

हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। भीख मांगते लोग किसी भी समाज की अच्छी तस्वीर नहीं कहे जा सकते। लेकिन सच यह है कि हमारे देश में भीख मांगना एक व्यवसाय से कम भी नहीं है। हल्द्वानी भी इससे अछूता नहीं है। यहां भीख मांगना मजबूरी कम धंधा बन गया है।
शारीरिक रूप से अक्षम लोग अगर अपनी गुजर बसर के लिए भीख मांगते नजर आएं तो एक बार के लिए उनकी मजबूरी कही जा सकती है लेकिन लंबे समय से हल्द्वानी में दो पढ़े लिखे भिखारियों की अराजकता आतंक का विषय बनी हुई है।
एक तरफ शासन के निर्देश पर नैनीताल पुलिस भीख मांगते बच्चों के लिए ऑपरेशन स्माइल चलाकर उन्हें मुख्यधारा में लाने के मिशन में जुटी है तो वहीं भिखारी बना एमबीपीजी कॉलेज का पूर्व कर्मचारी बाप अपनी बेटी के साथ शहर के प्रमुख कालाढूंगी चौराहे पर अराजकता का पर्याय बनी हुआ है।
मास्क पहनकर भीख मांगते बाप और बेटी की इस जोड़ी ने लंबे समय से कालाढूंगी चौराहे के आसपास व्यापारियों से लेकर राहगीरों और पर्यटकों की नाक में दम कर रखा है।
कालाढूंगी चौराहे पर श्रीकालू सिद्ध मंदिर के पास और बिजली दफ्तर के गेट के बाहर सड़क और फुटपाथ पर लंबे समय से कब्जा जमाए इन बाप बेटी का आतंक इस कदर है कि अब कई बुजुर्ग जरूरतमंद लोगों ने यहां ठहरना और गुजरना ही छोड़ दिया है।
आसपास के दुकानदारों की मानें तो कई बुजुर्ग महिलाओं से भिखारी बाप और बेटी की ये जोड़ी मारपीट तक कर चुकी है। अगर कोई परिवार या व्यक्ति किसी त्योहार या आम दिनों में मंदिर के बाहर दान दक्षिणा देने आता है तो ये दोनों बाप बेटी की जोड़ी दूसरे जरूरतमंदों को धकियाते हुए पहले हाथ मारने से भी नहीं चूकते।
आसपास के दुकानदारों के साथ ही बिजली दफ्तर के कर्मचारी भी भिखारी बनकर आतंक मचाते इन बाप बेटी की अराजकता और गालीगलौज वाले रवैए से परेशान हैं।
दुकानदारों ने बताया कि कुछ साल पहले तक भिखारी बना सतीश अग्रवाल हल्द्वानी के एमबीपीजी कॉलेज में साइंस लैब में सहायक था। अपनी भ्रष्ट कार्यशैली और झगड़ालू प्रवृत्ति के चलते विद्यार्थी और कॉलेज का स्टॉफ भी इससे परेशान रहता था। ऐसे में यह नौकरी से हाथ भी धो बैठा। इसके बाद इसने पढ़ी लिखी जवान बेटी के साथ भीख मांगने को शार्टकट कमाई का जरिया बना लिया।
दोनों बाप बेटी इतने शातिर हैं कि कोई इनका चेहरा न पहचान पाए, इसके लिए अक्सर दोनों अपने चेहरे को मास्क से ढके रहते हैं। मनचाही भीख न मिली तो सामने वाले को अंग्रेजी में गाली देने से भी नहीं चूकते।
व्यापारी बताते हैं कि इन दोनों के अराजक स्वभाव के चलते आज इन्हें हल्द्वानी में कोई किराए में कमरा तक देने को तैयार नहीं है। ऐसे में कभी रोडवेज बस अड्डे तो कभी किसी दुकान के बाहर दोनों रात गुजारते हैं। और सुबह सुबह फिर कालाढूंगी चौराहे पर आ जाते हैं। सुबह से शाम तक भीख में मिले राशन, फल, कपड़ों को राजपुरा, इंद्रानगर की दुकानें में बेच देते हैं।
बरेली रोड निवासी बुजुर्ग समाजसेवी गुरवचन सिंह ने बताया कि दोनों झगड़ालू बाप बेटी की वजह से बिजली दफ्तर के बाहर अक्सर अराजकता की स्थिति बनी रहती है। बकायदा इन्होंने फुटपाथ पर जगह कब्जाई हुई है।
उन्होंने बताया कि अगर कभी बिजली बिल जमा करने या मंदिर दर्शन को आने वाले श्रद्धालु इनके ठिए के आगे गाड़ी लगा दे तो दोनों बाप बेटी हमलावर हो जाते हैं और गालीगलौज करने लगते हैं। भिखारी समझकर कोई इनसे नहीं उलझता। ऐसे में इन भिखारी बने इन दोनों बाप बेटी का आतंक चरम पर है।
अराजक भिखारी बाप बेटी की जोड़ी से परेशान जवाहरनगर निवासी छोटा कुमारी ने बताया कि उसके पति का देहांत कुछ समय पहले हो गया। ऐसे में उसके ऊपर तीन बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी आ गई। ऐसे में जब वो भोजन प्रसाद के लिए श्री कालू सिद्ध मंदिर के पास बैठी तो झगड़ालू बाप और बेटी ने उस पर हमला कर दिया। इस दौरान उसका हाथ फ्रैक्चर हो गया। वो किसी तरह जान बचाकर मौके से भागी।

छोटा कुमारी ने बताया कि उसका एक लड़का और एक लड़की वीरांगना संस्था तो एक लड़की राजपुरा के सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन आज भी वह इन बाप बेटी से दरी सहमी रहती है।
आसपास के दुकानदारों में बताया कि कुछ समय पहले अग्रवाल समाज के संभ्रांत लोगों ने अच्छी भली हालत में भीख मांगते इन बाप बेटी को भीख मांगने के बजाय रोजगार का ऑप्शन भी दिया था लेकिन दोनों ही मेहनत के बजाय भीख मांगने पर ही अड़े रहे। लोगों ने इन्हें अग्रवाल समाज की बदनामी का भी हवाला दिया लेकिन फिर भी दोनों नहीं पसीजे।
व्यापारी कहते हैं कि दोनों बाप बेटी ने भीख मांगने को शार्टकट कमाई का जरिया बनाया लिया ही है। इतना ही नहीं दोनों मनमुताबिक भीख न मिलने पर दानदाताओं से भिड़ने और गालीगलौज करने में भी देरी नहीं लगाते।
कुल मिलाकर कालाढूंगी चौराहे पर भिखारी बाप बेटी के ये जोड़ी अराजकता का पर्याय बन चुकी है जिनसे आम राहगीरों के साथ ही व्यापारी तक परेशान हैं।
स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने प्रशासन और नगर निगम से कालाढूंगी चौराहे को खासकर अराजक बाप बेटी के आतंक से मुक्त करने की मांग की है। जो सुबह से देर शाम तक इस मुख्य चौराहे पर डेरा जमाए रहते हैं।




