बागेश्वर, प्रेस 15 न्यूज। सारा पानी चूस रहे हो, नदी-समन्दर लूट रहे हो गंगा-यमुना की छाती पर कंकड़-पत्थर कूट रहे हो उफ! तुम्हारी ये खुदगर्जी, चलेगी कब तक ये मनमर्जी जिस दिन डोलेगी ये धरती सर से निकलेगी सब मस्ती लेकिन डोलेगी जब धरती- बोल व्यापारी-तब क्या होगा? वर्ल्ड बैंक के टोकन धारी- तब क्या होगा?
योजनाकारी-तब क्या होगा? नगद-उधारी तब क्या होगा?… जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा की ये पंक्तियां आज भी बागेश्वर के हाल पर प्रासंगिक हैं।
बागेश्वर के लोग सालों से चीखते रहे लेकिन हर बार अनसुना कर दिया गया। अब हाईकोर्ट के सख्त रवैए और सख्त टिप्पणी के बाद हरकत में आई सरकार ने बागेश्वर के जिला खान अधिकारी को तत्काल सस्पेंड कर दिया है। वहां नए खनन अधिकारी की नियुक्ति भी कर दी है। खनन में लगीं सभी मशीनें सीज की जाएंगी।
सरकार ने खड़िया खनन के लिए नई एसओपी भी जारी कर दी है। मामले में सुनवाई शुक्रवार को भी जारी रहेगी।
हाईकोर्ट में बागेश्वर जिले की तहसील कांडा के कई गांवों में खड़िया खनन की वजह से आई दरारों के मामले में स्वतः संज्ञान लेने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने खनन में अनियमितता को लेकर सख्त रुख अपनाया।
हाईकोर्ट के पूर्व के आदेश के क्रम में डीएम बागेश्वर, जिला खान अधिकारी सहित अन्य अधिकारी कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने अधिकारियों को फटकारते हुए खान अधिकारी को तुरंत सस्पेंड करने की जरूरत बताई।
इस पर सरकार ने तत्काल अमल करते हुए बागेश्वर के जिला खनन अधिकारी को सस्पेंड कर दिया। हाईकोर्ट के मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने बताया कि सरकार ने बृहस्पतिवार शाम को खनन अधिकारी को सस्पेंड कर वहां नए खनन अधिकारी की नियुक्ति कर दी है। रावत ने बताया कि सरकार ने खनन के लिए नई एसओपी भी जारी कर दी है।
एसपी शुक्रवार तक खनन में लगी सभी मशीनों को सीज करें और अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। पूर्व तिथि को मामले को गंभीर पाते हुए कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट का आकलन करके निदेशक खनन व सचिव औद्योगिक व डीएम बागेश्वर को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए थे।
कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट के तहत खड़िया खनन करने वालों ने वनभूमि के साथ सरकारी भूमि में भी नियम विरुद्ध खनन किया हुआ है। इससे पहाड़ी दरकने लगी है और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
अब देखना होगा कि हाइकोर्ट के सख्त रुख के बाद बागेश्वर की पहाड़ियों को चीरकर मालामाल होने का कुचक्र रचने वालों की अक्ल ठिकाने लगती है या फिर से बागेश्वर को तबाह करने वाले अपने मिशन में जुट जाते हैं।