हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। निकाय चुनाव का शंखनाद आज नामांकन पत्रों की बिक्री के साथ शुरू हो गया है। ऐसे में देर शाम भारतीय जनता पार्टी ने नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष पद के दावेदारों की लिस्ट जारी कर दी।
दरअसल, भाजपा में सबसे बड़ी माथापच्ची नगर निगमों में मेयर पद पर चल रही है। यही वजह है कि पार्टी आलाकमान को एक नाम चुनने में माथे पर बल पड़ रहे हैं। बात अगर हल्द्वानी नगर निगम की करें तो यहां सामान्य सीट होने के बाद सबसे ज्यादा रायता भारतीय जनता पार्टी के भीतर फैला। जब तक सीट ओबीसी थी तब तक तो एक दो नाम ही प्रबल दावेदारों में थे लेकिन जैसे ही सीट सामान्य हुई तो कालाढूंगी रोड से लेकर नैनीताल रोड तक पार्टी के क्रांतिकारी कार्यकर्ताओं के अरमान जाग गए।
नतीजा यह हुआ कि सामान्य सीट न हुई भाजपा आलाकमान के लिए एक नाम पर सहमति बनाना मानो इधर कुआं इधर खाई जैसा हो गया।
चर्चा है कि पार्टी 10 साल से मेयर पद का सुख भोगने वाले सौम्य व्यवहार के धनी डॉ. जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला को टिकट देगी। लेकिन अगर पार्टी आलाकमान ऐसा करेगा तो ओबीसी नेता गजराज सिंह बिष्ट की बगावत का खतरा भी है।
वहीं पार्टी के एक और समर्पित चेहरे पूर्व पार्षद प्रमोद तोलिया को भी मेयर का टिकट देने की मांग भाजपा कार्यकर्ता करने लगे हैं। ऐसे में भाजपा के लिए हल्द्वानी में मेयर का दावेदार घोषित करना टेड़ी खीर साबित हो रहा है। पार्टी आलाकमान हर कदम फूंक फूंक कर उठाना चाहती है ताकि मेयर पद की हैट्रिक कायम रह सके और 2027 की बुनियाद को मजबूती भी मिले।
वहीं पार्टी में महिला दावेदारों की भी कोई कमी नहीं है। लंबे समय से हाशिए पर गई महिला नेता इस बार खुद को मेयर बनना देखना चाहती हैं। वहीं ओबीसी नेताओं के सीने का दर्द भी अभी चरम पर है जिनके आगे से अच्छी भली राजयोग की कुर्सी पार्टी के चाणक्यों ने खिसका दी।
उन समर्पित ओबीसी नेताओं ने भी अपने दर्द का हिसाब इस चुनाव में उतारने की ठानी है। ऐसे में भाजपा के लिए मेयर दावेदार का नाम उजागर करना और फिर उसे भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच लाना तलवार की धार में चलने जैसा है।
लेकिन एक सच ये भी है कि आलाकमान ने जिस एक नाम पर मुहर लगा दी, फिर पूरी की पूरी भाजपा उसके पीछे झंडे डंडे लेकर निकल पड़ेगी। अब यह मत पूछिएगा कि उसमें से कितने लोगों की पसंद वह दावेदार होगा। अब जब मन का नहीं होगा तो वोट तो छिटकेगा ही।
यही डर भाजपा आलाकमान को भी सता रहा है। अब बस इंतजार कीजिए एक उस नाम का जो कमल के फूल को हाथ में लेकर मेयर बनने की उस राह पर निकलेगा जहां उसे तमाम दिल दुखे भाजपाई मिलेंगे जो ओबीसी और दूसरे तबकों से आते हैं। अब उसका भाग्य भाजपा के राजयोग वाले विधायक जी जैसा थोड़ी होगा कि बस उठे और जीत गए।