एक निवेदन: उत्तराखंड में पुलिस प्रशासन के भरोसे मत बैठिए, अपनी खुशियों को डूबने से खुद बचाइए

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हल्द्वानी/अल्मोड़ा, प्रेस 15 न्यूज। इन दिनों बेतहाशा गर्मी ने सबको परेशान कर दिया है। ऐसे में राहत पाने के लिए लोग नदियों में नहाने का विकल्प चुन रहे हैं जो बड़ा आसान भी है।

फिर चाहे हल्द्वानी हो या रामनगर या फिर पहाड़ी क्षेत्र…इन दिनों बड़ी संख्या में लोग नदी में नहाने पहुंच रहे हैं। नदी में नहाने वालों में बड़ी तादाद उन लोगों की भी है जो शराब के नशे में चूर होते हैं। या जो बीच नदी में आते ही शराब पीने हैं। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि पानी के बहाव और पत्थरों के बीच नहाने में कितना खतरा है।

बावजूद इसके प्राकृतिक जल श्रोतों को अय्याशी का गढ़ बनाते लोगों के खिलाफ उत्तराखंड का पुलिस प्रशासन खामोश बना रहता है। आपको नदी में नहाते ऐसे बिगड़ैल अय्याशों की बानगी देखनी है तो हल्द्वानी में अमृतपुर से लेकर रानीबाग क्षेत्र में इन दिनों देख सकते हैं। वहीं, रामनगर और अल्मोड़ा जिले की कोसी नदी का भी यही हाल है।

उत्तराखंड में नदियों और तालाबों में डूबकर लोग आए दिन अपनी जान गंवा रहे हैं लेकिन जिम्मेदार हैं कि मौत की डुबकी पर प्रतिबंध लगाने में पूरी तरह से नाकाम हैं।

पुलिस-प्रशासन अप्रिय घटना के बाद नदियों में नहाने पर प्रतिबंध लगाने की बात करता है, एक दो दिन पुलिस भी चेकिंग अभियान चलाने और चालान की कार्रवाई भी करती है लेकिन कुछ दिन बाद सभी दावे हवाई साबित होते हैं।

अब देखिए ना, छह दिन पहले ही चौखुटिया में रामगंगा नदी में डूबने से पति-पत्नी की मौत हो गई। अभी कुछ दिन पहले ही रामनगर की कोसी नदी में लखनऊ के युवक की डूबने से मौत हुई। अमृतपुर में लालकुआं क्षेत्र के युवक को डूबने से जान गंवानी पड़ी। बीते साल विश्वनाथ के पास सुयाल नदी में डूबने से भाई-बहन ने दम तोड़ा था।

रविवार को सोमेश्वर में कोसी में डूबने से दो युवकों को जान गंवानी पड़ी। हादसे में मृतक पंकज का बीते आठ जून को नौरी पैथानी गांव की 23 साल की किरन से शादी हुई थी। दुल्हन के हाथों की मेहंदी अभी छूटी भी नहीं थी कि पति पंकज का साथ हमेशा के लिए छूट गया। सिर्फ नौ दिन बाद भी पति-पत्नी का साथ टूट गया।

रविवार को पंकज अपने सैनिक भाई नीरज और चार दोस्तों के साथ कौसानी की तरफ घूमने निकला था।वापसी में सोमेश्वर के पास सभी कोसी नदी में नहाने उतरे। यहां नदी में डूबने से पंकज और धीरज की मौत हो गई।

मृतक धीरज के पिता की कुछ साल पहले मौत हो चुकी है। जवान बेटे की मौत की खबर से मां सावित्री भी बदहवास है। वह बार-बार पूछ रही है कि मेरा बेटा धीरज कब घर लौटेगा? मां का करुण गुहार का कोई भी जवाब नहीं दे पा रहा है, वहीं नई नवेली दुल्हन भी पति पंकज को खोने से अथाह दुख के सागर में डूब गई है।

ऐसे में हम आपसे यही निवेदन करेंगे कि अपनी खुशियों को डूबने से खुद बचाइए। पुलिस प्रशासन के भरोसे मत बैठिए। आपके बच्चे कहां जा रहे हैं, क्या कर रहे हैं, इस पर भी थोड़ी निगरानी कीजिए। हालांकि आज के वक्त में यह भी एक सच है कि जवान होते और कमाऊ बच्चों से कुछ कह पाने की हिम्मत कई मां बाप के भीतर बची भी नहीं है।

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संजय पाठक

संपादक - प्रेस 15 न्यूज | अन्याय के विरुद्ध, सच के संग हूं... हां मैं एक पत्रकार हूं

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