
हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। सिस्टम और सिस्टम में बैठे जिम्मेदार इस कदर बेशर्म हो चले हैं कि उन्हें कोई मरे जिए, इससे भी फर्क नहीं पड़ रहा है। खासकर उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वालों की ही पता है कि जब कभी आकस्मिक स्थिति आती है तो वो अपनी और अपनों की जिंदगी कैसे बचाते हैं।
ऐसे में हमारे जिम्मेदार सरकारी विभाग और उन्हें चलाने वाले जिम्मेदार किस कदर जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हैं, ये भी किसी से छुपा नहीं। बतौर पत्रकार हम हर दिन ही संवेदनहीन सिस्टम को जगाने का काम करते हैं लेकिन आज खुद सांसद को मंडी परिषद के निर्लज्ज जिम्मेदारों की पोल खोलने पर मजबूर होना पड़ा है।

पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और नैनीताल उधम सिंह नगर संसदीय क्षेत्र से सांसद अजय भट्ट ने सुशीला तिवारी अस्पताल में निर्माणाधीन कैथ लैब को लेकर मंडी परिषद के खिलाफ गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा है और मंडी परिषद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। सांसद भट्ट ने मंडी परिषद द्वारा घटिया गुणवत्ता से निर्माण कार्य पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
सांसद ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए कहा है कि कुमांऊ मंडल के हृदय रोगियों को हल्द्वानी में ही बेहतर उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु रू0-09 करोड़ की लागत से भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड के साथ एक एमओयू किया गया था।
इस एमओयू के अर्न्तगत मेडिकल कॉलेज प्रबन्धन ने दावा किया था कि डेढ वर्ष के भीतर कैथ लैब को क्रियाशील कर दिया जाएगा परन्तु हाल ही में मीडिया के माध्यम से संज्ञान में आया है कि उक्त कैथ लैब निर्माण कार्य को मंडी परिषद को सौंपा गया। इसके लिए मंडी परिषद को 02 करोड़ 39 लाख ₹ की धनराशि भी प्रदान की गई।
दुर्भाग्यवश, मंडी परिषद द्वारा किए गए कार्य की गुणवत्ता इतनी निम्नस्तरीय रही कि मेडिसिन आईसीयू की छत पर खडा किया गया ढांचा अब डायलिस सेन्टर, माइनर ओटी और इमरजेन्सी वार्ड तक टपकने लगा है, जिससे मरीजों और चिकित्सकों को गंभीर असुविधा हो रही है।
कॉलेज प्रबन्धन द्वारा मंडी परिषद को कई बार नोटिस प्रेषित किए जाने के बावजूद स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। जो कार्य डेढ वर्ष पूर्व पूर्ण हो जाना चाहिए था, वह आज भी अधूरा ही है।
सांसद भट्ट ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अनुरोध किया है कि उपरोक्त गंभीर विषय पर तत्काल संज्ञान लेते हुए मंडी परिषद की घोर लापरवाही के विरूद्ध कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की जाए तथा कैथ लैब निर्माण कार्य को शीघ्र गति प्रदान की जाए, जिससे सभी हृदय रोगियों को दिल्ली, देहरादून अथवा बरेली पर निर्भर न रहना पड़े है।

