हल्द्वानी: 36 साल पहले आज ही के दिन ‘ऑपरेशन पवन’ में शहीद हुए थे लांसनायक दान सिंह, जानिए देवभूमि के जांबाज बेटे की कहानी

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का बाकी यही निशां होगा… आज जगदम्बा नगर स्थित सैनिक मिलन केंद्र और जिला पूर्व सैनिक लीग के कार्यालय में ऑपरेशन पवन में शहादत देने वाले लांसनायक दान सिंह को श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर जिला पूर्व सैनिक लीग के पदाधिकारी, वीरांगनाएं, वीर नारियां मौजूद रहीं।

आज प्रेस 15 न्यूज आपको भारत मां के जांबाज और देवभूमि के वीर सपूत लांसनायक दान सिंह जी के बारे में बताने जा रहा है। हमें यकीन है कि देवभूमि के इस वीर बेटे के बारे में जानकर आपको गर्व का एहसास होगा।

जिस वक्त लांस नायक दान सिंह जी ने देश के लिए प्राणों का बलिदान दिया उस वक्त उनकी बड़ी बेटी 5 वर्ष और छोटी बेटी महज 22 दिन की थी। सोचिए कितने संघर्षों से वीरनारी पार्वती देवी जी ने बेटियों का पालन पोषण किया होगा।

लांसनायक दान सिंह का जन्म 02 दिसम्बर 1959 को बागेश्वर जनपद के कपकोट तहसील के ग्राम सुमगढ में हुआ था। माता-पिता के इकलौते पुत्र दान सिंह की उम्र जब महज 4 वर्ष थी, तब मां का देहावसान हो गया। ऐसे में दान सिह का बचपन बिना मां के लाड दुलार के ही बीत गया। पिता उच्छव सिंह ने उनकी पालना की।

उत्तराखण्ड पूर्व सैनिक लीग जनपद नैनीताल के अध्यक्ष मेजर बीएस रौतेला बताते हैं कि दान सिंह स्वस्थ, हष्ट पुष्ट और मजबूत शरीर के नवयुवक थे। जैसा कि हमारे प्रदेश के प्रत्येक युवा का सपना भारतीय सेना में सेवा करना प्रथम प्राथमिकता होती थी, दान सिंह जी का भी यही सपना था।

1977 में जब वे अपने गांव के स्कूल से ही कक्षा 10 में पढाई कर रहे थे तो बीआरओ अल्मोडा की भर्ती हुई। भर्ती में युवा दान सिह का भी चयन हो गया। सेना में चयन होने पर उन्होंने आगे की पढाई छोड दी। थोड़े ही दिनों में उनका बुलावा आया और 28 जनवरी 1978 को वे कुमांऊ रेजिमेण्ट में भर्ती हो गए।

प्रशिक्षण के लिए उन्हें रानीखेत भेजा गया। प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा होने पर उन्हें 9 कुमांऊ में भेजा गया। रानीखेत प्रशिक्षण में जाने से पहले ही उनकी शादी तय हो चुकी थी अतः प्रशिक्षण पूरा होने पर ज्यो ही उन्हें 9 कुमांऊ में भेजा गया और वहां से पहली बार अवकाश में आये तो उनकी शादी सम्पन्न हो गई।

मेजर बीएस रौतेला बताते हैं कि सिपाही दान सिह, कर्तव्यनिष्ठता पूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वाहन कर रहे थे। वे एक अनुशासित, कर्तव्यनिष्ठ और बहादुर सैनिक के रुप में जाने जाते थे। कुछ समय के बाद उनको लान्स नायक के पद पर पदोन्नति भी दी गई। 1988 में श्रीलंका में आपरेशन पवन चला जिसमें भारतीय सेना को भी भेजा गया। जिसमें कुमाऊं रेजिमेंट की 18 कुमाऊं को भी भेजा गया, लेकिन उस बटालियन के साथ अन्य बटालियनों से भी वोलेंटियर जवानों को भी भेजा गया।

विदेश में किसी ऑपरेशन में जाना कितना खतरनाक और जोखिम भरा काम हैं, इससे सब अवगत थे लेकिन जब जोखिम सामने हो और उसके लिए कोई जवान यह कहें कि मैं इस ऑपरेशन में जाना चाहता हूँ, यह उस जवान की वीरता और साहस का परिचय देती है।

लान्स नायक दान सिह ऑपरेशन पवन में श्रीलंका जाने को वालिन्टियर हो गये और उन्हें 18 कुमांऊ के साथ भेज दिया गया। श्रीलंका में लान्स नायक दान सिंह वीरता पूर्वक कार्य कर रहे थे। 10 अगस्त 1988 को वे वही शहीद हो गए।

उनकी पत्नी वीरनारी पार्वती देवी कहती हैं कि वह पढ़ी लिखी नही थी। ऐसे में कुछ जानकारी नही थी, जिससे जीवन अधंकारमय सा हो गया था। लेकिन कुछ समय बाद वे रानीखेत वार मिमोरियल हास्टल में आ गई और उनकी दोनों बेटियों ने रानीखेत से ही पढाई की। वर्तमान में वीरनारी पार्वती देवी अपनी दोनों बेटियों के साथ मोटाहल्दू में निवास करती हैं।

“प्रेस 15 न्यूज” की पूरी टीम की ओर से भारत मां के जांबाज और देवभूमि के वीर सपूत लांसनायक दान सिंह जी को शत शत नमन… हम वीरनारी पार्वती देवी जी और दोनों बेटियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं… जय हिंद जय हिंद की सेना

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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