हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। इस समय देवभूमि उत्तराखंड के पर्यावरण और वन्य जीवों का जीवन सबसे बुरे दौर और संकट से गुजर रहा है। बेशकीमती वनसंपदा को आग से बचाने में राज्य सरकार और वन महकमा जहां महज खानापूरी करता नजर आया तो वहीं अब तक सूबे में पांच जिंदगियां भी आग के भेंट चढ़ चुकी हैं।
इस बीच हल्द्वानी के फतेहपुर क्षेत्र में मादा गुलदार और उसके शावकों की मौजूदगी ने क्षेत्र के लोगों को दहशत से भर दिया है। दहशत हो भी क्यों न क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में क्षेत्र के 07 लोगों की गुलदार और बाघ के हमले में सांसों की डोर टूट चुकी है।
गुलदार की दहशत के बीच एक बार फिर कांग्रेस के कद्दावर नेता, प्रखर प्रवक्ता और सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर योगदान देने वाले क्षेत्र निवासी नीरज तिवारी ने अपना सामाजिक फर्ज निभाया है। नीरज तिवारी ने क्षेत्र के लोगों की जानमाल के प्रति चिंता जाहिर करते हुए वन विभाग के अफसरों को चेताया है।
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रवक्ता नीरज तिवारी ने बताया कि श्री चारधाम मंदिर फतेहपुर के पीछे गुजरौड़ा और जयपुर पाडली ग्रामसभा के मध्य जाने वाले मार्ग में पुलिया के नीचे रविवार सुबह ग्रामीणों ने गुलदार के दो बच्चों को देखा। इस दौरान मादा गुलदार अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति आक्रोशित नजर आई।
क्षेत्र के लोगों की जान पर संकट का आभास होते ही नीरज तिवारी ने तत्काल वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों से संपर्क साधा। जिसके बाद से ही वन विभाग की टीम मादा गुलदार और शावकों के रेस्क्यू के लिए निगरानी बनाए हुए है।
नीरज तिवारी ने कहा कि हमारे क्षेत्र में बाघ और गुलदार द्वारा पूर्व में कई लोगों अपना निवाला बनाया जा चुका है, उसकी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए। वन विभाग जल्द से जल्द गुलदार और बच्चों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाए।
इतना ही नहीं नीरज तिवारी ने वन विभाग के कर्मचारियों की हिम्मत को बढ़ाने का भी काम किया। नीरज ने वनकर्मियों को आश्वस्त किया है कि गुलदार के रेस्क्यू के दौरान उनसे और गांववासियों से, जो भी मदद बन पड़ेगी वो करने को तैयार हैं।
सामाजिक दायित्वों के प्रति यही समर्पण और अनूठा अंदाज नीरज तिवारी को जनप्रतिनिधियों की भीड़ में सबसे अलग बनाता है।
बताते चलें कि इससे पहले भी देवभूमि के जंगलों में बढ़ती आग की घटनाओं के बाद नीरज तिवारी ने अपनी सामाजिक जिम्मेदारी बखूबी निभाई थी।
राजनीति से इतर नीरज ने बेशकीमती वन संपदा के साथ साथ बेजुबान वन्य जीवों के हक में आवाज उठाकर शासन और वन विभाग के अफसरों को चेताया था। उन्होंने तब भी एक आम नागरिक और पर्यावरण प्रेमी के नाते आग बुझाने में वन विभाग को पूरा सहयोग देने का भरोसा दिया था।