
हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। कंधे में तीन स्टार और वीवीआईपी जिले नैनीताल के खासमखास शहर हल्द्वानी की कोतवाली की जिम्मेदारी…जब सिर पर हाथ कप्तान का हो तो फिर फरियादियों की ऐसी तैसी…
जिस पुलिस पर पीड़ितों के दर्द पर मरहम लगाने की जिम्मेदारी होती है, जब वही वर्दीधारी न्याय देने के बजाय पीड़ितों को ही लठियाने और दौड़ाने लगे तो समझिए आपका सामना नैनीताल जिले की पुलिस से हो रहा है।

एक से बढ़कर एक तुर्रम यहां खुद को वर्दी पहनकर भगवान से कम नहीं समझते। आम आदमी के सामने इनकी हेकड़ी ऐसी कि अंग्रेजों के जमाने की पुलिस भी पीछे छूट जाए।
अब आप कहेंगे भला माजरा क्या है? आखिर क्यों पहेलियां बुझा रहे हो? सीधे सीधे बता भी दो आखिर ये किस वर्दीधारी की बात हो रही है?
मामला 08 अगस्त 2025 का है, जब योग ट्रेनर ज्योति मेर के हत्यारोपी अजय यदुवंशी और अभय यदुवंशी की गिरफ्तारी में हो रही देरी को लेकर पहाड़ी आर्मी के संस्थापक अध्यक्ष हरीश रावत एसएसपी मीणा से मिलने पहुंचे थे। उनके साथ ज्योति मेर के हल्दूचौड़ के तुलारामपुर गांव निवासी परिजन और अन्य लोग भी थे।
इस दौरान मौके पर मौजूद कोतवाल राजेश यादव के कान में जैसे ही एसएसपी के खिलाफ नारे घुसे मानो उनके शरीर में करंट दौड़ गया। भला एक आम आदमी की इतनी हिमाकत कैसे कि वो एसएसपी की कार्यशैली पर सवाल उठा दे।
फिर क्या था बेटी के लिए न्याय मांग रहे लोगों को एसएसपी से मिलवाना तो दूर कोतवाल ने वर्दी को सारी गर्मी पहाड़ी आर्मी के हरीश रावत पर निकाल दी। और पुलिस बहुउद्देशीय भवन से हरीश रावत का सीधा कॉलर पकड़ा और खदेड़ते हुए हवालात में ठूंस दिया।
ऐसे में एक पल को दुनिया छोड़ चुकी ज्योति मेर के परिजन भी सहम गए। उन्हें लगा जब उनके लिए न्याय मांग रहे हरीश रावत पर कोतवाल अपने कांस्टेबल और एसआईयों के साथ मिलकर खुलेआम बर्बरता कर सकते हैं तो हमारी क्या विसात, हम तो एक आम आदमी हैं। इस आस में कि उनकी योग ट्रेनर बेटी के हत्यारों को सजा मिलेगी आंखों में आंसू और भगवान से गुहार लगाते हुए बुदबुदाते हुए वो भी घर को लौट गए।
हरीश रावत का कहना है कि कोतवाल ने उन्हें अपराधी की तरह कॉलर पकड़कर घसीटा। काफी देर तक हवालात में बंद रखा। कोतवाल की वर्दी की गर्मी का ये पूरा वाकया वीडियो की शक्ल में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिससे लोगों में भारी आक्रोश भी है।
आज हल्द्वानी कोतवाल राजेश यादव की इसी बर्बरता के खिलाफ पहाड़ी आर्मी से जुड़े लोगों ने नैनीताल रोड में प्रदर्शन किया। इस दौरान कोतवाल का पुतला फूंककर ये संदेश भी दिया कि हल्द्वानी में ऐसे पुलिस अधिकारियों की जरूरत नहीं जिनके दिमाग में वर्दी की गर्मी चढ़ी है।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह कोई पहला वाकया नहीं है जब कोतवाल राजेश यादव ने न्याय मांग रहे पीड़ित लोगों पर बर्बरता की हो, इससे पहले भी कई बार कोतवाल ने सार्वजनिक स्थानों पर अभद्रता की है। गौलापार में 10 वर्षीय मासूम अमित मौर्य के लिए न्याय मांग रहे मौर्य परिवार के लोगों पर भी कोतवाल ने बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज किया था।
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि यह पुलिसिया गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मांग की है कि तत्काल कोतवाल को पद से हटाया जाए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। विरोध करने वालों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो धरना प्रदर्शन के माध्यम से आंदोलन की गूंज राज्यभर में फैलाएंगे।
जिलाध्यक्ष मोहन कांडपाल ने कहा कि पुलिस जनता की सुरक्षा के लिए है, न कि उनके साथ दुर्व्यवहार करने के लिए। अगर कोतवाल जैसे जिम्मेदार पद पर ऐसे असंवेदनशील लोग काबिज होंगे तो कौन न्याय की आस में थाना, चौकी कोतवाली जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केवल व्यक्तिगत सम्मान की नहीं, बल्कि आम जनता के अधिकारों की है। पुलिस कप्तान बताएं क्या न्याय मांगना गुनाह है?
प्रदर्शन करने वालों में पहाड़ी आर्मी के जिला महामंत्री राजेंद्र राजेंद्र कांडपाल, जिला प्रभारी हिमांशु शर्मा, सूबेदार मेजर दिनेश जोशी, फौजी कमलेश जेठी, युवा नगर अध्यक्ष विनोद नेगी, सतीश फुलारा, दीपा पांडे, इंजीनियर गोकुल मेहरा, हिमांशु जोशी, एडवोकेट मोहन कांडपाल, दीपक चंद गोस्वामी, कैलाश डालाकोटी, विजय भंडारी, एडवोकेट नवीन चंद तिवारी, पवन सिंह जाला, प्रेम मेर, मुन्नी देवी, गीता बिष्ट, रुचि भंडारी, हरेंद्र राणा, कल्पना चौहान, लोकेश कंवल, त्रिलोक सिंह मटियाली, धन सिंह रहे।
एक सच्चाई ये भी है जिनका काम नैनीताल जिले के गांव शहरों को अपराध मुक्त करने के साथ साथ नशा मुक्त बनाने पर होना चाहिए वो महीने का टारगेट जुटाने में लगे हैं।
आज भले ही थाना चौकी कोतवाली का महीने का टारगेट ये समाज को खोखला कर पूरा कर रहे हैं लेकिन जिस दिन अपराध के सताए लोगों और नशे के गर्त में धंसते मां बाप के आंसुओं की सुनवाई होगी, उस दिन इनके पाप का घड़ा भी फूटेगा।
एक सच ये भी है कि जो वर्दीधारी महीने के इस टारगेट को पूरा करने में अपनी आत्मा को नहीं बेच पाते वो वीआरएस यानी स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने को मजबूर होते हैं।
आत्मा का जिक्र आया तो आपको कुछ महीने पहले एसएसपी मीणा को वो वायरल वीडियो याद आया होगा जिसमें वो जिले के थाना चौकी प्रभारियों और सीओ से कहते नजर आए थे कि फिलहाल नशे के मामले में तो उनकी आत्मा नहीं मरी है। सवाल अब भी यही है एसएसपी के उस बयान का मकसद सिर्फ वीडियो वायरल करना रहा या जमीन पर असर भी…खैर इस मुद्दे पर फिर कभी…
यही खाकी वर्दीधारी ही क्यों, जिले, मंडल और राज्य में काबिज हर उस जिम्मेदार के कर्मों का हिसाब होगा जिसे आज गुमान है कि वही सबकुछ है, वही देवभूमि के आम लोगों का भाग्य विधाता है, उनके साथ जो चाहे कर सकता है।
