हल्द्वानी, प्रेस 15 न्यूज। एक तो बिजली के बढ़े हुए दाम की मार, ऊपर से अधिकारियों की अनदेखी और बेपरवाही से मनमाने फिक्स चार्ज और दूसरे टैक्सों के जरिए उपभोक्ताओं को लूटने का खेल… इन दिनों विद्युत विभाग के हल्द्वानी ग्रामीण डिविजन में यही सब चल रहा है।
हद तो तब हुई जब उपभोक्ताओं के मई माह के बिलों में इस खामी को हल्द्वानी ग्रामीण डिविजन के जिम्मेदार अधिकारी के सामने रखा गया तो समाधान के बजाय सरकारी कुर्सी के दंभ और बेपरवाही का परिचय दिया गया।
अधिशासी अभियंता जैसे जिम्मेदार अधिकारी का गैरजिम्मेदाराना जवाब ये साफ कर गया कि आम बिजली उपभोक्ताओं पर मनमाने बिल की मार पड़ती रहे, अधिकारियों की बला से… भीषण गर्मी में लोग बिन बिजली तड़पते रहें, अधिकारियों की बला से…
अब पूरा मामला भी जान ही लीजिए। हल्द्वानी के ग्रामीण मंडल के कमलुवागांजा सब डिविजन क्षेत्र में रहने वाले कई बिजली उपभोक्ताओं के मई माह के बिल में एक महीने के फिक्स चार्ज के बजाय दो महीने का फिक्स चार्ज जोड़कर बिल थमाया जा रहा है। यानी अगर लूट की इस खामी पर उपभोक्ता की नजर पड़ी तो ठीक वरना मनमाना पैसा विद्युत विभाग के खाते में…
हैरानी की बात यह है जब इस गंभीर अनियमितता के मामले को प्रेस 15 न्यूज संवाददाता ने ग्रामीण डिविजन के अधिशासी अभियंता डीडी पांगती के सामने रखा तो उनका ऐसा जवाब आया कि अच्छे अच्छों का माथा ठनक जाए। आप भी सुनिए रिपोर्टर के सवाल और अधिशासी अभियंता के जवाब….
सवाल: सर, कमलुवागांजा सब डिविजन के कई उपभोक्ताओं के मई माह के बिल में एक महीने के फिक्स चार्ज के बजाय दो महीने का फिक्स चार्ज जुड़कर आया है, इस पर क्या कहेंगे?
अधिशासी अभियंता डीडी पांगती का जवाब: अभी अप्रैल में बिजली के दाम बढ़े हैं, हो सकता है इस वजह से हो।
सवाल: सर, बिजली के दाम बढ़े हैं लेकिन जब बिल एक महीने का है तो फिक्स चार्ज दो महीने का क्यों लिया जा रहा है?
अधिशासी अभियंता डीडी पांगती का जवाब: अरे, बिजली के बढ़े हुए दाम अप्रैल महीने से लागू हुए हैं। अभी मई में दो तीन दिन पहले ही बढ़ी हुई दरों से बिल आना शुरू हुए हैं। सॉफ्टवेयर में अपडेट हो रहा है।
सवाल: सर उपभोक्ताओं की इस दिक्कत का क्या समाधान है, क्या इस मामले में यही आपका वर्जन है?
अधिशासी अभियंता डीडी पांगती का जवाब: हां यही है और फोन कट…
एक जिम्मेदार अधिकारी का आम बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ रहे मनमाने बिल के भार के समाधान के बजाय ऐसे जवाबों से आप समझ ही गए होंगे कि अधिकारियों को उपभोक्ताओं के हितों की कितनी चिंता रहती होगी।
यह हाल तब है जब बिजली के मनमाने बिल का सवाल एक जिम्मेदार पत्रकार ने एक विभागीय अधिकारी से किया था।
सोच कर देखिए जब यही सवाल एक पीड़ित आम बिजली उपभोक्ता ने अधिशासी अभियंता से किया होता तब क्या होता? तब क्या जवाब मिलता?
इस मामले में जब प्रेस 15 न्यूज संवाददाता ने आम बिजली उपभोक्ताओं से बात की तो उनका साफ कहना था कि बिजली विभाग के अधिकारी अब बेलगाम हो चले हैं। कोई कुछ कह ले, मुख्यमंत्री तक से शिकायत कर दे, उनकी सेहत में रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता।
जब भीषण गर्मी में घंटों घंटों बिजली कटौती से एक आम आदमी अपने घर में छोटे छोटे बच्चों, बुजुर्गों और दूसरे सदस्यों के साथ गर्मी में बेहाल होता है, तब यही बिजली विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपने एसी दफ्तरों में बैठकर समस्या के जल्द से जल्द समाधान का दावा करते हैं। बावजूद इसके घंटों घंटों बिजली नहीं आती।
बताते चलें कि जिस प्रदेश को ऊर्जा प्रदेश का तमगा मिला हो, वहां शायद ही कोई ऐसा महीना हो जब घंटों बिजली कटौती नहीं होती। जब यह हाल हल्द्वानी जैसे बड़े शहर का है तो सोच कर देखिए प्रदेश के सुदूरवर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था और अधिकारियों की मनमानी किस चरम पर होगी?
इस बीच प्रदेश में बिजली करीब सात फीसदी महंगी हो गई है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने नई दरें जारी कर दी हैं, जो एक अप्रैल से लागू भी हो गई हैं। मई माह के बिल में उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का दाम चुकाना पड़ रहा है। ऊर्जा निगमों ने 27 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था, जिसके सापेक्ष 6.92 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।
एक किलोवाट के कनेक्शन में अभी तक आप 60 रुपए प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज दे रहे थे, जो बढ़कर अब 75 रुपए हो गया है।
इसी प्रकार अभी तक आप बिजली का दाम 3.15 रुपए प्रति यूनिट दे रहे थे जो बढ़कर 3.40 रुपए प्रति यूनिट हो गया है। यानी अब तक 100 यूनिट बिजली का बिल 375 रुपए आ रहा था, जो बढ़कर 415 रुपए हो गया है।
लेकिन सवाल यह है कि जब बिल दो महीने के बजाय अब हर महीने आ रहा है तो फिर क्यों दो महीने का फिक्स चार्ज वसूला जा रहा है? इसके अलावा कई अन्य टैक्सों FPPCA चार्जेस, ED, other dues को जोड़कर भी उपभोक्ताओं के बिल का भार बढ़ाया जाता है।
जब फिक्स चार्ज को लेकर मनमाने बिल का यह सवाल हल्द्वानी ग्रामीण क्षेत्र के विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता से पूछा जाता है तो उनका बेपरवाह गैर जिम्मेदाराना जवाब आम उपभोक्ताओं की बेबसी का मजाक उड़ाने से कम नहीं लगता।
इतना ही नहीं अगर आप अपने बिजली बिल में गौर करेंगे तो पाएंगे कि कई अन्य तरीकों से भी आपको चूना लगाया जाता है।
उदाहरण के लिए, अगर आपका बिल 514.93 रुपया आया है तो राउंड फिगर में आपको 515 रुपए चुकाने होंगें। यानी बिजली विभाग 93 पैसे छोड़ने के बजाय आपसे सात पैसे अतिरिक्त ले लिए। सोच कर देखिए यही सात पैसा लाखों उपभोक्ताओं से लिया जाए तो कितनी बड़ी रकम बनेगी।
हालाकि यह तो एक उदाहरण है, इसी तरह से बिल में 50 पैसे से लेकर 90 पैसे तक को एक रुपए के हिसाब से जोड़कर हर बार आम बिजली उपभोक्ताओं को लूटा जाता है। विद्युत विभाग और इनके जिम्मेदार अधिकारियों का यह खेल लंबे समय से चल रहा है।
विद्युत विभाग को लगता है आखिर कौन ही इन चंद पैसों के लिए उनसे कहेगा। लेकिन आपको बता दें कि यही छोटी छोटी लूट ही बिजली विभाग के अधिकारियों में मनमाना बिजली बिल भेजने का दुस्साहस भरती है। हम तो आपसे यही कहेंगे कि अपने हक और अधिकारों के प्रति जागरूक बनिए। और बिजली विभाग की मनमानियों के खिलाफ मुखर भी…
इस पर भी गौर कीजिए
खर्च की श्रेणी पहले दरें नई दरें
0-100 यूनिट 3.15 3.40
101-200 यूनिट 4.60 4.90
201-400 यूनिट 6.30 6.70
400 से ऊपर 6.95 7.35
एकल बिंदु थोक आपूर्ति 6.25 7.00
फिक्स चार्ज में ये हुआ बदलाव
किलोवाट पहले अब
1 60 75
1-4 70 85
4 से ऊपर 80 100
एकल बिंदु 100 120
( दरें प्रति किलोवाट प्रतिमाह)