हल्द्वानी में सड़क जो चौड़ी होनी है: कल और परसों नैनीताल रोड पर बचे खुचे पेड़ भी कटने हैं इसलिए…

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हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। मुझे नहीं पता कि मेरी कहानी सुनने में आपकी रुचि है भी या नहीं लेकिन कहते हैं ना कि मन का दुख हल्का करने के लिए साझा करना जरूरी होता है, इसी मंशा से ही मैं अपनी बात कह रहा हूं। हालाकि मैं जानता हूं कि अपना दुख भी हर किसी से जताना नहीं चाहिए।

मैं हल्द्वानी की सड़क किनारे अभी तक अधिकारियों की नजर से बचा और करीब 100 साल से खड़ा पेड़ बोल रहा हूं…

कितनी गजब दुनिया है ना ये…आपके घर परिवार से जब कोई अपना बिछड़ता है तो आप कम से कम कुछ दिन तक तो उसके नाम पर शोक जताते हैं। आपके नाते रिश्तेदार और मित्र शोक जताने आपके घर आते हैं लेकिन आज हल्द्वानी की जनता को भीषण गर्मी में ठंडी हवा, छाया और ऑक्सीजन देने वाले हरे भरे पेड़ बारी बारी से कट रहे हैं और किसी को भी फर्क नहीं पड़ रहा है।

कभी फुर्सत मिले तो मुखानी से गैस गोदाम तिराहे तक का नजारा देखना, हम पेड़ों के जाने के बाद कैसा वीरान हो गया है। अगली गर्मी के मौसम में अच्छे से समझ आएगा हमारा वजूद आपको…

कभी समय मिले तो तसल्ली से सिंधी चौराहे से आयुक्त दफ्तर को जाने वाली सड़क के मुहाने तक देखना, हम पेड़ों के कटने के बाद कैसा हो गया है?

कभी काठगोदाम रेलवे स्टेशन तिराहे से नरीमन चौराहे तक हाल लेना तो पता चलेगा कैसे विकास की आरी ने हरियाली को तबाह किया है।

हां, मैने सुना है कि शहर में गिनती के कुछ लोग हैं जो हम पेड़ों के कटने पर दुखी हैं। वो अपना दुख फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जाहिर कर रहे हैं।

लेकिन आप ही बताइए हम पेड़ जमीन पर कट रहे हैं और आप दुख उस आभासी दुनिया में जता रहे हैं जहां सिर्फ टाइम पास होता है। जहां बड़े बड़े बयान बहादुर मिलते हैं जो हम पेड़ों के लिए आवाज उठाते हैं लेकिन आज दिन तक सड़क पर उतरकर शहर और जिले के जिम्मेदारों से उन्होंने हमें बचाने की जहमत नहीं उठाई।

हम पेड़ों के और पर्यावरण के नाम पर न जाने कितने एनजीओ फर्श से अर्श तक पहुंच गए लेकिन आज हल्द्वानी के 200 से ज्यादा छोटे बड़े पेड़ कट रहे हैं लेकिन उन एनजीओ की एक आवाज नहीं निकली। मुझे तो लगता है कि हम पेड़ों की जरूरत थी ही नहीं शहर के लोगों को, जो होती तो हम यूं लावारिश की तरह नहीं कटते।

एक सच्ची बात और आपको बता दूं, हम पेड़ों को काटने का आदेश देने वाले अधिकारी साल दो साल के बाद हल्द्वानी से चले जाएंगे। उन्हें वीआईपी शहर और जिले में बस ड्यूटी की मौज लेनी है। यहां पीढ़ी दर पीढ़ी रहना तो शहर के लोगों को ही है।

इन अधिकारियों को लगता है कि देश के बड़ी परीक्षा पास कर ये इस मुकाम पर पहुंचे हैं कि जो भी आदेश दे दें वो होकर रहेगा। आम जनता में किसी की हिम्मत नहीं जो इनके आदेश के खिलाफ चला जाए। मेरे शहरवासियों ने अधिकारियों की धारणा को सही साबित भी किया है।

मोमबत्ती से लेकर कभी काला तो कभी तिरंगा लेकर सड़क पर निकलने वालों को आज मेरी आंखें ढूंढ रही हैं। तिकोनिया के बुद्ध पार्क में अपनी रोजी रोटी बचाने की लड़ाई लड़ने और राजनीति चमकाकर कुर्सी हथियाने वालों को भी मेरी आंखें ढूंढ रही हैं।

काश! कोई तो हम हल्द्वानी के पेड़ों को बचाने का विकल्प कभी हल्द्वानी तो कभी नैनीताल के दफ्तर की एसी कुर्सी में बैठने वाले जिम्मेदारों के सामने रखता? हल्द्वानी के 200 से ज्यादा पेड़ काटकर 40 पेड़ों को ट्रांसप्लांट से बचाने की बात को ही जिम्मेदार ऐसे जता रहे हैं कि मानो उन्होंने बहुत बड़ा तीर मार दिया हो।

आप ही हिसाब लगाकर मुझे बता दीजिए कि पिछले 10 साल में जिले में कितने जिम्मेदार अधिकारियों ने हरेले में पौधे रोपे और कितने पौंधे पेड़ बने ? जिम्मेदारों के हाथों रोपे पौधे पेड़ तो तब बनते न जब उन्होंने कभी दोबारा उन पौधों की सुध ली होती। बस मीडिया के कैमरों के सामने फोटो खिंचवाई और अधिकारियों का गुड वर्क पहुंच गया शासन तक… बाकी शहर हरा हो या सूखे उनकी बला से…

मेरे कई साथी पिछले एक महीने में नैनीताल रोड और कालाढूंगी रोड में काट दिए गए। काटने वाले तो मजदूर थे उन्हें अफसर के आदेश का पालन करना ही था। जिस शहर के लोगों को मेरे साथी पेड़ों ने वर्षों तक छाया दी, साफ हवा दी, उनके कटने पर किसी ने सड़क पर उफ तक नहीं की। सिवाय गरीब रिक्शे वाले और मजदूर के क्योंकि वही चिलचिलाती धूप में हम पेड़ों की छाव में बैठता था। बाकी अमीरों को तो एसी घर, एसी गाड़ी और एसी दफ्तर मुबारक…

मुझे लगा था कि पर्यावरण के नाम पर ही हम पेड़ों को बचा लिया जाएगा लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। हमें उगने में सालों लगा और आज एक झटके में हमें काट दिया गया। मुझे पता है कि आज इंसानों की जिंदगी दौड़ती भागती है। इंसान बस वहीं ठहर रहा है जहां उसका मतलब है…

तो क्या हम पेड़ों का इंसानों की जिंदगी में कोई एहसान नहीं है? कोरोना काल में जब एक अदद ऑक्सीजन के सिलिंडर के लिए लोग तड़प रहे थे तब मैं और मेरे साथी यही दुआ कर रहे थे कि किसी के लिए भी ऑक्सीजन कम न पड़े। हम पेड़ों ने पूरी जान लगा दी थी ऑक्सीजन देने में…वो बात अलग है कि जान बचाने का सारा श्रेय दवा और दावा करने वालों को मिला।

सच बताऊं तो हम पेड़ों को कभी कोई श्रेय चाहिए भी नहीं। हमारा काम तो जिंदगी देना है वही हम करेंगे लेकिन आज हम मिट रहे हैं। हल्द्वानी में 200 से ज्यादा हरे भरे पेड़ बस इसलिए काट दिए गए कि सड़क चौड़ी करनी है। यानी हम पेड़ इंसानों की राह में बाधा बन गए थे। लेकिन सच बताऊं हम इंसानों की राह में बाधा बनना तो दूर ऐसा सोच भी नहीं सकते क्योंकि ऐसा हमारी फिदरत में ही नहीं है।

वैसे भी जब लोग कोरोना काल जैसा वक्त भूल गए तो हम पेड़ों के योगदान को क्या खाक याद रखेंगे।

सबको चौड़ी सड़क जो चाहिए लेकिन तय मानिए सालों पुराने हरे भरे पेड़ों को काटकर भी आपको चौड़ी सड़क नही मिल पाएगी। जिस तेजी से गाड़ियां बन और बिक रही हैं आपको कभी सड़क चौड़ी नजर नहीं आएगी।

शहर और राज्य के जिम्मेदारों को आप दिनों दिन बढ़ती आबादी वाली हल्द्वानी में फ्लाईओवर और रिंग रोड जैसी योजनाओं को धरातल पर उतारने पर विवश नहीं कर पाएंगे, ऐसे में हम पेड़ ही बचते हैं जिनका न तो कोई वकील है और न ही सत्ता में सेटिंग…काट दीजिए हमें हम आपका कभी कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे।

मुझे पता है मेरे मन की ये बात अधिकतर लोगों को बकवास लगी होगी। तो अब ऐसे लोगों को उनके मतलब की खबर भी बता ही देता हूं। कल और परसों यानी 13 और 14 अगस्त को नरीमन चौराहे से रेलवे स्टेशन काठगोदाम तक बचे खुचे पेड़ भी करने हैं।

ऐसे में हल्द्वानी के पुलिस और प्रशासन के जिम्मेदारों ने आपके लिए यातायात डायवर्जन तैयार किया है। सोचा आपको समय से बता दूं ताकि कल और परसों घर से भीमताल, नैनीताल और पहाड़ की तरफ निकलने के दौरान आपका मूड खराब न हो।

यह डायवर्जन प्लान 13 और 14 अगस्त को सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक प्रभावी रहेगा।

इस दौरान कॉलटैक्स तिराहे से नरीमन तिराहे तक समस्त प्रकार के वाहनों का प्रवेश पूर्ण रूप से वर्जित रहेगा।

पर्वतीय क्षेत्र से आने वाले समस्त प्रकार के वाहन नरीमन तिराहे से डायवर्ट होकर गोला बाईपास रोड का प्रयोग कर अपने गन्तव्य को जायेंगे।

शहर हल्द्वानी से पर्वतीय क्षेत्र को जाने वाले वाहन शनि बाजार से हुए गोला बाईपास रोड का प्रयोग कर अपने गन्तव्य को जायेंगे।

सिंधी चौराहे से ताज चौराहा होते हुए गोला पुल से गोला बाईपास रोड का प्रयोग कर अपने गन्तव्य को जायेंगे।

एसडीएम कोर्ट तिराहे से ताज चौराहा होते हुए गोला पुल से गोला बाईपास रोड का प्रयोग कर अपने गन्तव्य को जायेंगे।

तिकोनिया चौराहे से राजपुरा होते हुए गोलचा कम्पाउण्ड से ताज चौराहा होते हुए गोला पुल से गोला बाईपास रोड का प्रयोग कर अपने गन्तव्य को जायेंगे।

रामपुर रोड से आने वाले एवं पर्वतीय क्षेत्र को जाने वाले समस्त वाहन गन्ना सैन्टर से डायवर्ट होकर तीनपानी तिराहे से गोला बाईपास रोड का प्रयोग कर नरीमन तिराहे से अपने गन्तव्य को जायेंगे।

बरेली रोड से अपने वाले एवं पर्वतीय क्षेत्र को जाने वाले समस्त प्रकार के वाहन तीनपानी तिराहे से डायवर्ट होकर गोला बाईपास रोड का प्रयोग कर नरीमन तिराहे से अपने गन्तव्य को जायेंगे।

रोडवज, केमू स्टेशन हल्द्वानी से पर्वतीय क्षेत्र को जाने वाली समस्त रोडवेज, केमू की बसें ताज चौराहे से गोलापुल होते हुए गोला बाईपास रोड को प्रयोग कर नारीमन तिराहे से अपने गन्तव्य को जायेंगे।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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