चर्चा है: पिथौरागढ़, चंपावत और मुनस्यारी हेली सेवा ठप, हल्द्वानी से उड़ने वाले हेलीकॉप्टर कहीं केदारनाथ में तो नहीं उड़ रहे उड़ान!  

खबर शेयर करें -

हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। हल्द्वानी से पिथौरागढ़, चंपावत और मुनस्यारी के लिए बीते 22 फरवरी को शुरू हुई हेली सेवा एक बार फिर ठप हो गई है।

ऐसा लग रहा है मानो हेली कंपनी की मनमर्जी चल रही है, जब चाहे उड़ाओ जब चाहे ठप कर दो। क्योंकि सरकार और पर्यटन विभाग को आम जनता और सैलानियों की सुविधा से कोई लेना देना जो नहीं।

ऐन लोकसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने हल्द्वानी से हेली सेवा शुरू की ताकि चुनाव से पहले जनता को मोहित किया जा सके। 19 अप्रैल को चुनाव बीत गया और अब चार जून को परिणाम भी आने वाले हैं, लेकिन उससे पहले ही हेली सेवा ठप कर दी गई।

हवाई यात्रा से जहां आम उत्तराखंडी चंद घंटे में पिथौरागढ़, चंपावत और मुनस्यारी पहुंच रहे थे, तो वहीं सैलानी भी इस सेवा का लाभ उठा रहे थे। लेकिन कम मुनाफे वाली इस हेली सेवा को ठप करना ही बेहतर समझा गया।

हालाकि प्रशासन के अधिकारी एक हेलीकॉप्टर में तकनीकी खामी के चलते मेंटीनेंस कार्य का हवाला दे रहे हैं लेकिन हेली सेवा ठप होने के पीछे कई चर्चाएं इन दिनों आम हैं।

विश्वस्त सूत्रों की मानें तो हल्द्वानी से पिथौरागढ़, चंपावत और मुनस्यारी के लिए संचालित हेलीकॉप्टर को चारधाम यात्रा को देखते हुए केदारनाथ रूट पर उड़ाया जा रहा है। इन दिनों चारधाम यात्रा पूरे सबाब पर है, ऐसे में केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए हेली सेवा का लाभ उठाने वाले श्रद्धालुओं की तादाद भी बढ़ी है।

सूत्रों की मानें तो हल्द्वानी से संचालित हेलीकॉप्टर भी इन दिनों ज्यादा मुनाफे वाली चारधाम यात्रा में उड़ रहे हैं। यही वजह है कि हल्द्वानी से संचालित हेली सेवा को एन पर्यटन सीजन के बीच ठप कर दिया गया है।

बताते चलें कि शुक्रवार को केदारनाथ में हेलीकॉप्टर में तकनीकी खराबी के कारण इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी थी, इस दौरान हेलीकॉप्टर में 6 यात्री सवार थे। गनीमत रही कि हेलीकॉप्टर पायलट की सूझबूझ दिखाई और बड़ा हादसा टल गया।

ऐसे में आप समझ सकते हैं कि केदारनाथ रूट पर कैसे श्रद्धालुओं की जान को जोखिम में डालकर तकनीकी खामियों वाले हेलीकॉप्टर को उड़ाया जा रहा है, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है। श्रद्धालुओं की जान भी केवल और केवल महादेव की कृपा से ही बच रही है।

केदारनाथ धाम के रूट पर मालदार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने से प्राइवेट कंपनियों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए यहां हेलीकॉप्टर उड़ाना बेहतर समझा है।

हल्द्वानी से चंपावत का किराया 2500, पिथौरागढ़ का 3000 और मुनस्यारी तक के लिए 3500 रूपए का टिकट था। जबकि केदारनाथ धाम के लिए सिरसी, फाटा और गुप्तकाशी से संचालित हेली सेवा का किराया इससे कई गुना ज्यादा है। यही वजह है कि ये चर्चा आम है कि हल्द्वानी से संचालित हेलिकॉप्टर भी कहीं न कहीं केदारनाथ में हीं मुनाफा कमा रहे हैं।

बात अगर हल्द्वानी से संचालित हेली सेवा की करें तो शासन ने उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण के सहयोग से इसी साल 22 फरवरी को गौलापार स्थित हेलीपैड से चंपावत, पिथौरागढ़ और मुनस्यारी के लिए हवाई सेवा शुरू की थी।

इससे पहले भी जब कुमाऊं के जंगलों में आग लगी थी तब भी विजिबिलिटी न होने का हवाला देकर हेली सेवा कई दिन तक बंद रही। कुछ दिन बाद पिथौरागढ़ और चंपावत के लिए हेली सेवा शुरू की गई, जो अब पूरी तरह से ठप है।

हेली सेवा के नोडल अधिकारी  और एसडीएम परितोष वर्मा ने बताया कि हेली सेवा का संचालन करने वाली कंपनी हेरिटेज एविएशन ने बताया है कि एक हेलिकाप्टर ऑपरेशनल मेंटेनेंस के लिए भेजा गया है। बताया गया है कि जून के तीसरे हफ्ते से पिथौरागढ़, चंपावत और मुनस्यारी के लिए सेवा दोबारा शुरू हो जाएगी।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0

संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

सम्बंधित खबरें