हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड में अंतर्राष्ट्रीय मानक का प्रजनन उपचार उपलब्ध कराने के लिए भारत के 9 राज्यों में 20 से अधिक सेन्टर वाले प्रमुख आईवीएफ सेन्टर चेन ‘ सीड्स ऑफ इनोसेंस’ ने हल्द्वानी में अपना पहला और अत्याधुनिक फर्टिलिटी सेंटर (प्रजनन केंद्र) शुरू किया है।
सीड्स ऑफ इनोसेंस’ के हल्द्वानी में मुखानी चौराहा स्थित अत्याधुनिक आईवीएफ, आनुवंशिक टेस्टिंग और भ्रूण चिकित्सा फैसिलिटी सेंटर का शनिवार को शुभारंभ उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और सांसद अजय भट्ट ने किया।
इस दौरान यशोदा ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, दिल्ली-NCR के चेयरमैन डॉ दिनेश अरोड़ा, यशोदा ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स दिल्ली-NCR के ग्रुप डॉयरेक्टर डॉ शशि अरोड़ा, यशोदा ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स दिल्ली-NCR के ग्रुप डॉयरेक्टर डॉ रजत अरोड़ा और सीड्स ऑफ इनोसेंस तथा जेनेस्ट्रिंग डायग्नोस्टिक सेंटर की को- फाउंडर और डायरेक्टर डॉ गौरी अग्रवाल मौजूद रहीं।
इस अवसर पर डॉ. धन सिंह रावत ने बांझपन और उसके उपचार के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सीड्स ऑफ इनोसेंस की सराहना करते हुए कहा कि यह नया केंद्र बांझपन से संबंधित चिंताओं के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मुझे पूरा विश्वास है कि डॉ. गौरी के नेतृत्व में सीड्स ऑफ इनोसेंस राज्य में बेहतरीन कार्य करेगा।
सांसद अजय भट्ट ने सीड्स ऑफ़ इनोसेंस की प्रशंसा करते हुए कहा कि आईवीएफ का यह नया केंद्र उन दम्पंतियों के लिए बहुत मददगार है जिनको बांझपन से जुडी समस्याएं है। डॉ. गौरी अग्रवाल पर हमें पूरा विश्वास है कि वह हमारे उत्तराखंड राज्य में इनफर्टिलिटी की समस्या को खत्म कर देंगी।
इस सेंटर को वैश्विक मानकों के अनुरूप चिकित्सा बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के साथ तैयार किया गया है। यह केंद्र असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजीज, बांझपन के इलाज, और जेनेटिक टेस्टिंग में विशेषज्ञता रखता है। यह केंद्र अपनी तरह का पहला ऐसा स्थान है जो भ्रूण के लिए उन्नत जेनेटिक डायग्नोसिस सुविधाएँ प्रदान करता है, जैसे कि प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक स्क्रीनिंग (पीजीएस) और प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस (पीजीडी), जो आनुवंशिक रोगों, जैसे डाउन सिंड्रोम, थैलेसीमिया, सिकल सेल, और भ्रूण में गुणसूत्र संबंधी बीमारियों का पता लगाने में सक्षम हैं।
प्रेस 15 न्यूज से खास बातचीत में डॉ. गौरी अग्रवाल ने बताया कि भारत में कुल प्रजनन दर में कमी आई है इसलिए बांझपन, इसके कारणों और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाना अब अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान और तकनीकी नवाचारों से हमारे देश को काफी लाभ मिल सकता है। वर्तमान समय में हमें आईवीएफ को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखने के बजाय एक मल्टी-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि आनुवंशिक परीक्षण की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, हमने एक भ्रूण कल्याण कार्यक्रम भी शुरू किया है, जो एडवांस आईवीएफ समाधान प्रदान करने वाला एक व्यापक केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है।
डॉ. गौरी अग्रवाल ने बताया कि हल्द्वानी का यह सेंटर उत्तराखंड में पहली ऐसी फैसलिटी है। उत्तराखंड के अलावा, “सीड्स ऑफ़ इनोसेंस” उत्तर प्रदेश, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, बिहार, और झारखंड जैसे राज्यों में भी एडवांस्ड आईवीएफ सेंटर चला रहे हैं। वर्तमान में, “सीड्स ऑफ़ इनोसेंस” देशभर में 20 से अधिक ऐसे सेंटर संचालित कर रहे हैं।
प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असफल दंपत्तियों के लिए यह एक नई आशा की किरण होगी। इस क्षेत्र में सीड्स ऑफ इनोसेंस की रोडमैप योजना का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण परामर्श और बांझपन के विश्वसनीय इलाज की चाह रखने वाले युवा दंपत्तियों को प्रजनन सम्बंधी सेवाएं प्रदान करना है।
डॉ. गौरी अग्रवाल ने बताया कि हल्द्वानी में सीड्स ऑफ इनोसेंस का सेंटर निःसंतान दंपत्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, जिससे उन्हें दूसरे शहरों में इलाज के लिए भटकने की आवश्यकता नहीं होगी और हल्द्वानी, उत्तराखंड में ही उनकी समस्या का समाधान मिल सकेगा।
नया फर्टिलिटी सेंटर अत्याधुनिक तकनीक और विशेषज्ञों की एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम के साथ सुसज्जित है। इस केंद्र में भ्रूण चिकित्सा और आनुवंशिक परीक्षण की सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं। हल्द्वानी, उत्तराखंड में शुरू की गई यह नई सुविधा इस क्षेत्र में बांझपन के इलाज के लिए समर्पित एक फैसलिटी, उपचारक, और काउंसलर के रूप में कार्य करेगी।