हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। आखिरकार उत्तराखंड शासन को 31 अक्टूबर के बाद एक नवंबर को भी दीपावली का सार्वजनिक अवकाश घोषित करना ही पड़ा।
यह भी देखें : दीपावली के दिन को लेकर सुनिए क्या बोले जाने माने ज्योतिषाचार्य आचार्य निर्मल त्रिपाठी 👇👇👇🪔🪔
दीपावली की छुट्टी 31 अक्टूबर को करने को लेकर सचिवालय संघ और राज्य कर्मचारी भी नाराज थे। ऐसे में अब एक नवंबर की छुट्टी का आदेश आने के बाद उन्हें भी दो दिन की सरकारी अवकाश का आनंद मिलेगा।
यह भी पढ़ें : उत्तराखंड के 10 ज्योतिषाचार्यों की नहीं मानी, शासन बना ज्ञानी !
दरअसल, दीपावली पर दो तिथियों की वजह से संशय की स्थिति बनी हुई है। एक नवंबर को पहले से ही सार्वजनिक अवकाश घोषित था, लेकिन बीते रोज शासन ने 31 अक्टूबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया था।
जिसके बाद प्रदेश में एक नवंबर को भी सार्वजनिक अवकाश घोषित किए जाने की मांग उठने लगी थी। जिसके बाद आज शासन को 31 अक्टूबर के साथ साथ एक नवम्बर को भी दीपावली का सार्वजनिक अवकाश घोषित करना पड़ा।
दीपावली पूजन किस दिन करें, इस पर उत्तराखंड में कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी के जाने माने 10 ज्योतिषाचार्य जिनमें पंडित जगदीश चंद्र भट्ट, डॉ. नवीन जोशी, गोपाल दत्त भट्ट, दीपक जोशी (रामदत्त जोशी पंचांग निर्माता), डॉ. मंजू जोशी, गोपाल दत्त त्रिपाठी, डॉ. नवीन बेलवाल, डॉ. राजेश जोशी, मनोज उपाध्याय, आचार्य निर्मल त्रिपाठी शामिल रहे, सभी ने एक स्वर में कहा कि उत्तराखंड में प्रचलित विश्वनीय और तार्किक पंचांगों के आधार पर दीपावली एक नवंबर को मनाना लोकहित में है। वहीं, चारधाम में एक नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी।
शासन की ओर से 31 अक्टूबर को दिवाली का सार्वजनिक अवकाश घोषित करने से उत्तराखंड के ज्योतिष विद्वानों की राय के साथ साथ यहां के प्रचलित भास्कर, रामदत जोशी पंचांगों की विश्वसनीयता पर भी हर अंगूठा छाप सवाल उठाने लगा था और सोशल मीडिया में अपने अधकचरे ज्ञान की नुमाइश भी जोर शोर से कर रहा था।
लेकिन समय रहते उत्तराखंड शासन ने एक नवंबर को दीपावली का सार्वजनिक अवकाश घोषित कर उत्तराखंड के ज्योतिष विद्वानों और पंचांगों का मान रखा है।
गंगा सभा ने भी एक नवंबर को ही दीपावली मनाने का पंचांग जारी किया है। गंगा सभा का मानना है कि यदि दो दिन की अमावस्या होती है तो दूसरे दिन ही दीपावली पूजन और मां लक्ष्मी का पूजन किया जाना चाहिए। एक तारीख में सूर्योदय के समय भी अमावस्या है और सूर्यास्त के समय प्रदोष काल में भी अमावस्या है। इसलिए एक नवंबर को दीपावली मनानी चाहिए।
ऐसे में अब उत्तराखंड शासन ने भी आमजन की भावनाओं का सम्मान करते हुए एक नवंबर को भी दीपावली का सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया है।
दीपावली का पर्व सतयुग और त्रेतायुग की दो घटनाओं से जुड़ा है। सतयुग में कार्तिक कृष्ण अमावस्या पर समुद्र मंथन से महालक्ष्मी प्रकट हुई थीं। लक्ष्मी पूजन तभी सतयुग से होता आ रहा है। त्रेतायुग में भगवान विष्णु ने रामावतार लिया।
माता सीता का हरण करने वाले रावण के वध के बाद भगवान श्री राम छोटी दिवाली के दिन ही भरत को साथ लेकर अयोध्या पहुंचे थे। अगले दिन अमावस्या को लक्ष्मी पूजन के साथ ही श्री राम और मां जानकी के आगमन पर अयोध्या के साथ ही देशभर में दीप जलाए गए। तब से श्री लक्ष्मी और श्री राम की पूजा एक साथ दीपावली पर्व पर की जाती है। आपको सब को शुभ दीपावली।