजा तोड़ दिया। नजारा देखकर मां समेत परिजनों के पांव तले जमीन खिसक गई। कमरे में किशोरी पंखे से लटकी मिली।

सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। लेकिन इस घटना ने वर्तमान समय में मां बाप और परिवार के बीच अलग थलग दुनिया में जी रहे बच्चों के हाल को बयां कर दिया है। आखिर बच्चे अपने मां बाप से अपनी जिंदगी का हाल क्यों छुपाने को मजबूर हैं? क्यों मां बाप अपने बच्चों से दोस्ताना व्यवहार नहीं कायम कर पा रहे हैं?

मां ने मोबाइल छीना और बेटी फंदे में झूल गई, क्या यह सब मां के एक दिन की सख्ती का परिणाम है? ऐसे तमाम सवाल हैं जिनका जवाब आज हर उस मां बाप को तलाशना होगा।

आप पैसा कमाइए खूब कमाइए लेकिन जिनके लिए कमा रहे हैं, उनका हाल भी लेते रहिए। बच्चा पैदा करना ही मां बाप का काम नहीं होता, उन बच्चो को सही दिशा देकर एक जिम्मेदार व्यक्तिव का मालिक बनाना भी मां बाप का फर्ज है। सोचिए क्या अब वह किशोरी वापस आ सकती है जिसने मां के मोबाइल छीनने के बाद जिंदगी खत्म करना ही आखिरी विकल्प चुना?

यही वजह है जिन बच्चों का मां बाप से दोस्ताना रिश्ता नहीं आज वो बच्चे खासतौर पर बेटियां गुमराह होकर घर से भागने में पीछे नहीं रहती। और उसके बाद कैसे कैसे दुर्दांत हादसे सामने आते हैं, यह भी किसी से नहीं छुपा है।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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