हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। विकास कार्यों की आड़ में कमीशनखोरी और भ्रष्ट्राचार की काली कमाई का खेल उत्तराखंड में किसी से छुपा नहीं है। फिर चाहे सरकार किसी भी दल की क्यों न हो। गांव- शहर की गड्डों वाली सड़क हो या फिर जल के बिन सूखे नल, या फिर दवा बिन डॉक्टर वाले सरकारी अस्पताल… पग पग पर हर रोज भ्रष्ट्राचार के इन सबूतों से आम आदमी का पाला पड़ता है।
लेकिन अब हालात यह हो गए हैं कि विकास कार्यों में कमीशनखोरी का यह काला खेल इतना आम हो चला है कि आम आदमी ने इसे पूरी तरह से आत्मसात कर लिया है। यानी आज इस काले खेल के बगैर विकास कार्यों की उम्मीद भी नहीं की जा सकती।
उत्तराखंड जैसा राज्य जहां एक ओर पहाड़ के वैभवशाली गांव पलायन और विकास के नाम पर विनाश का दंश झेल रहे हैं। जहां लोग बिजली, सड़क, पानी, रोजगार, इलाज जैसी मूलभूत जरूरतों के लिए पिछले 23 साल से जूझ रहे हों, उस प्रदेश में विकास कार्यों में कमीशनखोरी की यह सरकारी बजट वाली लूट जनप्रतिनिधियों और नौकरशाही के चरित्र को बेनकाब करने के लिए काफी है।
बात अगर कुमाऊं की ही करें तो राजनीतिक दलों के सूरमाओं और नौकरशाहों के लिए इससे बड़ी शर्म की बात क्या होगी कि राज्य बनने के 23 साल बाद भी पहाड़ी जिलों के किसानों को अपनी फसल, फल, सब्जी को बेचने के लिए हल्द्वानी मंडी के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
पहाड़ी जिलों में एक अदद मंडी स्थल तक नहीं बनाया जा सका। नतीजा यह है कि किसान का मुनाफा आढ़तियों और दलालों की जेब में जा रहा है और किसान खेती छोड़कर जमीन बेचने को मजबूर है। रही सही कसर जंगली जानवरों ने पूरी कर दी है।
सरकारी निक्कमेपन की इंतहा देखिए कि शहरी क्षेत्रों से बंदर और घुमंतू जानवरों को पकड़कर पहाड़ों में छोड़ा जा रहा है। ऐसे में किसान करे तो क्या करे, कोई सुनने वाला नहीं है। कहने को राज्य में उत्तराखंड मंडी परिषद है लेकिन यह किसानों के हित में क्या कर रही है, इसके सिवाय कोई नहीं जानता।
इस बीच उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज हरीश रावत ने अपनी फेसबुक पोस्ट के माध्यम से उत्तराखंड मंडी परिषद की कार्यशैली को लेकर बड़ा खुलासा किया है।
हरीश रावत ने लिखा हैं कि यह एक अजीब प्रकार का भ्रष्टाचार है, मंडी परिषद के कामों में “अंधा बाटे रेवड़ी अपनों को भर-भर दे और जो काम टेंडर के भी हैं, उन कामों को भी इस तरीके से मैनिपुलेट किया जा रहा है ताकि जो हकदार है उसको न मिले।
हरीश रावत ने आगे लिखा है कि केवल-केवल भाजपाई वह भी जो काम न करे, केवल दाम अदा कर दे, उस भाजपाई को मिल रहा है जो काम करके दाम कमाना चाहता है, वह भाजपाई भी तिरस्कृत है।
खैर, दूसरी पार्टी और कांग्रेस के लोगों का तो प्रश्न ही पैदा नहीं होता! क्या राज्य के अंदर व्यवसाय करने में भी कांग्रेस और भाजपा देखा जाएगा? क्या विपक्ष के लोगों से काम करने का हक छीन लिया जाएगा? इन सवालों का जवाब भाजपा के राज्य नेतृत्व को देना पड़ेगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी इस फेसबुक पोस्ट में सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केबिनेट मंत्री गणेश जोशी, मुख्य सचिव और उत्तराखंड मंडी परिषद के साथ साथ राज्य के दैनिक अखबारों को भी टैग किया है ताकि उनका यह खुलासा इन सबके संज्ञान तक भी आ सके।