हल्द्वानी, प्रेस15 न्यूज। आठ फरवरी की शाम को धधकी बनभूलपुरा हिंसा की आग की तपिश अभी ठंडी नहीं हुई है। पुलिस की जांच के इतर इस हिंसा से जुड़ी उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग की भी एक जांच चल रही है। प्रेस15 से विशेष बातचीत में उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब ने बताया कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जांच एजेंसियों को निर्देशित किया है ताकि बेगुनाह फंसे नहीं और दोषी बचे नहीं।
इसी क्रम में उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष होने के नाते वह भी पूरे मामले में जांच रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। उनकी जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि एक ही वक्त में एक ही घंटे के अंदर एक ही तरह से हिंसा को अंजाम दिया गया। चार पांच जगहों पर एक साथ गंभीर रुप से प्लानिंग के तहत हिंसा को अंजाम दिया गया जिससे पूरे देश में हल्द्वानी और उत्तराखंड की छवि धूमिल हुई। ऐसे में इंकार नहीं किया जा सकता कि इस पूरे मामले मे राजनीतिक षड़यंत्र शामिल है। ऐसे में इस हिंसा को अंजाम देने वाले राजनेता अभी पर्दे के पीछे हैं लेकिन जल्द ही उन्हें बेनकाब किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में वह अपनी जांच रिपोर्ट को शासन और मुख्यमंत्री को सौंपेगे। उन्होंने कहा कि हिंसा वाले दिन कांग्रेस के विधायक, प्रतिनिधि और दूसरे सियासी नेता गायब रहे, ऐसे में इस हिंसा को पूर्व नियोजित साजिश मानने से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनकी तरफ से जांच चल रही है। इसमें कई सियासी नेताओं के नाम भी सामने आए हैं जिन्होंने बनभूलपुरा में दंगे की आग को भड़काने का काम किया। उन नेताओं के नाम का खुलासा भी जल्दी होगा। मजहर नईम नवाब ने कहा कि पुलिस पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने के आरोप गलत हैं।
बताते चलें कि अब तक 89 दंगाई सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं, जिनमें पांच महिलाओं के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रभारी अब्दुल मतीन सिद्दीकी का भाई जावेद सिद्दीकी समेत कई निवर्तमान पार्षद शामिल हैं। वहीं, हिंसा का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक और उसका बेटा अब्दुल मोईद भी गिरफ्तार हो चुके हैं। अब्दुल मलिक के साथ ही पुलिस ने बनभूलपुरा थाने में आग लगाने वाले 35 दंगाइयों के खिलाफ यूएपीए की धारा लगा दी है। इन सभी पर 16 अन्य धाराओं में भी मुकदमे दर्ज किए गए हैं।