संजय पाठक, प्रेस15 न्यूज। इन दिनों शहर भर में होली के कार्यक्रमों की धूम मची हुई है। नई पीढ़ी के अधिकतर युवा जहां फिल्मी और फूहड़ गीत संगीत के शोर के बीच थिरक रहे है तो वहीं, संस्कृतिकर्मी और वरिष्ठजन कुमाऊं की पारंपरिक समृद्ध होली गायन शैली से नई पीढ़ी को रूबरू तो करा ही रहे हैं, साथ ही होली के राग आधारित गायन को भी संरक्षित करने का काम कर रहे हैं।
कुछ ऐसी ही बैठकी होली का आयोजन आज होलिका दहन से कुछ घंटे पूर्व कुसमखेड़ा स्थित पीतांबरा धाम में किया गया। इस दौरान जमकर होली के रंग बरसे। आकाश नैनवाल ने ” सिद्धि को दाता”, रंग रंगीली नार” ने समा बांध दिया।
डॉ. पंकज उप्रेती ने “राग मल्हार, राग केदारा, ” मोहे न सताओ बृजनार” में मधुर होली गायन किया। रमेश पलड़िया के ” राम होली खेलें, लखन होली खेलें” गायन में होल्यारों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
“माठु-माठू जूला में होली खेलना”, “कान्हा आयो रे, रे आयो कान्हा आयो रे” की प्रस्तुति पर श्रोता भावविभोर हो गए। भास्कर भट्ट ने “अब के होली में खेलूंगी डट के” गाकर होली का माहौल बना दिया।
बैठकी होली में भुवन कांडपाल, अनीता, गिरीश चंद्र कांडपाल, बीडी जोशी, विपिन कांडपाल, रमेश सुयाल, अनुज, प्रमोद पंत, प्रकाश तिवारी समेत अन्य संस्कृतिप्रेमियों ने जमकर नृत्य भी किया और कार्यक्रम को यादगार बना दिया।