नैनीताल, प्रेस 15 न्यूज। माननीयों का भी गजब तमाशा है भाई गजब ! मतलब तमाशा ऐसा कि अच्छे अच्छे एनएसडी पासआउट कलाकार भी देखकर सन्न रह जाएं। अफसोस बिजली, पानी, सड़क, अस्पताल, रोजगार जैसे मुद्दों में उलझी आम जनता के पास ये सब तमाशा समझने का दिमाग नही है।
आम जनता की बात आई तो याद आया इन दिनों टूरिस्ट सीजन जोरों से चल रहा है।
ऐसे में प्रदेश और देश विदेश की आम जनता का सीधा हिसाब है, बच्चों की गर्मी की छुट्टी पड़ी नहीं और पहुंच गए नैनीताल और पहाड़ की वादियों का लुफ्त उठाने… लेकिन कभी सोचा है कि माननीय नेता जी और उनके परिवार को कभी नैनीताल घूमने की तलब लगे तो वो क्या करें?
खुद को जनप्रतिनिधि कहने वाले और सत्ता में काबिज नेताओं की निष्ठा देखनी हो तो उत्तराखंड चले आइए। बहाना जनता से जुड़े विभागीय कामों और मीटिंगों का होता है और मंशा कुछ और… यानी परिवार के साथ सैर सपाटा…वो भी सरकारी आवभगत और वीवीआईपी ट्रीटमेंट के साथ…
पिछले दिनों ही सूबे के मुख्यमंत्री अपने परिवार के साथ नैनीताल पहुंचे थे। मुख्यमंत्री बकायदा रात को नैनीताल में ठहरे , इस दौरान उन्होंने नैनीताल के नजारों का आनंद भी उठाया और अगले दिन सुबह सुबह चाय के खुमचे में अदरक कूटकर चाय बनाई और पी भी। खिलाड़ी बच्चों से भी मिले।
इस दौरान फुटबाल और बास्केटबॉल में भी हाथ आजमाया। फिर बीडी पांडे अस्पताल में मरीजों से भी मिले। कुल मिलाकर सीएम ने अपनी सर्वसुलभ और जनप्रिय छवि के दर्शन जनता को कराए।
सीएम गए ही थे कि अब माननीय मंत्री वित्त, शहरी विकास एवं आवास, विधायी एवं संसदीय कार्य, जनगणना एवं पुनर्गठन उत्तराखंड सरकार प्रेमचंद अग्रवाल भी परिवार के साथ सोमवार देर रात नैनीताल पहुंच गए। यहां आकर मंत्री जी ने क्या कुछ किया अब आप पहले वो जान लीजिए।
कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने राज्य अतिथि गृह नैनीताल क्लब में वनाग्नि समस्या के निराकरण, नैनीताल की ट्रैफिक व्यवस्था सुदृढ़ीकरण और नैनीताल में साफ सफाई के संबंध में बैठक की।
सोचिए ये कितनी बड़ी बात है कि जब तक उत्तराखंड के हजारों हेक्टेयर जंगल आग में खाक हो चुके हों, अल्मोड़ा में 10 लोग जंगल की आग में मौत के मुंह में समा गए हों और अब मानसून की बारिश का दौर शुरू हो गया हो और जंगल की आग करीब करीब शांत हो गई हो, ऐसे वक्त में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने जंगल की आग कैसे रुके, इस संबध में नैनीताल पहुंचकर बैठक की।
इतना ही नहीं जब पूरा कुमाऊं बेतरतीब पर्यटकों की आवाजाही से घंटों जाम की समस्या से जूझ रहा हो, ऐसे वक्त में माननीय मंत्री ने ट्रैफिक व्यवस्था सुदृढ़ीकरण के लिए बैठक की।
रही बात साफ सफाई के संदर्भ में माननीय मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल की चिंता की तो मंत्री जी अभी कुछ दिन रुकिए, ठीक से बरसात शुरू होने दीजिए, नैनीताल आने वाले बेतरतीब पर्यटकों की भीड़ के साथ यहां आने वाला कुंतलों प्लास्टिक और दूसरा कूड़ा कचरा आपको माल रोड और नैनी झील में तैरता नजर आएगा।
हद हो गई, जिन कामों को करने और देखने के लिए नैनीताल में वीआईपी नौकरशाहों के एक से बढ़कर एक कद पद हैं, अब उन्हें करने और करवाने की चिंता माननीय मंत्री को हो रही है। यानी कि मंत्री जी को भी जिला प्रशासन के वीवीआईपी ठाटबाट और एटीट्यूड वाले अधिकारियों पर भरोसा नहीं रह गया है। ऐसे में अब जनता की तो मजबूरी है इन अफसरों पर भरोसा करे या न करे…
बातों बातों में मुद्दे की बात तो रह हो गई। दरअसल, मंत्री जी को परिवार के साथ नैनीताल घूमने आना था, जो गलत भी नहीं है। आखिर वो भी तो इंसान ही हैं। लेकिन लोकतंत्र का सम्मान भी तो करना था इसलिए उन्होंने एक पंथ दो काज वाला अचूक मंत्र चुना।
यानी नैनीताल की घुमाई भी हो जाएगी और मुख्य काम यानी आम जनता के हितों पर भी बैठक हो जाएगी। वैसे लगता है यह मंत्र माननीय मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से ही सीखा है।
यहां साफ कर दें कि एक पंथ दो काज के इस मंत्र पर चलने वाले माननीय प्रेमचंद्र अग्रवाल अकेले नहीं हैं, वर्षों से इस मंत्र को कई नेता और अधिकारी सिद्ध कर चुके हैं। खासकर गर्मियों के सीजन में यह क्रम बदस्तूर जारी है।
दरअसल, इस मंत्र को पार पाने की ताकत आम जनता में भी नही है। यही वजह है कि पर्यटन सीजन में जब आम जनता जाम की मार से अपने जीवन को कोस रही होती है, उसी वक्त में माननीयों और अधिकारियों की फ्लीट फर्राटा भर रही होती है।
फिर असल खबर पर आइए। बैठक में माननीय मंत्री ने वनाग्नि की गंभीरता के दृष्टिगत प्रभागीय वनाधिकारी, नैनीताल के साथ विस्तृत चर्चा की और वनाग्नि की घटनाओं के कारणों को गहराई से जाना। माननीय मंत्री ने कहा सभी अधिकारी वर्तमान में हुई वनाग्नि की घटनाओं से सीख लेकर भविष्य को बेहतर बनाने का प्रयास करें।
जवाब में प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि विभाग द्वारा संसाधनों के परिप्रेक्ष्य में बेहतर प्रयास किया गया है। सेटेलाइट के माध्यम से 6-6 घंटों के अंतराल में वन क्षेत्र की निगरानी की जाती है और वनाग्नि की जानकारी प्राप्त होने पर त्वरित गति से उसके निराकरण की कार्रवाई की जाती है।
बैठक में माननीय मंत्री ने ईओ नगर पालिका नैनीताल को तत्काल प्रभाव से पर्यटक नगरी नैनीताल के अंतर्गत पर्यटन सीजन में प्रत्येक दिन में 3-3 शिफ्टों में नालों की और सड़कों की साफ सफाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा यहां साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाए।
नैनीताल आने वाले पर्यटक यहां से अच्छा संदेश लेकर जाएं। अब बताइए ऐसे निर्देश कभी डीएम या कुमाऊं आयुक्त और सीएम धामी ने ईओ नगर पालिका नैनीताल को दिए ही नहीं जो अगर दिए होते तो ईओ साहब तपाक से नही कहते- सर हम इस प्लान पर पहले से ही काम कर रहे हैं।
माननीय मंत्री ने कहा कि पर्यटन नगरी में लगातार पर्यटकों का आगमन बढ़ता जा रहा है, इसके दृष्टिगत ट्रैफिक की समस्या से छुटकारा पाने के लिए शासन-प्रशासन द्वारा निरंतर किए जा रहे प्रयासों को ओर बेहतर करने की आवश्यकता है।
माननीय मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि सभी विभागीय अधिकारियों का सौभाग्य है कि उन्हें सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ है, इसलिए आप सभी अपनी जिम्मेदारियां का निर्वाहन पूर्ण जिम्मेदारी के साथ करें। यहां आने वाले पर्यटकों को शासन-प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की समस्या न हो, इसका भी विशेष ध्यान दें।
अब मंत्री जी को कौन बताए कि पर्यटन सीजन में पर्यटकों के साथ साथ स्थानीय जनता का जीना मुहाल हो चुका है। नैनीताल, भीमताल, कैंची धाम जाने वाली सड़क पर रोजाना घंटों जाम लगने से पूरा कुमाऊं बेहाल हो चुका है लेकिन सरकारी प्लान हैं कि जमीन पर उतरने का नाम ही नहीं लेते।
सीमित सड़क में रोजाना पर्यटकों और आम जनता की हजारों गाडियां गुजर रही हैं, ऊपर से मंत्री जी जैसे वीआईपी और वीवीआईपी के दौरे, सोचिए कैसे पर्यटक सुंदर यादें लेकर यहां से वापस जाएंगे।
रही बात पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की तो उन्हें भी पता है कि नैनीताल में उन्हें फिलहाल बसना तो है नहीं, दो ढाई तीन साल में ट्रांसफर हो ही जाना है, ऐसे में वो भी समस्या के स्थायी समाधान के बजाय बस किसी तरह व्यवस्था सुचारू करने का दम भर रहे हैं। बाकी मीडिया जिंदाबाद, अधिकारियों और माननीयों का हर छोटा बड़ा दौरा बड़ी से हेडिंग के साथ छापने और दिखाने को तत्पर तो है ही…
बातों बातों में फिर असल खबर छूट गई। नैनीताल में वनाग्नि, ट्रैफिक और साफ सफाई पर गंभीरतापूर्वक बैठक लेने के बाद आज सुबह माननीय मंत्री ने प्रातः काल नैना देवी मंदिर और कैंची धाम मंदिर में राज्य की उन्नति के लिए पूजा अर्चना की।
वैसे यही माननीय मंत्री जी की नैनीताल आने की असली इच्छा रही होगी। ऐसे ही माननीय नैनीताल आते रहें और राज्य की उन्नति के लिए पूजा अर्चना करते रहें…और जनता को क्या चाहिए।
यहां एक बात बाबा नीम करौली के पावन कैंची धाम की व्यवस्थाओं को सुचारू ढंग से संचालित कराने वाले सम्मानित मंदिर ट्रस्ट और उसके आदरणीय पदाधिकारियों से भी कहना चाहेंगे।
जब आम श्रद्धालुओं के लिए आपने मंदिर परिसर में फोटो, वीडियो पर प्रतिबद्ध लगाया है, तो फिर किस नाते से आप वीआईपी और वीवीआईपी के नाम पर नियमों की तिलांजलि देते हैं? आम श्रद्वालु मंदिर परिसर से आगे बाबा की पावन शीला तक नहीं जा सकता, लेकिन माननीय वहां फोटो वीडियो के साथ ध्यान लगा सकते हैं? ऐसा भेदभाव करने की आखिर मंदिर ट्रस्ट की मजबूरी है? क्या वीआईपी, वीवीआईपी भगवान से भी बड़ा है?
पिछले दिनों हमने देखा कि वीवीआईपी दौरे में आए माननीय उपराष्ट्रपति के कैंची धाम आने से कैसे कुमाऊं भर के लोगों की राह को पुलिस प्रशासन ने घंटों तक रोक दिया था। सोचिए अगर कोई एंबुलेंस उस दिन भीड़ में फंसती और किसी की जान चले जाती तो क्या नैनीताल पुलिस और प्रशासन उस जान को वापस लौटा पाता?
इतना ही नहीं पहली बार बाबा के धाम के भीतर की वीडियो और फोटो सार्वजनिक हुई थी। यही वजह है कि शांति और सुकून का ठिकाना बाबा नीम करौली का पावन धाम इन दिनों श्रद्धालुओं के बजाय पर्यटकों का ठिकाना बन गया है।
यह सब ट्रस्ट के सम्मानित जनों से इसलिए भी कहना है ताकि याद रहे कि पूज्य बाबा महाराज को धाम के भीतर फोटोबाजी और दिखावे की दुनिया बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। खासतौर पर धाम के भीतर खुद को वीआईपी और वीवीआईपी साबित करने वालों से तो बाबा काफी दूर रहा करते थे।
अब देखिए ना बातों बातों में फिर असल खबर छूट गई। माननीय मंत्री ने नैनीताल झील में वोटिंग का भी लुत्फ उठाया। उन्होंने कहा नैनीताल झील अपने प्राकृतिक सौंदर्य से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहां आ रहे पर्यटकों से न सिर्फ नैनीताल का मान बढ़ा है, बल्कि स्थानीय लोगों को होमस्टे, ट्रैवलिंग, वोटिंग आदि अन्य प्रकार से रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि रोजगार के लिए सरकारी नौकरी ही नहीं अन्य बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जहां से आजीविका के साधन जुटाए जा सकते हैं। ये हुई न बात मंत्री जी… खामखां उत्तराखंड के लोग बेरोजगारी बेरोजगारी चिल्लाते रहते हैं।
इसके बाद माननीय मंत्री ने आपातकाल दिवस 25 जून पर आयोजित संगोष्ठी कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। यहां उन्होंने 25 जून, 1975 में लगाए गए आपातकाल की कड़ी निंदा की और इस पर अपना मंतव्य संगोष्ठी में उपस्थित लोगों के मध्य व्यक्त किया।
इस दौरान नैनीताल विधायक सरिता आर्य, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रताप सिंह बिष्ट, प्रभागीय वनाधिकारी नैनीताल, एसपी यातायात/क्राइम नैनीताल हरबंस सिंह, एसडीएम प्रमोद कुमार, एसडीएम धारी, तहसीलदार नैनीताल, नैनीताल नगर पालिका ईओ समेत मंत्री जी के तमाम समर्पित शुभचिंतक मौजूद रहे।
फिलहाल सरकारी और स्वतंत्र खबर के मिक्स कॉकटेल में इतना ही, रखिए अपना ख्याल नमस्कार…