हल्द्वानी का नामी न्यूरो सर्जन विवेकानंद अस्पताल का डॉक्टर महेश शर्मा निकला दिमाग से “बीमार”

खबर शेयर करें -

हल्द्वानी का जो नामी डॉक्टर मरीजों के दिमाग का करता था इलाज वही निकला दिमाग से “बीमार

हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। मस्तिष्क, नस और रीढ़ की हड्डी की बीमारी का विशेषज्ञ डॉक्टर महेश शर्मा खुद दिमाग का बीमार निकला। जिस डॉक्टर को भगवान समझकर गांव पहाड़ से लेकर मैदान तक के मरीज उसके विवेकानंद अस्पताल पहुंचते रहे हैं वो महिला की अस्मत को लूटने वाला हैवान निकला।

शहर की एक पीड़ित युवती ने हिम्मत की तो मुखानी चौराहा स्थित विवेकानंद अस्पताल के संचालक डॉ. महेश शर्मा के खिलाफ छेड़छाड़, अश्लील हरकत करने और धमकाने का आरोप में मुखानी थाने में रिपोर्ट दर्ज हो गई।

अब देखना होगा कि मरीजों के इलाज के नाम पर अकूत संपत्ति का मालिक बने इस चरित्रहीन डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई होती भी है या ये मामला भी दूसरे मामलों की तरह मैनेज हो जाता है।

महिला की अस्मत पर डॉक्टर महेश शर्मा के हमले का यह मामला छह से 22 जून के बीच का बताया गया है। हल्द्वानी के सीओ नितिन लोहनी के अनुसार, शुक्रवार को तहरीर मिलने के बाद देर रात मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

पीड़ित युवती ने मुखानी थाने में तहरीर देकर बताया है कि वह शहर में पैथोलॉजी लैब का संचालन करती है। सामान्य तौर पर वह ब्लड सैंपल लेने अस्पतालों में जाती थी। इसी बीच विवेकानंद अस्पताल के डॉ. महेश शर्मा ने उससे बातचीत शुरू की और लैब संचालन में उसकी मदद करने का भरोसा दिया।

युवती ने तहरीर में बताया कि 22 जून को वह सैंपल जांच का बकाया भुगतान लेने के लिए डॉ. महेश शर्मा के मुखानी स्थित विवेकानंद अस्पताल पहुंची थी। आरोप है कि महेश शर्मा ने महिला से जबरदस्ती करने का प्रयास किया। विरोध करने पर महेश शर्मा ने भुगतान नहीं करने और लैब के प्रति दुष्प्रचार करने व जान से मारने की धमकी दी।

बताते चलें कि पिछले कई दिनों से डॉक्टर महेश शर्मा की अय्याशी के चर्चे हल्द्वानी के तमाम सोशल मीडिया मंचों में तेज थे। एक पीड़ित युवती और डॉ. महेश शर्मा की व्हाट्सएप चैट के स्क्रीन शॉट भी वायरल हुए। लेकिन कानूनी तौर पर लंगोट के ढीले डॉ. महेश शर्मा के खिलाफ लड़ने की हिम्मत शुक्रवार को पीड़ित महिला ने दिखाई। अब सबकी नजर नैनीताल पुलिस की कार्रवाई पर टिक गई हैं।

जनसामान्य में चर्चा है कि कहीं गरीब, मध्यम और अमीर वर्गीय मरीजों के इलाज से करोड़ों की संपत्ति का मालिक बनकर विवेकानंद अस्पताल खोलने वाले डॉ. महेश शर्मा के खिलाफ कार्रवाई होगी भी या नहीं? क्या हर बार की तरह यह मामला भी कॉम्प्रोमाइज या मेनेज तो नहीं हो जाएगा? क्या डॉक्टर का रसूख उसे बचा ले जाएगा?

चर्चा तो यहां तक है कि अगर दूसरी पीड़ित युवतियां भी आवाज उठाएं तो डॉ. महेश शर्मा के खिलाफ एफआईआर का शतक भी लग सकता है।

विवेकानंद अस्पताल और मेडिकल से जुड़े दूसरे विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अस्पताल में दिमाग, नस और रीढ़ की दिक्कतों को लेकर रोजाना गांव पहाड़ से युवतियां और महिलाएं पहुंचती हैं। ऐसे में वह कुर्सी में बैठे डॉ. महेश शर्मा में भगवान का रूप देखकर उनसे अपनी बीमारी के निदान की आस लगाती हैं। लेकिन उस बीमार युवती पर भी डॉक्टर की गंदी नीयत डोल जाती थी।

अगर किसी युवती ने हिम्मत कर विरोध किया तो ठीक वरना डॉक्टर अपने काले मंसूबों में सफल हो जाता था। यह क्रम वर्षों से जारी था। हालाकि अपनी सामाजिक छवि चमकाने के लिए डॉक्टर छद्म समाजसेवा और दैनिक अखबारों में खबरों के माध्यम से छाया रहता था। यही वजह है कि जिसने भी महेश शर्मा की इस शैतानी करतूत के बारे में सुना वो हैरान रह गया।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
5
+1
0

संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

सम्बंधित खबरें