हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। उत्तराखंड में आए दिन हो रहे महिला अपराध किसी से नहीं छुपे हैं। छोटी उम्र की बच्चियों से लेकर महिलाएं उत्पीड़न का शिकार बन रही हैं। शायद ही कोई गांव या शहर हो जहां से महिला अपराध से जुड़ी खबर न आई हो।
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ऐसे में कुमाऊं का प्रवेश द्वार हल्द्वानी भी महिला अपराध के मामले में अछूता नहीं है। चिंता की बात है कि जिन स्कूल पर अभिभावक भरोसा कर अपने नौनिहालों को भेजते हैं, उन्हीं के शिक्षक तक उनके कलेजे के टुकड़ों पर सितम ढहाने से बाज नहीं आ रहे। ऐसे में सड़क और परिवारों में बेटियों के साथ हो रहे अपराध की बात ही क्या करें।
अच्छी और सुकून देने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद बीते डेढ़ महीने से नैनीताल का जिला प्रशासन महिलाओं और खासकर स्कूली छात्राओं की सुरक्षा को लेकर संजीदा हुआ है।
आईटीआई की अपर निदेशक ऋचा सिंह के नेतृत्व में विभिन्न विभागों की महिला अधिकारियों की टीम ने हल्द्वानी के 40 स्कूलों में 45 कार्यशालाओं के माध्यम से छात्राओं के साथ संवाद स्थापित किया।
जिसका नतीजा हुआ कि बेटियों ने खुलकर हर वो बात बताई जिससे उनकी घर से स्कूल पहुंचने और वापस स्कूल से घर तक पहुंचने तक उनकी सुरक्षा पुख्ता हो सके। छात्राओं के हर सुझाव को टीम ने संजीदगी से लिया और जिसका सुखद परिणाम पिछले कुछ दिनों से हल्द्वानी में नजर भी आया।
इतना ही नहीं, शनिवार को जिले के भ्रमण पर पहुंची मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने भी जिले में महिला सुरक्षा व भयमुक्त वातावरण बनाए जाने के लिए किए जा रहे कार्यो की जानकारी ली थी। नैनीताल जिले की अभिनव पहल को देखते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि महिला सुरक्षा को लेकर नैनीताल मॉडल को प्रदेश के अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा।
नोडल अधिकारी अपर निदेशक आईटीआई ऋचा सिंह ने आज प्रेसवार्ता के माध्यम से बताया कि पिछले दिनों 480 असुरक्षित स्थानों की जो बात सामने आई थी, दरअसल ऐसा नहीं था। इन 480 स्थानों में कई ऐसे स्थान थे जिन्हें कई छात्राओं ने दोहराया था। ये ऐसे स्थान हैं जहां पर छात्राओं ने डर की आशंका जताई थी। इन स्थानों में वो जगहें भी थी जहां स्ट्रीट लाइट नहीं थी। ऐसे में यह कहना कि हल्द्वानी के 480 स्थान असुरक्षित हैं यह कहना सही नहीं होगा।
उन्होंने बताया कि इन कार्यशालाओं में विभिन्न स्कूलों की छात्राओं ने बताया कि उन्हें अक्सर अनेक स्थानों में असुरक्षा महसूस होती है। जिसके कई कारण हैं जैसे – अंधेरे के समय सड़क पर स्ट्रीट लाइट का न होना, खाली प्लाट में नशा करते लोगों का इकट्ठा होना, सड़क और दुकानों के बाहर आपत्तिजनक कॉमेंट करने वालों की भीड़, स्कूल आते जाते तेज रफ्तार बाइकर्स का आतंक, ऑटो चालकों की मनमानी।
अपर निदेशक ऋचा सिंह ने बताया कि इन सभी प्रकार की समस्याओं के त्वरित समाधान और भयमुक्त वातावरण तैयार करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करते हुए विभागों को जिम्मेदारी सौपी गई। जिसके अंतर्गत उरेडा और शहरी विकास विभाग द्वारा नगर के ऐसे क्षेत्र जहां पर अंधेरा रहता है, उन स्थानों में स्ट्रीट लाईट लगाई गई।
शहर में जिन-जिन स्थानों में खाली प्लॉट हैं, उनमें निजी भूमि में संबंधित भूमि स्वामी और सरकारी भूमि में संबंधित विभाग द्वारा घेरबाड़ का कार्य किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त पुलिस नगर के विभिन्न ठेलों और ढाबों और चिह्नित असुरक्षित क्षेत्रों में लगातार चेकिंग कर रही है। इसके साथ ही पुलिस स्कूलों में सुबह और छुट्टी के समय सादी वर्दी में चेकिंग कर रही है।
इसी प्रकार नगर में संचालित सभी ऑटो में महिलाओं को यात्रा के दौरान सुरक्षित महसूस कराने के लिए ऑटो चालकों को गाड़ी में महिला हेल्पलाइन नंबर व अन्य जानकारी अंकित करने के साथ ही प्रत्येक ऑटो चालक का एक ड्रेसकोड भी तैयार किया जा रहा है। यह व्यवस्था नवंबर से लागू होगी।
नोडल अधिकारी ऋचा सिंह ने बताया कि कार्यशालाओं में आए सभी सुझावों के आधार पर बालिकाओं को सुरक्षित माहौल दिए जाने के लिए संबंधित विभागों के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए गए। उन्होंने कहा कि यह अभियान और कार्यशालाएं लगातार जारी रहेंगे।
प्रेसवार्ता के दौरान बाल विकास परियोजना अधिकारी शिल्पा जोशी, जिला कार्यक्रम अधिकारी अनुलेखा बिष्ट, शिक्षा विभाग से यशोदा साह, जिला प्रोबेशन कार्यालय से तबस्सुम मौजूद रहीं।